देव श्रीमाली,GWALIOR. आगामी 16 अप्रैल को ग्वालियर में अंबेडकर जयंती पर आयोजित होने वाली दलित समागम की तैयारियों में पूरा प्रशासन और बीजेपी भी जुटी है। वैसे तो इसके मुख्य अतिथि राज्यपाल मंगू भाई पटेल होंगे और यह पूरी तरह सरकारी आयोजन है। लेकिन इसके पीछे की असल वजह विधानसभा चुनाव है। प्रशासन और पार्टी ने इसमें एक लाख की भीड़ जुटाने का टारगेट तय किया है। इसके लिए ढाई हजार बसें परिवहन विभाग से मांगी हैं। अब परिवहन आयुक्त ने अनुसूचित जाति विभाग को चिट्ठी लिखकर छह करोड़ रुपए मांगे हैं। इसकी चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कांग्रेस चुनावों के लिए सरकारी पैसे के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है। यहां बता दें, यहां तो केवल अंबेडकर जयंती समारोह में ट्रांसपोर्टेशन पर होने वाले खर्च का जिक्र हुआ है। इस आयोजन के खाना रहने आदि के अन्य खर्चों को मिलाकर अनुमानित राशि इससे कई गुना खर्च होने वाली है।
16 अप्रैल को होना है दलित महाकुंभ
कार्यक्रम, आगामी 16 अप्रैल को भीमराव अंबेडकर के जन्मदिन के उपलक्ष्य में ग्वालियर व्यापार मेला परिसर में आयोजित होना है। इसमें एक लाख लोग जुटाने का लक्ष्य है। इस महाकुंभ में मुख्य अतिथि तो राज्यपाल होंगे लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ,केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया , प्रदेश के सभी दलित मंत्री और बीजेपी के सभी दलित नेता एक मंच पर मौजूद करने का लक्ष्य है।
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क्यों आयोजित हो रहा है यह कार्यक्रम
वैसे तो यह आयोजन सरकारी है, लेकिन इसकी असली बजह अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दलितों के वोटों को लेकर बीजेपी की चिंता है । 2018 में हुए जातिगत संघर्ष के बाद पूरे ग्वालियर-चंबल अंचल का दलित वोटर बीजेपी से छिटक गया है। तब अंचल की सभी आरक्षित सीटें बीजेपी हार गई थी सिर्फ एक गुना जिले की एक सीट को छोड़कर। उपचुनाव में भी डबरा, और करैरा सीट में भी बीजेपी हार गई। भांडेर में भी बहुत ही मामूली अंतर से जीत मिली। दलितों की बीजेपी से यह दूरी नगर निगम चुनावों में भी देखने को मिली। यही वजह है कि बीजेपी उनकी नाराजी दूर करने के लिए यह दलित महाकुंभ आयोजित करने जा रही है।
परिवहन आयुक्त ने मांग लिए छह करोड़
लेकिन अब परिवहन आयुक्त द्वारा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को लिखा एक पत्र वायरल हो रहा है, इसके बाद यह आयोजन चर्चा का विषय बन गया। परिवहन आयुक्त एस के झा द्वारा 6 अप्रैल को लिखे इस पत्र में लिखा है कि बाबा अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में ग्वालियर में आयोजित होने जा रहे आयोजन में ग्वालियर-चंबल अंचल के आठ जिलों से एक लाख अनुयायियों को लाने का तय हुआ है। इसके लिए नियमानुसार 2500 बसें अधिग्रहित करना है। अधिग्रहण के नियमों के आधार पर 6 करोड़ 18 लाख रुपए का व्यय होगा। नियम के अनुसार इस राशि का अस्सी फीसदी यानी 4 करोड़ 94 लाख 40 हजार रुपए अग्रिम आवंटित करें।
कांग्रेस बोली- सियासत के लिए धन की बर्बादी
अब इस मामले पर कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का आरोप है कि बीजेपी के राज में और उसकी दोगली नीतियों ने प्रदेशभर के दलितों को उससे अलग कर दिया है । अब वह सरकारी खजाने से सरकारी मंच पर दलितों को पटाने की सोच रहा है। जिसमें वह सफल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इस आयोजन पर दलितों के कल्याण के लिए निर्धारित पैसे में से 100 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। जबकि यह धनराशि अनुसूचित जाति के बच्चों की पढ़ाई, उनके कल्याण पर खर्च होनी चाहिए थी, ताकि उनका जीवन स्तर सुधरता। लेकिन उसे अपने वोट बैंक के स्तर को सुधारने की चिंता है। उन्होंने कहा, दो विभाग के बीच संवाद के पत्र से तो केवल ट्रांसपोर्टेशन खर्च सामने आया है। इसके अलावा खाना, रहना एवं अन्य सभी खर्चों को मिला कर एक लाख लोगों पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च आएगा।