रायसेन में धर्म बदलने का दबाव, आदिवासी ने चर्च जाना छोड़ा तो हाथ तोड़ा; 3 आरोपियों के खिलाफ FIR

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Rahul Garhwal
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रायसेन में धर्म बदलने का दबाव, आदिवासी ने चर्च जाना छोड़ा तो हाथ तोड़ा; 3 आरोपियों के खिलाफ FIR

पवन सिलावट, RAISEN. रायसेन के सालेगढ़ में एक आदिवासी ने चर्च जाना छोड़ दिया तो ईसाई मिशनरी के कुछ लोगों ने उसके साथ मारपीट की। मारपीट में आदिवासी का हाथ टूट गया। पीड़ित परिवार ने जब सुल्तानपुर थाने में शिकायत की तो केस दर्ज नहीं किया गया। बाल संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के दखल के बाद आदिवासी की सुनवाई हुई।



ईसाई मिशनरी ने कराया धर्म परिवर्तन



सुल्तानपुर क्षेत्र के ग्राम सालेगढ़ में एक आदिवासी परिवार का ईसाई मिशनरी ने धर्म परिवर्तन करा दिया गया था और बच्चों के नाम भी बदल दिए गए थे लेकिन जब उस आदिवासी ने हिंदू धर्म में वापसी कर ली और चर्च जाना छोड़ दिया तो ईसाई मिशनरी के कुछ लोगों ने उस पर दबाव बनाया और फिर भी वो नहीं माना तो उससे और उसके परिवार के साथ मारपीट की। इस दौरान आदिवासी का हाथ टूट गया।



बाल संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दखल के बाद सुनवाई



पीड़ित परिवार ने पूरे मामले में शिकायत सुल्तानपुर थाने में की तो थाने में केस दर्ज नहीं किया गया। वहीं जब धर्म परिवर्तन के मामले की जानकारी बाल संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो को लगी तो कानूनगो ने सुल्तानपुर आकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्होंने सीडब्ल्यूडी के सामने परिवार के बयान भी कराए। इसके साथ ही पुलिस के माध्यम से पीड़ित परिवार को सुल्तानपुर थाने बुलवाया गया और बयान दर्ज कराए गए। बयान दर्ज होने के बाद पीड़ित परिवार की शिकायत पर 3 लोगों के खिलाफ धर्म परिवर्तन की धाराओं के साथ एफआईआर दर्ज की गई।



गौहरगंज में धर्म परिवर्तन के मामले में कार्रवाई नहीं



भोजपुर विधानसभा के गोहरगंज के बाल कल्याण में ऐसा ही एक मामला सामने आया था। इसको लेकर भी लोगों ने काफी आवाज उठाई थी लेकिन धर्म परिवर्तन कराने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई। खुलासे के बाद बच्चों को परिजन को सौंप दिया गया था।



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आदिवासियों को बहकाकर कराया जाता है धर्म परिवर्तन



आदिवासी बाहुल्य साढ़े बारह गांव जो पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा ने अपने कार्यकाल में गोद लिया था लेकिन आज भी यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। मान-सम्मान और शिक्षा पाने के लिए भोलेवाले आदिवासी और भील समाज के लोग ईसाई मिशनरी के लोगों की बातों में आ जाते हैं। बच्चों को मुफ्त शिक्षा और अपने लिए मान-सम्मान पाकर खुश हो जाते हैं और धर्म परिवर्तन करा लेते हैं।

 


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