राहुल शर्मा, BHOPAL. केंद्र हो या प्रदेश सरकारें, हमेशा किसानों की आर्थिक मजबूती का दावा करती रही है और उसने यह कर भी दिया है। हां, ये बात और है कि किसानों का यह आर्थिक उद्धार जमीन पर ना होकर कागजों में हुआ है। मध्य प्रदेश में गरीब किसान सिर्फ 0.1 प्रतिशत ही है। बिल्कुल सही सुना आपने 0.1 प्रतिशत ही मध्य प्रदेश में गरीब किसान बचा है और यह कारनामा सिर्फ 3 साल के अंदर हो गया है।
मध्य प्रदेश में कुल किसानों की संख्या 1 करोड़ 8 लाख है, वहीं इनमें गरीब किसान मात्र 12 हजार है। यह हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि गरीब किसान को आर्थिक सहायता देने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में 3 साल में 99.9 प्रतिशत किसान कम हो चुके हैं। यानी कहा जा सकता है कि 99.9 प्रतिशत किसान अब आर्थिक रूप से मजबूत है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में 94.7 प्रतिशत किसान इस योजना से बाहर हो गए है। यानी छत्तीसगढ़ में सिर्फ 5.3 प्रतिशत किसान ही गरीब बचे हैं।
छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता देती है किसान सम्मान निधि योजना?
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक योजना है। इस योजना के अन्तर्गत छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जिनके पास 2 हेक्टेयर (4.9 एकड़) से कम भूमि हो। इस योजना के तहत 1 दिसम्बर 2018 से सभी किसानों को न्यूनतम आय सहायता के रूप में प्रति वर्ष 6 हजार रुपया मिल रहा है। 6,000 रूपए प्रति वर्ष प्रत्येक पात्र किसान को तीन किश्तों में भुगतान किया जाता है और सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में जमा हो जाती है। मतलब हर 4 महीने के बाद किसान को 2 हजार की सहायता राशि दी जाती है।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पात्र किसानों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट
कन्हैया कुमार के सूचना के अधिकार के तहत कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की देश में 11वीं किस्त प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या में 67% की गिरावट आई है। इनमें सबसे ज्यादा गिरावट मध्य प्रदेश में ही आई है। पहली किश्त के रूप में 24 फरवरी, 2019 को 2000 रूपए मध्य प्रदेश में 88 लाख 63 हजार किसानों के खातों में जमा किए गए थे, लेकिन जब इसकी 11वी किश्त 31 मई 2022 को खातों में डाली गई तो मध्य प्रदेश में किसानों की संख्या घटकर 12 हजार हो गई। मतलब करीब तीन साल में 99.9 प्रतिशत पात्र किसानों की संख्या में कमी आ गई।
इसी तरह छत्तीसगढ़ दूसरे पायदान पर है। यहां पहली किश्त 37 लाख 70 हजार किसानों को दी गई थी, वहीं 11वी किश्त सिर्फ 2 लाख किसानों के खातों में ही आई है। मतलब 3 साल में 94.7 प्रतिशत किसानों की संख्या में गिरावट हुई है। भारतीय किसान संघ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य मनमोहन व्यास ने कहा कि यह राशि को कम करने का आंकड़ा है, जबकि किसानों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। सिर्फ 60% किसानों को ही राशि मिली है।
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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अधिकतम किसानों के खातों में आए थे पैसे
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी 2019 में पहली किस्त देश के 11.84 करोड़ किसानों के खातों में डाली गई थी। हालांकि छठवीं किस्त के बाद कटौती का सिलसिला शुरू हुआ। छठवीं किस्त 9.87 करोड़ किसानों को मिली। सातवीं किस्त 9.30 करोड़, आठवीं किस्त 8.59 करोड़, नौवीं किस्त 7.66 करोड़, दसवीं किस्त 6.34 करोड़ और 11वी किस्त 3.87 करोड़ किसानों को मिली। हालांकि 12वीं किस्त अक्टूबर 2022 में बांटी जा चुकी है, पर इसके आंकड़े सामने नहीं आ पाए हैं। इस संबंध में जब हमने मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो सका और न ही उन्होंने मैसेज का कोई रिप्लाई दिया। रामपुर के किसान श्यामशरण तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की उन्हें सिर्फ 4 किश्त मिली है।
अन्य राज्यों में कहां-क्या स्थिति?
- आंध्र प्रदेश में लाभार्थियों की संख्या 55.68 लाख से घटकर 28.2 लाख रह गई।
मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि का तो पैसा मिल ही नहीं रहा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को पीएम किसान योजना के साथ प्रदेश सरकार की ओर से 4 हजार यानी हर 6 महीने में 2-2 हजार किसानों को देने का वादा किया था, पर ये राशि तो मिल ही नहीं रही है। नर्मदापुरम के किसान उदय पांडे का कहना है कि नर्मदापुरम जिले के एक भी किसान को मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि का 1 पैसा तक नहीं मिला। संजय लोवंशी कहते हैं कि 75 प्रतिशत किसानों के खातों में सीएम निधि से पैसा नहीं आया। इटारसी के किसान सुभाष साध बताते हैं कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का पैसा 5-6 बार आया, लेकिन मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि का पैसा आज तक नहीं मिला।
इतनी बड़ी संख्या में किसानों की कमी समझ से परे
योजना में एक ही परिवार से सिर्फ एक ही किसान को हितग्राही के रूप में रखा गया। इससे छठवीं किस्त में कटौती कर दी गई। वहीं, जिन लाभार्थी किसानों की केवीईसी नहीं हुई, उन्हें भी योजना से बाहर कर दिया। उसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में किसानों की कमी समझ से परे है। कृषि विभाग के रिटायर्ड डायरेक्टर जीएस कौशल का कहना है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होना चाहिए। ये सब मेन्यूपुलेशन है और कुछ नहीं। ये किसान को धोखा देने के अलावा कुछ नहीं है। 88 लाख से 12 हजार होना कटौती नहीं किसान के साथ धोखा है। खेल तमाशा है क्या? पैसा तो इनके पास है नहीं, योजना बंद करना है तो कर दें। बस आश्वासन ही आश्वासन है। इसकी डिटेल इंक्वायरी होना चाहिए कि आखिर ये सब कैसे हो रहा है।