कैलाश विजयवर्गीय के परिवारिक कार्यक्रम में शामिल हुए मोदी, सिंधिया और तोमर दे रहे हैं साथ, क्या सीएम शिवराज की बढ़ेंगी मुश्किलें

author-image
Harish Divekar
एडिट
New Update
कैलाश विजयवर्गीय के परिवारिक कार्यक्रम में शामिल हुए मोदी, सिंधिया और तोमर दे रहे हैं साथ, क्या सीएम शिवराज की बढ़ेंगी मुश्किलें

BHOPAL. मध्यप्रदेश की सियासत में कैलाश विजयवर्गीय का कद बढ़ने वाला है और सीएम शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ने के आसार हैं। कम से कम नए सियासी समीकरण तो इसी तरफ इशारा करते दिखाई दे रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के एक फैसले के बाद ये आसार और भी ज्यादा प्रबल नजर आ रहे हैं-





सियासत की एक नई तस्वीर दिखाई तो दिल्ली में दी। लेकिन उसका सीधा ताल्लुक मध्यप्रदेश की राजनीति से है। सूबे की सियासत में लंबे समय से हाशिए पर चल रहे कैलाश विजयवर्गीय के दिन बहुत जल्द बदल जाएं, तो कोई हैरानी नहीं होगी। राजनीति की नई तस्वीर इसी तरफ इशारा कर रही है। दिल्ली में हुई शादी की एक दावत मध्यप्रदेश में बीजेपी के बदलते समीकरणों की गवाह बन सकती है। ये शादी थी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के भतीजे की। जिसका समारोह हुआ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की कोठी पर। इस दावत के खास मेहमान बने खुद पीएम नरेंद्र मोदी। तमाम सांसद, विधायक यहां तक कि इंदौर के पार्षद तक समारोह का हिस्सा बने। हालांकि सीएम शिवराज सिंह चौहान, अविश्वास प्रस्ताव के चलते चाहकर भी शामिल नहीं हो पाए।





ये भी देखें-





एमपी में जबरदस्त वापसी की तैयारी में कैलाश विजयवर्गीय, बढ़ेंगी शिवराज सिंह चौहान की परेशानियां?





पीएम मोदी का ये कदम कुछ खास संकेत देता है





पिछले आठ सालों में कैलाश विजयवर्गीय के घर कई बड़े समारोह हुए। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी कभी किसी कार्यक्रम में नजर नहीं आए। इस बार उनके भतीजे मनु विजयवर्गीय की शादी का मौका था। जो कई मायनों में खास तो रहा ही सियासी हलकों में भी चर्चा का केंद्र बन गया। मनु विजयवर्गीय की शादी में खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने शिरकत की। वो तकरीबन आधा घंटा इस समारोह में रुके। इस दौरान उन्होंने पूरे विजयवर्गीय परिवार के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई। ये तो हुआ एक सियासी पहलू। इस शादी का दूसरा सियासी पहलू ये है कि ये शादी जिस जगह से हुई, वो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की दिल्ली स्थित कोठी है। यहां इत्तेफाक सिर्फ दोनों नेताओं के नाम का नहीं है। बल्कि राजनीतिक संयोग बहुत सारे जुड़े हैं और कुछ खास इशारा करते हैं। अव्वल तो ये कि पीएम की विजिट को यूंही नहीं माना जा सकता है। कैलाश विजयवर्गीय के आमंत्रण को स्वीकार करना और फिर उसे इतनी तवज्जो देना। पीएम मोदी का ये कदम कुछ खास संकेत तो दे ही रहा है। सूत्रों के हवाले से तो ये भी खबर है कि पीएम को न्यौता देने खुद नरेंद्र सिंह तोमर विजयवर्गीय के साथ गए थे।





भविष्य में दिखेंगे सियासी मायने 





सियासी गलियारों में ये बात किसी से छिपी नहीं है कि आकाश विजयवर्गीय को टिकट देने के बाद पीएम मोदी खासे नाराज थे। आकाश विजयवर्गीय के बल्ला कांड ने उनकी नाराजगी में आग में घी का काम किया। जिस पर उन्होंने खुलकर नाराजगी जताई भी। उसके बाद से कैलाश विजयवर्गीय सियासी फ्रंट पर लगातार कमजोर होते नजर आए। पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई थी। वहां बीजेपी ने जीत भले ही हासिल न की हो लेकिन वोट शेयर जरूर बढ़ा। जिसका क्रेडिट विजयवर्गीय को ही जाता है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश में वापसी के बाद उन्हें कोई खास जिम्मेदारी नहीं मिली। लेकिन अब जब पीएम विजयवर्गीय को इतना वेटेज दे चुके हैं तो यकीनन भविष्य में इसके सियासी मायने भी नजर आएंगे।





एमपी बीजेपी को चुनाव में विजयवर्गीय की जरूर





कैलाश विजयवर्गीय के घर के कार्यक्रम में मोदी का जाना। वहां इतनी देर ठहराना। इसी बात का इशारा माना जा सकता है कि पीएम और उनके रिश्तों पर जमी बर्फ की मोटी परत अब पिघल रही है। अभी नाम मात्र का पदनाम लेकर बैठे विजयवर्गीय को वाकई ऐसी जिम्मेदारी मिल सकती है, जो उनकी ताकत में फिर इजाफा कर दे। वैसे भी एमपी में चुनाव सिर पर हैं। पार्टी को कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता की जरूरत पड़ेगी, जो अपनी एक आवाज पर कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटा दे और जीत का एतबार जगा सके। कम से कम मालवा में तो विजयवर्गीय इतनी धाक रखते ही हैं कि पार्टी को इस अंचल में मजबूती दे सकें। शायद यही सियासी बुनियाद उनके लिए असरदार साबित हुई। लेकिन प्रदेश की राजनीति में इसका क्या असर होगा। क्या सीएम शिवराज सिंह चौहान के लिए विजयवर्गीय का कद बढ़ना खतरे का अलार्म नहीं है।





