मध्यप्रदेश में कोरोना से निपटने की तैयारी अधूरी, भोपाल में ऑक्सीजन प्लांट की बत्ती गुल, गुना-ग्वालियर में भी अव्यवस्थाएं

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Vijay Choudhary
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मध्यप्रदेश में कोरोना से निपटने की तैयारी अधूरी, भोपाल में ऑक्सीजन प्लांट की बत्ती गुल, गुना-ग्वालियर में भी अव्यवस्थाएं

Bhopal. मध्य प्रदेश के अस्पतालों में कोविड के नए वैरिएंट BF.7 से निपटने के लिए मॉकड्रिल हो रही है। स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा, आयुष, गैस राहत और केंद्र सरकार के हेल्थ इंस्टीट्यूट्स में मॉकड्रिल की जा रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, आइसोलेशन बेड कैपेसिटी, ऑक्सीजन फैसिलिटी वाले बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर बेड प्रॉपर हैं कि नहीं। इसकी जांच की जा रही है। राजधानी भोपाल गुना और ग्वालियर में अव्यवस्थाएं मिली हैं।





भोपाल के जेपी हॉस्पिटल में मॉकड्रिल के दौरान बड़ी चूक सामने आई। हॉस्पिटल कैंपस में लगे 2 ऑक्सीजन प्लांट में से एक PSA प्लांट की बिजली सप्लाई केबल पीछे से कट गई। हॉस्पिटल की नई बिल्डिंग के कंस्ट्रक्शन वर्क के चलते केबिल कट गई और PSA प्लांट में मेजर फॉल्ट हो गया। डेढ़ महीने से प्लांट बंद था। जब सरकार ने मॉकड्रिल के निर्देश दिए, तब जाकर L&T कंपनी के इंजीनियर पहुंचे और प्लांट की रिपेयरिंग शुरू की। मॉकड्रिल के दौरान भी इंजीनियर प्लांट को दुरुस्त करने में जुटे रहे।









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ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मंडरा रहा कोरोना का खतरा





इंदौर में अगले महीने प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट है। कोरोना का खतरा भी मंडरा रहा है। सीएमएचओ डॉ. बीएस सेतिया ने शहर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर जायजा लिया। वे टीम के साथ हुकुमचंद पॉलीक्लिनिक, पीसी सेठी अस्पताल समेत कई अस्पताल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने ऑक्सीजन प्लांट की हालत देखी और अपने सामने संचालन कराया।





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GPS सिस्टम से मॉनिटरिंग की जा रही 





हमीदिया अस्पताल भोपाल में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग पहुंचे। यहां ऑक्सीजन प्लांट की कैपेसिटी 2000 एलपीएम (लीटर पर मिनट) है। 1498 बेड हैं। इनमें से 1045 ऑक्सीजन सर्पोटेड हैं। मंत्री ने कहा, ऑक्सीजन प्लांट में 24 घंटे GPS सिस्टम से मॉनिटरिंग की जा रही है।





भोपाल के कोलार का आइसोलेशन वार्ड जनरल वार्ड में तब्दील





आइसोलेशन वार्ड अब जनरल वार्ड में तब्दील हो चुका है। यहां 20 बेड हैं। कोविड पेशेंट को भर्ती करने और इलाज देने के लिए कोई भी जरूरी इंतजाम नहीं दिखे। दिखाने के लिए दो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, दो पलंगों के नीचे रखे हुए हैं, जो बंद है। ऑक्सीजन प्लांट से कनेक्ट सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन बंद है। इस लाइन में मरीज को ऑक्सीजन देने के लिए लगाए गए पॉइंट पर ऑक्सीजन मास्क, ऑक्सीजन पाइप भी नहीं है। अस्पताल को कोविड-19 पीड़ितों के इलाज के लिए सी-पैप भी दिए गए थे। यह सी-पैप भी अब वार्ड से गायब हैं। पूछने पर अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट प्रभारी अरविंद अहिरवार कहते हैं, मॉकड्रिल केवल ऑक्सीजन प्लांट की है। प्लांट 95% शुद्ध ऑक्सीजन जनरेट कर रहा है। जब मरीजों को भर्ती कर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी, प्लांट से वार्ड में ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। अभी वार्ड में बिछाई गई सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन को जंबो सिलेंडर से कनेक्ट कर ऑक्सीजन की सप्लाई दे रहे हैं।





