/sootr/media/post_banners/4d1446419b127c8572fd2f09d708a56668aecca2f1c8077692e389f003ad2000.jpeg)
Jabalpur. जबलपुर में लोग जिस प्लास्टिक वेस्ट को कचरे में फेंक देते हैं, उस प्लास्टिक को रिसाइकिल कर रंग बिरंगे और आकर्षक गमले, टब और बाल्टियां बनाई जा रही हैं। शहर में इस काम में 15 इकाईयां स्थापित की गई हैं। वहीं लोगों को भी यह रंग बिरंगे टब, बाल्टियां, डस्टबीन और गमले पंसद आ रहे हैं। खास बात यह है कि इन 15 इकाइयों के जरिए सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
काफी ज्यादा प्रदूषण की हो रही रोकथाम
विभिन्न पर्यावरण संरक्षण में जुड़ी संस्थाएं सिंगल यूज प्लास्टिक और प्लास्टिक के कचरे को पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक मानते हुए इसके निपटारे को लेकर चिंतित हैं। यहां तक कि जलवायु परिवर्तन के लिए होने वाली समिट में भी प्लास्टिक के कचरे के निपटारे पर गहर विमर्श होता है। ऐसे में जबलपुर में चल रही प्लास्टिक रिसाइक्लिंग की ये यूनिट्स बड़ी मात्रा में होने वाले प्रदूषण की रोकथाम करने में भी जुटी हुई हैं। बता दें कि जबलपुर में घरों से निकलने वाले कचरे को जलाकर कठौंदा पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन हो रहा है। साथ ही ये प्लास्टिक रिसाइक्लिंग यूनिट्स स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान भी शहर की रैंकिंग बढ़ाने में काम आएंगी।
- यह भी पढ़ें
जबलपुर के अधारताल और रिछाई औद्योगिक क्षेत्र के अलावा कुदवारी, गोहलपुर और पाटन क्षेत्र में प्लास्टिक रिसाइक्लिंग के कारखाने स्थापित किए गए हैं। कम निवेश में यह बड़ा कारोबार जबलपुर में तेजी से पनप रहा है। और तो और शहर और आसपास के जिलों में इनके उत्पादों की पूछपरख भी है। कम कीमत होने की वजह से भी लोग इन्हें खरीदना पसंद कर रहे हैं।
घरों के डस्टबीन से होती है कच्चे माल की पूर्ति
आमतौर पर हर घर के डस्टबीन से निकलने वाले कचरे में एक बड़ा हिस्सा प्लास्टिक के कचरे का होता है। कैरी बैग हो या फिर खाली बोतल, या फिर किसी उत्पाद का रैपर सब कुछ प्लास्टिक का ही होता है। यह कचरा नदियों और नदियों के जरिए समुद्र में पहुंचकर बेहद प्रदूषण फैलाने का कारक बनता है। लेकिन शहर में स्थापित यूनिट्स इस कचरे को डस्टबीन से सीधे कलेक्ट कर उनको रिसाइकिल करने के काम में जुटी हुई हैं।
ऐसे होता है तैयार
कारोबारी सैयद कमर अली ने बताया कि रिसाइकिलिंग लायक प्लास्टिक को पहले इकठ्ठा किया जाता है। फिर उसे छोटे टुकड़ों में चक्की के माध्यम से तोड़ा जाता है। फिर उसकी लुगदी से प्लास्टिक की छडे़ं बनाई जाती हैं। इनमें कलर भी डाला जाता है। फिर महीन टुकडे़ काटकर इन्हें पिघलाया जाता है। उसके बाद जो चीजें बनाना है, उनके सांचों में यह पिघला पेस्ट डाला जाता है। फिर उत्पाद तैयार होते हैं।