मंत्री तोमर की कोठी पर विजयवर्गीय का आयोजन





इस आयोजन के सप्ताह भर पहले से विजयवर्गीय राजधानी में न्योते के बहाने तमाम केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं से मुलाकात और चर्चा करते दिखाई दिए। मध्यप्रदेश की राजनीति में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सीएम शिवराज सिंह चौहान एक दूसरे से जुड़े हुए माने जाते हैं। तोमर ऐसे नेता हैं जिनके संबंध पीएम से लेकर सीएम तक सबसे मजबूत हैं। संबंधों के मामले में विजयवर्गीय भी कम नहीं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके संबंध प्रगाण हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी घनिष्ठ संबंध हैं। लेकिन पीएम मोदी अब तक विजयवर्गीय से नाराज ही माने जा रहे थे। राजनीतिक गलियारों में शिवराज और विजयवर्गीय की राजनीतिक प्रतिद्वंता भी किसी से छिपी नहीं रही। इन राजनीतिक कहानियों को दरकिनार कर विजयवर्गीय की दावत तोमर की कोठी पर होना और अब तक बिना प्रभार के महासचिव बने नेता के यहां पीएम मोदी का पहुंचना प्रदेश बीजेपी में नई किस्से कहानियों को जन्म दे रहा है।





विजयवर्गीय और तोमर के बीच जमकर दाल घुट रही





क्या ये एक शादी समारोह प्रदेश में कुछ नए बन रहे सियासी रिश्तों की तरफ इशारा कर रहा है। नरेंद्र सिंह तोमर से रिश्तों में गाढ़ापन तो नजर ही रहा है। इसके अलावा विजयवर्गीय ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अपने रिश्तों को रिन्यू करने में भी जुटे हुए हैं। सिंधिया के कांग्रेस में रहते हुए दोनों नेता एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाए। अब दोनों के बीच जमकर दाल घुट रही है। खबर तो ये भी है कि पीएम मोदी को मनाकर विजयवर्गीय के फंक्शन में लाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। पीएम से संबंध सुधारने के लिए तोमर को ब्रिज बनाकर सहारा लेना। सिंधिया से संबंध मधुर करना क्या किसी नए सियासी समीकरण का इशारा है, जो सीएम शिवराज सिंह चौहान के लिए खतरे की घंटी भी हो सकते हैं। मंत्री तोमर के बंगले पर दावत, पीएम समेत पार्टी के तमाम आला नेता, सांसद और विधायकों की मौजूदगी क्या संकेत दे रही है।





क्या विजयवर्गीय पार्टी के प्रताड़ित नेताओं के साथ खड़े





बीजेपी के पुराने और माहिर राजनेता नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज तो साथ-साथ चलते नजर आते हैं। लेकिन विजयवर्गीय और सिंधिया का साथ जरूर शिवराज के दरबार में खटकने वाला रहा है। इतना ही नहीं कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले दिनों जयंत मलैया के अमृत महोत्सव में पहुंच कर भी दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगी। कहा कि वो मलैया पर पार्टी के फैसले से सहमत नहीं हैं। ये बयान क्या इस बात का इशारा था कि विजयवर्गीय पार्टी के प्रताड़ित नेताओं के साथ खड़े हैं या उन्हें ये इल्म है कि वो कभी भी इस लाइन का हिस्सा बन सकते हैं। उससे पहले ही उन्होंने ऐसा दांव खेल लिया कि एक बार फिर हाशिए से दूसरी तरफ आने का मौका उन्हें मिल सकता है।





क्या विजयवर्गीय को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी





पीएम मोदी का विजयवर्गीय के फंक्शन में शामिल होना निरर्थक नहीं माना जा सकता। मोदी जैसे नेता ने इतना समय इस समारोह को दिया है तो यकीनन इसके सियासी मायने बहुत बड़े ही होंगे। इनका असर धीरे-धीरे नजर आने लगेगा। फिलहाल तो इसे शिवराज की मुश्किलें बढ़ाने वाला वक्त ही माना जा रहा है। हालांकि ऐसा होगा या नहीं कहा नहीं जा सकता। पर अभी ये देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी के नर्म हुए रवैया का फायदा खुद विजयवर्गीय कितना ले पाते हैं। क्या पार्टी अब उन्हें प्रदेश से जुड़ी कोई नई और बड़ी जिम्मेदारी देती है या अब भी विजयवर्गीय बिना किसी जिम्मेदारी के बस राष्ट्रीय महासचिव का पद संभाले रह जाते हैं।



Madhya Pradesh News मध्यप्रदेश न्यूज Kailash Vijayvargiya and PM Narendra Modi Narendra Tomar and Jyotiraditya Scindia Chief Minister Shivraj Singh Chouhan in Madhya Pradesh BJP News Strike Harish Diwekar कैलाश विजयवर्गीय और पीएम नरेंद्र मोदी नरेंद्र तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश बीजेपी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान न्यूज स्ट्राइक हरीश दिवेकर