MPPSC के बाद अब पुलिस आरक्षक परीक्षा में भी कानूनी पेंच, PHQ ने जारी किए नियुक्ति पत्र लेकिन हाईकोर्ट का 16 पद खाली रखने का आदेश

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Rahul Garhwal
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MPPSC के बाद अब पुलिस आरक्षक परीक्षा में भी कानूनी पेंच, PHQ ने जारी किए नियुक्ति पत्र लेकिन हाईकोर्ट का 16 पद खाली रखने का आदेश

राजीव उपाध्याय, BHOPAL. मध्यप्रदेश में एमपीपीएससी की राज्य सेवा परीक्षा के बाद अब पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट भी कानूनी दांवपेंच में फंसने के आसार हैं। दरअसल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आरक्षक भर्ती के रिजल्ट को चुनौती देने वाली दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पुलिस मुख्यालय को 16 पद खाली रखने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा कोर्ट की अनुमति के बिना आरक्षक के पद पर कोई भी नियुक्ति नहीं करने को कहा है। जबकि पुलिस मुख्यालय ने आरक्षक भर्ती परीक्षा-2020 के अंतिम रिजल्ट के आधार पर चुने गए करीब 6 हजार उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए हैं।



हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश



मध्यप्रदेश पुलिस में आरक्षक भर्ती के मामले में अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सरकार अदालत की अनुमति के बगैर किसी भी उम्मीदवार को नियुक्ति पत्र प्रदान नहीं करे। इसके साथ ही अदालत ने कुल पदों में 15 कॉन्स्टेबल (जीडी) और एक कॉन्स्टेबल रेडियो का पद खाली रखने के निर्देश दिए हैं। दरअसल प्रदेश के अलग-अलग जिलों के 15 याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी है। याचिका में भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरतने के आरोप लगाए गए हैं।



खत्म हो गई थी रोजगार पंजीयन की वैधता



सभी याचिकाकर्ताओं ने आरक्षक भर्ती-2020 की  लिखित परीक्षा और फिजिकल टेस्ट क्वालिफाई किया था। 12 नवंबर को घोषित किए गए रिजल्ट की मेरिट लिस्ट में उन सभी के अपने-अपने वर्ग की केटेगरी में कटऑफ मार्क्स से ज्यादा अंक थे लेकिन उन्हें फेल बताया गया। जस्टिस विशाल धगट की सिंगल बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में एडवोकेट नरिंदरपाल सिंह रूपराह ने पैरवी करते हुए दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने जब कर्मचारी चयन मंडल और शासन से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि उनके रोजगार पंजीयन में त्रुटि पाई गई। सभी के रोजगार पंजीयन की वैधता खत्म हो गई थी।



कोविड आपदा के चलते रिन्यू नहीं करा पाए रोजगार पंजीयन



याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में दलील दी गई कि कोरोना काल के वक्त रोजगार कार्यालय की वेबसाइट और कार्यालय दोनों बंद थे। इस कारण उम्मीदवार अपना रोजगार पंजीयन रिन्यू नहीं करा पाए। इसमें इनकी कोई गलती नहीं है। इन सभी उम्मीदवारों ने फिजिकल टेस्ट और दस्तावेजों का परीक्षण शुरू होने से पहले ही अपना रोजगार पंजीयन रिन्यू करा लिया था। ये दलील सुनने के बाद जस्टिस विशाल धगट की बेंच ने राज्य सरकार, डीजीपी और कर्मचारी चयन मंडल के चेयरमैन को नोटिस जारी करते हुए 2 हफ्ते में जवाब देने के निर्देश दिए। इसके साथ ही कोर्ट ने बिना अनुमति कोई नियुक्ति न करने का आदेश भी दिया है।



रोजगार पंजीयन जीवित, फिर भी कर दिया फेल



पुलिस आरक्षक भर्ती से जुड़े एक अन्य मामले में याचिकाकर्ता मोहित मिश्रा ने जस्टिस एमएस भट्टी की सिंगल बेंच के सामने सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नरेंदरपाल सिंह रूपराह ने अदालत को बताया कि मोहित मिश्रा का रोजगार पंजीयन भर्ती प्रक्रिया के शुरू होने से लेकर अब तक जीवित है। इसके बावजूद उन्हें फिजिकल टेस्ट में अनुत्तीर्ण घोषित कर दिया गया जबकि उन्होंने अपना फिटनेस टेस्ट अच्छे से क्लीयर किया था। इस मामले में भी अदालत ने सरकार और अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी किए हैं।



कानूनी परीक्षण के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी- डीजीपी



पुलिस मुख्यालय को हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के असर के बारे में द सूत्र ने डीजीपी सुधीर सक्सेना से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पीएचक्यू को आरक्षक भर्ती परीक्षा के बारे में हाईकोर्ट का निर्देश शुक्रवार, 25 नवंबर को ही मिला है। हम उसका कानूनी परीक्षण करा रहे हैं। इस बारे में कानूनी राय के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।


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