Damoh. इंसान जब सभी प्रयास करके हार जाता है और कोई काम सफल नहीं होता तब वह अंत में भगवान की शरण में ही जाता है और उन्ही से मदद की गुहार लगाता है क्योंकि उसे विश्वास रहता है कि भगवान के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। ऐसा ही कुछ हुआ दमोह जिले की तेजगढ़ थाना अंतर्गत आने वाली इमलिया चौकी पुलिस के साथ। यहां रविवार की रात भैंसों से जुड़ा एक मामला पुलिस के पास आया था और दो पक्ष भैंसों पर अपना अधिकार जमा रहे थे। पुलिस ने मामला सुलझाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली और दोनों ही पक्ष अपनी बात पर कायम थे फिर क्या था पुलिस को भगवान की शरण लेनी पड़ी और चौकी में बने हनुमान मंदिर में पुलिस दोनों ही पक्षों को ले गई। यहां पहुंचते ही एक पक्ष ने सच का साथ देने का विचार किया और मामला सुलझ गया और दूसरे पक्ष को उसकी भैंसे मिल गईं।
एक साल पहले गायब हुई भैंस से जुड़ा है मामला
रविवार की रात सैकड़ों ग्रामीणों के साथ दो पक्ष एक पिकअप में भैसों को लेकर इमलिया पुलिस चौकी पहुंचे। एक पक्ष में इमलिया चौकी के सोमखेड़ा गांव निवासी वीरेंद्र पटैल थे और दूसरे पक्ष में पथरिया थाना के कोटखेड़ा गांव निवासी इंदर पटैल थे। जिन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी भैंसे एक वर्ष पूर्व गायब हो गई थी जो सागर जिले के देवरी थाना के सगोनी गांव में
मिली हैं। भैंस गुमने की शिकायत दोनों ने अपने-अपने थाना क्षेत्रों में दर्ज कराई थी। एक वर्ष बाद वीरेंद्र पटैल को पता लगा कि उनकी भैंसे सगोनी गांव के वीरेंद्र सेन के घर हैं तो वह अपनी भैंसे वहां से लेकर गांव सोमखेड़ा पहुंचे। इसकी जानकारी इंदर पटैल को लग गई तो वह वीरेंद्र पटैल के पास पहंुचा और अपनी भैंसे बताते हुए विवाद करने लगा। काफी देर तक यह विवाद चलता रहा इसके बाद दोनों पक्ष सैकड़ों ग्रामीणों के साथ भैंसों को पिकअप वाहन में लेकर इमलिया चौकी पहुंचे। जहां पुलिस के सामने दोनों ही पक्ष भैंसों पर अधिकार जताते रहे। करीब तीन घंटे तक यह विवाद चलता रहा, लेकिन पुलिस के सामने यह मामला नहीं सुलझ सका। फिर दोनों पक्ष चौकी परिसर में बने हनुमान मंदिर में पहुंचे जहां वीरेंद्र पटैल ने भगवान की शरण में पहुंचते ही सच्चाई का साथ दिया और भैंसे इंदर पटैल को सौंप दीं और मामला वहीं खत्म हो गया।
इमलिया चौकी प्रभारी आनंद अहिरवार ने बताया कि रविवार की शाम सैकड़ों ग्रामीणों के साथ वीरेंद्र पटेल निवासी सोमखेड़ा और इंदर पटैल निवासी कोटखेड़ा थाना पथरिया चौकी में पहंुचे। दोनों की भैंसे एक वर्ष पूर्व गुम गई थी जो सगोनी गांव में वीरेंद्र पटेल को मिल गई, लेकिन उसी समय इंदर पटेल भी वहां पहुंच गए और उन्होंने बताया कि वह भैंस उनकी हैं। दोनों पक्ष भैंसों पर अपना अधिकार जमा रहे थे बाद में सभी की सहमति से दोनों पक्षों को भगवान के दरबार में ले जाया गया जहां पर वीरेंद्र पटेल ने ईमानदारी दिखाते हुए इंदर पटैल को भैंसे सुपुर्द कर दी और मामला खत्म हो गया।