पुलिस ने बस ट्रेवल्स संचालक पर लगाया 500 रुपए रंगदारी वसूलने का मामला, जबलपुर हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, दी अग्रिम जमानत

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Rajeev Upadhyay
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पुलिस ने बस ट्रेवल्स संचालक पर लगाया 500 रुपए रंगदारी वसूलने का मामला, जबलपुर हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, दी अग्रिम जमानत

Jabalpur. जबलपुर हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए सरकार और गोहलपुर थाना प्रभारी को कड़ी फटकार लगाई है। मामला बस स्टैंड में चलो बस के कर्मचारियों की मारपीट का है। पुलिस ने इस मामले में एक निजी बस ट्रेवल्स के संचालक पर शराब पीने के लिए 500 रुपए रंगदारी वसूलने का मामला दर्ज कर लिया था। जिसमें आरोपी की ओर से हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी। सुनवाई के दौरान पुलिस और अभियोजन पक्ष की लापरवाही पर अदालत ने फटकार लगाते हुए सख्त टिप्पणी की और आरोपी को अग्रिम जमानत प्रदान की है। 



दुबे की जगह FIR में दर्ज किया तिवारी सरनेम



पुलिस ने इस मामले की एफआईआर में मां शारदा ट्रेवल्स के कर्मचारी आकाश तिवारी के नाम धारा 327, 323, 294 और 506 बी के तहत मामला दर्ज किया था। एफआईआर के बाद से ही पुलिस मां शारदा ट्रेवल्स के संचालक आकाश दुबे को गिरफ्तार करने उसके घर पर दबिश दे रही थी। जिससे परेशान पीड़ित ने सेशन्स कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 




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  • ट्रेवल्स संचालक आकाश दुबे की ओर से एडवोकेट देवेश शर्मा ने जस्टिस विवेक अग्रवाल की अदालत में दलील दी कि पुलिस ने जिस मां शारदा ट्रेवल्स के कर्मचारी आकाश तिवारी पर मामला दर्ज किया है, असल में वह ट्रेवल्स का मालिक है और अनेक बसों का मालिक है। पुलिस ने राजनैतिक दबाव में उस पर कंडक्टर और ड्राइवर से शराब पीने के लिए 500 रुपए रंगदारी वसूलने का मामला दर्ज किया है। एफआईआर में आरोपी का नाम आकाश तिवारी है जबकि पुलिस आकाश दुबे को परेशान कर रही है। जिस पर अदालत ने थाना प्रभारी गोहलपुर को तलब करते हुए सुनवाई को लंच के बाद के लिए टाल दिया। 



    थाना प्रभारी पूरक चालान लेकर हुए पेश



    लंच के बाद सुनवाई में थाना प्रभारी एक पूरक चालान लेकर अदालत में पेश हुए, जिसमें आरोपी का नाम आकाश तिवारी उर्फ आकाश दुबे लिखा हुआ था। जिस पर याचिकाकर्ता के वकील की ओर से आपत्ति उठाई गई। बचाव पक्ष की ओर से यह दलील दी गई कि व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के चलते सवारियां बैठाने को लेकर बस चालक और परिचालक अक्सर विवाद करते हैं लेकिन पुलिस ने दबाव या प्रलोभन वश याचिकाकर्ता पर इतनी गंभीर और गैरजमानती अपराध के तहत मामला दर्ज कर दिया। इस दौरान यह भी परखा नहीं गया कि आरोपी का असली नाम क्या है। अदालत ने उभयपक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत का लाभ प्रदान कर दिया।


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