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ग्वालियर में खानापूर्ति ही रही कोरोना नियंत्रण की मॉक ड्रिल





ग्वालियर में स्वास्थ्य विभाग ने कोविड प्रोटोकॉल के तहत मॉकड्रिल का आयोजन किया। इसमें हजीरा सिविल अस्पताल में मॉकड्रिल के दौरान ही स्वास्थ्य विभाग की गंभीरता की पोल खुलती दिखाई दी। यहां मॉकड्रिल के दौरान न तो स्वास्थ्य कर्मी और डॉक्टर पीपीई किट या मॉस्क लगाए नजर आए और ना ही मॉकड्रिल में निरीक्षण कर रहे अधिकारियों ने ही इसकी सुध रखी। आधी अधूरी तैयारियों के बीच अधिकारियों ने यह मॉक ड्रिल की।





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सांसद शेजवलकर ने चिंता जताई





उधर ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कोरोना को रोकने की तैयारियों को लेकर अप्रसन्नता और चिंता जताते हुए कलेक्टर को चिट्ठी भी लिखी है। शेजवालकर ने चिट्ठी लिखकर कहा है कि कई अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट,ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर,और वेनिटलेटर समेत कई मशीनों  का बन्द होना चिंताजनक है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने भी इस पर चिंता जाहिर की है।





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गुना में सक्शन पंप का स्टार्टर खराब





गुना जिला अस्पताल में बने 3 ऑक्सीजन प्लांट में 2 में ऑक्सीजन का प्योरिटी लेवल 90 से ऊपर रहा। एक प्लांट में शुरुआत में 88 आया। इसके अलावा सक्शन पंप का स्टार्टर खराब मिला। इसके स्विच काम नहीं कर रहे थे। CMHO ने स्टार्टर को बदलने के निर्देश दिए। बेड और ICU में ऑक्सीजन का प्रेशर पर्याप्त रहा। सागर जिला अस्पताल में 1 हजार लीटर का ऑक्सीजन प्लांट चेक किया गया। प्योरिटी 93.5% मिली। बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई होते हुए मिली।





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MP में ऐसी है कोरोना से निपटने की तैयारी



 







  • ऑक्सीजन सप्लाई के लिए सरकारी अस्पतालों में केंद्र सरकार और अन्य सोर्स से मिले 98 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट चालू हालत में हैं। इनसे 183 मीट्रिक टन डेली ऑक्सीजन तैयार हो सकती है। 



  • प्रदेश भर में 47 एलएमओ (लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन) टैंक एक्टिव हैं, जिनकी कुल ऑक्सीजन स्टोरेज कैपेसिटी 337 मीट्रिक टन है।


  • प्रदेश के चिह्नित सरकारी अस्पतालों में 17,361 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं, जिनकी प्रोडक्शन कैपेबिलिटी 219 मीट्रिक टन है।


  • चिह्नित सरकारी अस्पतालों में 35,190 ऑक्सीजन सिलेंडर हैं। इनकी स्टोरेज कैपेसिटी 196.8 मीट्रिक टन है।(इन सभी को मिलाकर प्रदेश की कुल ऑक्सीजन कैपेसिटी 935.8 मीट्रिक टन है।)


  • प्रदेश के 49 जिला अस्पतालों, 4 सिविल अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन्स भी संचालित हैं।


  • प्रदेश की कुल कोविड टेस्टिंग क्षमता 124320 प्रतिदिन है।


  • कोविड टेस्ट के लिए 13 मेडिकल कॉलेज, 5 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और 6 राष्ट्रीय संस्थानों समेत कुल 33 लैब एक्टिव हैं।


  • कोविड पॉजिटिव सैंपल्स की होल जीनोम सीक्वेंसिंग (WGS) के लिए इन्साकोग (INSACOG) के अंतर्गत 2 लैब- एम्स भोपाल और डीआरडीई ग्वालियर हैं।


  • इन लैब में हर महीने 1200 सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग की जा सकती है।publive-image




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