सत्ता-संगठन में फोटो पर बवाल, डॉक्टर ने डाली पूर्व मंत्री पर अड़ी तो महिला को लेकर भिड़े पीएस-कमिश्नर

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Vivek Sharma
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सत्ता-संगठन में फोटो पर बवाल, डॉक्टर ने डाली पूर्व मंत्री पर अड़ी तो महिला को लेकर भिड़े पीएस-कमिश्नर


हरीश दिवेकर, BHOPAL. 5 राज्यों में चुनाव का ऐलान होते ही देश में सियासी बयार बहने लगी है। इनसे लगे पड़ोसी राज्यों में अगले साल चुनाव होने से यहां की सियासत भी गरमाने लगी है। मंगलवार को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण होने वाला है, अभिनेता प्रभास खान और सैफ अली खान अपकमिंग आदिपुरुष को लेकर विवादों में है, फिल्म को रिलीज होने से रोकने के लिए दिल्ली कोर्ट में याचिका दायर की गई हैं। खबरें तो ओर भी हैं, हम आपको बताएंगे कि मध्यप्रदेश की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी के अंदर खाने में क्या चल रहा है। रोचक किस्से पढ़ने और हलचल जानने के लिए अब आप सीधे नीचे उतर आइए ।



सत्ता-संगठन में फोटो पर बवाल



सत्ता-संगठन के बड़े नेताओं में शह-मात का खेल जारी है, एक दूसरे को कमतर साबित करने चालें चली जा रही हैं। राजधानी में एक प्रभावी मंत्री और कददावर विधायक के आयोजनों में लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स भी इस खेल का हिस्सा बन गए। होर्डिंग्स में सत्ता हावी दिखी तो संगठन नदारद। चाहने वालों ने तत्काल भाईसाहब को फोटो भेजकर चुगली करते हुए लिखा आपके साथ राष्ट्रीय संगठन को भी दूर होर्डिंग में जगह नहीं दी गई। ये देखकर भाईसाहब भी दुखी हो गए, फोटो पर बवाल होता देख अब जानने वाले कह रहे हैं बात निकली है तो दिल्ली तक तो जाएगी ही। इस खेल में तेल किसका निकलेगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा। उधर कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में भी नवनि​र्वाचित अध्यक्ष का फोटो न लगाए जाने पर बवाल मचा था। मामला दिल्ली तक पहुंचा बाद में पीसीसी में गांधी परिवार के साथ अध्यक्ष को भी जगह मिल ही गई। 



गुना टू ग्वालियर-2024



क्या महाराज का प्लेन 2024 में गुना से ग्वालियर की उड़ान भरेगा। ये सवाल अब ग्वालियर बीजेपी के नेताओं के मुंह से सुना जा सकता है। हालांकि इसका जवाब सिर्फ महाराज दे सकते हैं या फिर हाईकमान। जवाब जो भी हो, लेकिन महाराज की ग्वालियर में बढ़ती सक्रियता ने बीजेपी नेताओं की बैचेनी तो बढ़ा रखी है। ग्वालियर में छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं के यहां पहुंचना, ग्वालियर के जल्दी जल्दी दौरे लगाना और ग्वालियर के अंदर बड़े माईल स्टोन खड़े करने का माहौल बनाने का दावा करना। ये साबित करता है कि ग्वालियर वापसी की तैयारी है। इधर ग्वालियर में वर्तमान सांसद रिपीट होना चाहते हैं तो अपने मुन्ना भैया मुरैना से ग्वालियर आना चाहते हैं। हालांकि अभी दो साल का वक्त है लेकिन राजनीति में गोटियां तो समय से पहले ही बैठाना होती है नहीं तो खेला होने का डर बना रहता है।  



डॉक्टर की पूर्व मंत्री पर अड़ी



मेडिकल कॉलेज के विवाद में पूर्व मंत्री उलझ गए हैं। कभी डॉक्टर इस कॉलेज के कर्ताधर्ता हुआ करते थे, बाद में उनकी हरकतों की वजह से उन्हें बाहर कर दिया गया। अब कॉलेज की कमान पूर्व मंत्री के हाथ में। डॉक्टर ने पूर्व मंत्री सहित कमेटी को अपने निवेश की सूची थमा दी है, डॉक्टर का कहना है कि मेरे 30 करोड़ लगे हैं, पैसे वापस करो नहीं तो मेडिकल कॉलेज नहीं चलने दूंगा। पूर्व मंत्री ने डॉक्टर को हल्के से लिया तो डॉक्टर ने दिल्ली शिकायत कर कॉलेज की मान्यता ही निरस्त करवा दी। अब पूर्व मंत्री कॉलेज की मान्यता लेने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। केन्द्र—राज्य में सरकार उनकी है, लेकिन उन्हें अपनों से मदद नहीं मिल रही। कारण उनके बेटे का पार्टी से विद्रोह करना है। अब मंत्री अपने व्यक्तिगत संबंधों और लक्ष्मी जी का उपयोग कर कॉलेज की बहाली का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं। 



