Bhopal. आदमपुर कचरा खंती की वजह से आसपास का एरिया पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है। द सूत्र ने बताया था कि वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के लिए आयोजित लोक सुनवाई में लोगों ने किस कदर मुखर होकर इसका विरोध किया था। इस दौरान यहां के दूषित पानी का मुद्दा प्रमुखता से उठा था, ग्रामीणों ने इस पानी को पीने के लिए अधिकारियों तक को दिया था। कुल मिलाकर कचरा खंती की वजह से यहां के हैंडपंप पहले से ही जहरीला पानी उगल रहे हैं और अब नलजल योजना के बहाने सरकारी पैसों की बर्बादी की जा रही है। दरअसल पडरिया गांव में नलजल योजना से घरों—घर पानी सप्लाई के लिए पाइप लाइन बिछाई जा रही है। लेकिन पानी सप्लाई गांव के ही शांतिनगर इलाके से होना है, जाहिर सी बात है जब पूरे गांव का ही पानी दूषित है तो शांतिनगर का पानी साफ कहां से होगा। कुल मिलाकर पडरिया गांव के लोगों को अब तक जो दूषित पानी हैंडपंपों से मिलता था, वह गंदा पानी अब घरों—घर नलों से पहुंचाया जाएगा।
पानी इतना दूषित की बर्तनों में चढ़ी है पीले रंग की परत
आदमपुर कचरा खंती पडरिया काछी और कोलुआ खुर्द के बीच बनी है। आदमपुर खंती का गेट नंबर 3 कोलुआ खुर्द से करीब 650 मीटर और खंती का गेट नंबर 1 पडरिया काछी से करीब 750 मीटर दूर है। वैसे तो इस खंती में इकट्ठा हो रहे कचरे से दोनो गांव का पानी दूषित हो रहा है, लेकिन स्थिति ज्यादा खराब पडरिया गांव की है। यहां पानी इतना दूषित है कि बर्तन और घरों के उपर रखी पानी की टंकियों में पीले रंग की एक परत चढ़ गई है। पडरिया गांव के लोग इस पानी का उपयोग पीने के लिए तो छोड़िए नहाने या हाथ धोने तक के लिए नहीं कर पा रहे हैं। नगर निगम ने पानी की टंकियां रखवाई है, लेकिन उन्हें टैंकर भरने रोज नहीं आते हैं। गांव में करीब 500 परिवार निवास कर रहे हैं, उनके बीच सिर्फ 3 पानी की टंकियों से पानी की आपूर्ती नहीं होती है। टंकियों से पानी भरने को लेकर झगड़े की स्थिति बन जाती है।
पीसीबी की इस रिपोर्ट से समझिए कितना जहरीला हो चुका है पानी
म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी पीसीबी ने 10 दिसंबर 2021 को आदमपुर खंती और उसके आसपास के इलाकों से पानी के सेंपल लिए, जिसकी जांच रिपोर्ट 2 दिन बाद यानी 13 दिसंबर 2021 को आई। इस रिपोर्ट के अनुसार पडरिया गांव के काशाराम के ट्यूबवेल और छावनी पठार नाका के हैंडपंप से लिए गए पानी में आयरन की मात्रा क्रमश: 9.16 और 0.63 मिली ग्राम प्रति लीटर मिली, जो तय मानक 0.3 से कहीं ज्यादा थी। पानी में आयरन की मात्रा अधिक होने से इसे पीने पर बच्चों को ब्लू बेबी सिंड्राम नामक बीमारी होने का खतरा रहता है। वहीं छावनी पठार नाका के हैंडपंप से जो पानी का सेंपल लिया था उसमें टोटल हार्डनेस वेल्यू 300 की जगह 438 और डिजोल्वड सॉलिड मात्रा 500 की जगह 518 मिली थी। यानी पानी में इनकी मात्रा अधिक होने से यदि आप पानी पियेंगे तो कैंसर जनक बीमारी हो सकती है। सोशल एक्टिविस्ट कमल राठी ने कहा कि 5 साल में प्रशासन एक हैंडपंप तक बंद नहीं करवा पाया। लोगों के स्वास्थ को लेकर कोई गंभीर ही नहीं है।
बिना पानी की जांच करे ही शुरू कर दिया काम
पडरिया में नलजल योजना का काम बिना पानी की जांच किए ही शुरू कर दिया। फंदा जनपद पंचायत वार्ड 13 के सदस्य संतोष प्रजापति ने कहा कि पाइप लाइन बिछाने से पहले पानी की कोई जांच की ही नहीं गई। वहीं गांव के ही भैयालाल ने बताया कि नलजल योजना से बिछाई जा रही पाइप लाइन में पानी गांव के ही शांतिनगर इलाके से लिया जाएगा, जिससे ग्रामीणों को पानी खराब ही मिलेगा।
2019 में लगी आग भी जलस्तर के प्रदूषित होने का एक कारण
आदमपुर खंती के आसपास जलस्तर प्रदूषित होने का एक कारण यहां 2019 में लगी आग को भी माना जाता है। खंती चालू होने से पहले यहां गड्ढे कर प्लास्टिक की लेयर चढ़ाई गई थी, ताकि कचरा सीधा जमीन के संपर्क में न आए और इससे भूजल प्रदूषित न हो। अप्रैल 2019 में यहां के कचरे में आग लग गई जो नीचे 20 से 30 फीट तक चली गई। आग कचरे के बड़े बड़े ढेर के नीचे थी इसलिए ये जून में हुई बारिश के बाद ही बुझ सकी। जानकार बताते हैं कि यहां 5 मई 2019 को आग भड़क गई। जिससे गड्ढों में जो प्लास्टिक की लेयर थी वह जल गई। इससे कचरा सीधे जमीन के संपर्क में आ गया और भूजल प्रदूषित होने लगा। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग यानी पीएचई के सब इंजीनियर और जल जीवन मिशन के प्रभारी संजय सक्सेना ने पहले तो दावा किया कि पानी का सेंपल लिया गया था और जांच रिपोर्ट ओके होने के बाद ही काम लगाया, लेकिन जब द सूत्र ने इसे लेकर रिपोर्ट का हवाला दिया तो उन्होंने यह कहा कि एक बार और सेंपल लेकर जांच करा लेंगे।