इंदौर में फिनिक्स की कमेटी ने सुनी शिकायतें, भूमाफिया चंपू के साथ पत्नी योगिता, पिता पवन, भाई नीलेश और उसकी पत्नी सोनाली सभी आरोपी

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Rahul Garhwal
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इंदौर में फिनिक्स की कमेटी ने सुनी शिकायतें, भूमाफिया चंपू के साथ पत्नी योगिता, पिता पवन, भाई नीलेश और उसकी पत्नी सोनाली सभी आरोपी

संजय गुप्ता, INDORE. हाईकोर्ट इंदौर बेंच के आदेश से गठित हुई हाईकोर्ट के रिटायर जज की कमेटी ने सोमवार से फिनिक्स कॉलोनी की शिकायतों की सुनवाई शुरू की। इस कमेटी के सदस्य भी इससे चौंक गए कि इस कॉलोनी में केवल भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा ही आरोपी नहीं है, बल्कि अजमेरा परिवार के अधिकांश सदस्य ही आरोपी है। इसमें पत्नी योगिता अजमेरा, पिता पवन अजमेरा, भाई नीलेश अजमेरा और उसकी पत्नी सोनाली अजमेरा सभी के खिलाफ पीड़ितों ने शिकायत की है। सभी ने प्लॉट के सौदे किए, कई लोगों की रजिस्ट्री भी हुई, लेकिन किसी को प्लॉट पर कब्जे नहीं मिले। सुनवाई 19 मई तक रोज दोपहर 3 से 6 बजे तक होगी। शिकयकतकर्ता को 6 सेट में शिकायत और दस्तावेज लेकर आना है।



54 शिकायतें कमेटी के सामने पहुंची



कमेटी के सदस्यों के पास 54 पीड़ितों ने शिकायतें की है, इसमें कई ने रजिस्ट्री सौंपी तो कई लोगों ने सौदे की रसीद, चेक से हुए भुगतान के सबूत भी पेश किए। शिकायतों में सामने आया कि चंपू ने कुछ को प्लॉट सरकारी कांकड़ पर दे दिए तो किसी को नाले पर दे दिए। कुछ जमीन तो मौके पर है ही नहीं जिसे चंपू ने प्लाट दे दिए। अजमेर से आए रामगोपाल सिंघल ने बताया कि उनके तीन प्लॉट बुक है, जो चंपू, पिता पवन, उनकी पत्नी योगिता, भाई नीलेश और उनकी पत्नी सोनाली द्वारा दिए गए हैं। नंबर 1 में साल 2008 में ही चेक से 5.40 लाख रुपए का भुगतान किया गया था, लेकिन फिर भी प्लॉट नहीं दिए। इसी तरह फरियादी कविता पंवार, सुरभि तलवार सहित कई पीड़ित पहुंचे। तलवार परिवार को तो उपभोक्ता फोरम से आदेश भी है, लेकिन इसके बाद भी चंपू ने प्लॉट नहीं दिया।



खुद नहीं पहुंचा चंपू, नौकर रजत को पहुंचाया



चंपू खुद सुनवाई के दौरान नहीं पहुंचा, क्योंकि उसे पता है कि फिनिक्स में पूरा किया-धरा उसी का है और यहां पर सबसे ज्यादा पीड़ित है तो 14-15 साल से परेशान है। उसने अपनी जगह रजत बोहरा को पहुंचाया, जो मूल रूप से कंपनी में 12-15 हजार के वेतन पर नौकर है, लेकिन उसे फिनिक्स कंपनी में डायरेक्टर बना दिया गया है। बोहरा ने द सूत्र को बताया कि मैं तो बेवजह फंस गया हूं, मैं तो नौकर आदमी हूं, मेरा इसमे कोई लेना-देना नहीं है फिर भी साढ़े 3 साल जेल होकर आ गया हूं। आज भी मुझे यहां भेज दिया गया है।



फिनिक्स में कहने को 88 शिकायतें, लेकिन आंकड़ा 150 के पार होगा



फिनिक्स में कुल 88 शिकायतें प्रशासन की रिपोर्ट में है जिसमें रजिस्ट्री वाले 56 और रसीद वाले 32 लोग है। इसमें से रजिस्ट्री वाले 26 और रसीद वाले 20 यानी कुल 46 केस निराकृत और 42 बाकी बचे हुए केस बताए गए हैं। लेकिन रजिस्ट्री वाले 20 को केवल जमीन चिन्हित कर कब्जा दिया गया है, उन्हें नए सिरे से रजिस्ट्री नहीं हुई है, क्योंकि कंपनी फिनिक्स डेवकॉन दिवालिया घोषित है और उसका केस पहले ही हाईकोर्ट में चल रहा है। लेकिन असल में फिनिक्स के पीड़ितों की संख्या 150 से ज्यादा है, जो अब सुनवाई के दौरान आने वाले दिनों में सामने आएंगे। यानी चंपू और उनके अजमेरा परिवार ने कुल मिलाकर आज की तारीख में 30 लाख प्रति प्लॉट के हिसाब से 40 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला इसी सिंगल कॉलोनी में ही किया हुआ है।



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लिक्विडेटर को भी कमेटी ने बुलाया



फिनिक्स कंपनी ने पेरेंटल ड्रग्स कंपनी से 1 करोड़ का लोन लिया था, ये नहीं चुकाया तो कंपनी दिवालिया घोषित हो गई। इस तरह चंपू ने मात्र 1 करोड़ का खेल से कंपनी को दिवालिया करा लिया और करोड़ों के भुगतान से बच निकला। अब प्रशासन कब्जा दे भी रहा है तो यहां पर वो रजिस्ट्री नहीं करा पा रहा है, क्योंकि कंपनी लिक्वीडेशन में हैं। लिक्विडेटर को भी कमेटी ने बुलाया था, जिन्होंने कमेटी को पूरी स्थिति बताई और कहा कि जब तक कंपनी लोन का भुगतान नहीं कर देती इसमें रजिस्ट्री होना तकनीकी तौर पर मुश्किल है।


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