महिला को लेकर पीएस-कमिश्नर ​भिड़े



महिला उप संचालक को लेकर विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त आपस में भिड़ गए हैं। ​दरअसल प्रमुख सचिव राजधानी से बाहर पदस्थ महिला अफसर को अपने पास लाना चाहते थे। आयुक्त ने संचालनालय में जगह खाली न होने की बात कहकर तबादला करने पर आ​पत्ति जताई। मामला मंत्री के पास तक गया। मंत्री ने दोनों की बात सुनी, प्रमुख सचिव से कहा कि संचालनालय से किसी अन्य को ​ले लीजिए, दूसरे जिले से महिला अफसर को बुलाने की क्या जरुरत है। प्रमुख सचिव ने एक बड़ी योजना का हवाला देते हुए उसी महिला अधिकारी को पदस्थ करने की ​बात कही। इसके बाद उन्होंने बड़े साहब को भरोसे में लेकर महिला अफसर को पहले संचालनालय में पदस्थ करवाया, बाद में एक अन्य आदेश जारी कर महिला अफसर को आगामी आदेश तक अपने पास पदस्थ करवा लिया। अब साहब और मैडम योजना को मूर्त रुप देने आराम से कैबिन में बैठकर अच्छे से प्लानिंग कर रहे हैं। 



युवा आईएएस में बैचेनी



2014 बैच के आईएएस अफसरों में कलेक्टर बनने को लेकर बैचेनी है। पिछले दो महीने से सिस्टम से खबर आती है कि अब कलेक्टरों के फेरबदल की लिस्ट जारी होगी, लेकिन लिस्ट है कि जारी होने का नाम ही नहीं ले रही। वहीं गृह विभाग ने 2016 बैच के आईपीएस अफसरों को एसपी बना दिया। अब जिन जिलों में 2016 बैच तक के आईपीएस एसपी हैं, वहां 2014 बैच के अफसर एडीएम बने हुए हैं। अपने से जूनियर अफसर के सामने सीनियर अफसर को प्रोटोकॉल के चलते छोटी पोस्ट का काम करने में शर्मिंदगी महसूस हो रही है। खरगौन में तो एसपी के बैच का अफसर उसके अधीन एडिशनल एसपी बना हुआ है। सिस्टम की सुस्ती मैदानी ऐसे अफसरों को भारी पड़ रही है।  

 



मंत्रालय में लेटे विष्णु



मंत्रालय में एक अहम विभाग में पदस्थ सीनियर आईएएस अफसर को लेटे विष्णु के नाम से जाना जाता है। जैसे आपने फिल्म और तस्वीरों में देखा होगा कि क्षीरसागर में विष्णु आराम की मुद्रा में लेटे हुए हैं। इसी तरह मंत्रालय में एक साहब अपने कक्ष में सोफे पर लेटे रहते हैं, लेटे लेटे ही फाइलें साइन होती हैं, अपने अधीनस्थों की मीटिंग भी साहब लेटे लेटे ही ले लेते हैं। बताया जाता है कि साहब की कमर में दर्द रहता है लेकिन जब बड़े साहब लोगों के साथ मीटिंग होती है तो साहब का दर्द गायब हो जाता है और वो लेटे से बैठे विष्णु बन जाते हैं। 



पीएचक्यू में डिस्कस की जलेबी



अब हर दूसरा पुलिस अफसर बोलने लगा है कि हमारे मुख्यालय में फाइलों पर डिस्कस लिखकर उसकी जलेबी बनाई जा रही है। मुखिया हैं कि कोई भी फैसला तत्काल लेने से परहेज करते हैं, फाइल को इतना ठोकते बजाते हैं कि कई बार उस काम का समय ही निकल जाता है। इन दिनों 1996 बैच के एसपीएस अफसरों को डिस्कस वाली जलेबी का डर सता रहा है। दरअसल एसपीएस से आईपीएस की डीपीसी का प्रस्ताव पीएचक्यू में इसी झमेले में अटका हुआ है। दावेदार अफसरों का मानना है कि यदि जल्द ही प्रस्ताव गृह विभाग तक नहीं पहुंचा तो उनका आईपीएस अवार्ड झमेले में पड़ सकता है।

 


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