MP: प्राइवेट स्कूलों ने SC के आदेश की धज्जियां उड़ाईं, पोर्टल पर फीस का ब्योरा अपलोड नहीं

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MP: प्राइवेट स्कूलों ने SC के आदेश की धज्जियां उड़ाईं, पोर्टल पर फीस का ब्योरा अपलोड नहीं

राहुल शर्मा, भोपाल. निजी स्कूलों द्वारा कोरोनाकाल में वसूली गई फीस के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों को वर्ष 2020-21 की फीस मदवार पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए थे। जानकारी 3 सितंबर तक अपलोड होनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की डेडलाइन खत्म होने के 4 दिन बाद भी जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं हो सकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अव्हेलना का डर किसी को नहीं है। आलम यह है कि राजधानी में ही मात्र 3.69 प्रतिशत स्कूल ही जानकारी अपलोड कर सकें हैं तो प्रदेश के अन्य जिलों की क्या स्थिति रही होगी, यह समझा जा सकता है। भोपाल (Bhopal private school) में 2548 निजी स्कूल हैं। केवल 94 स्कूल ही जानकारी अपलोड (Private school fees) कर सके हैं, जबकि राजधानी में विभाग के तमाम जिम्मेदार अधिकारी बैठे हुए हैं, इसके बाद भी यह स्थिति बनी हुई है।

टीकमगढ़ अव्वल, आगर और बड़वानी फिसड्डी

पूरे प्रदेश में वैसे तो फीस अपलोड की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती, फिर भी 7 सितंबर की अपडेट स्थिति की बात करें तो टीकमगढ़ (Tikamgarh) अव्वल है। यहां 506 स्कूलों में से 125 यानि 24.7 प्रतिशत निजी स्कूलों ने फीस (School fees) का ब्यौरा अपलोड कर दिया है। वहीं, बड़वानी और आगरमालवा में यह जानकारी एक भी निजी स्कूल ने नहीं दी है। साथ ही बैतूल, छिंदवाड़ा दमोह, हरदा, शाजापुर, शिवुपरी, उज्जैन वह जिले हैं जहां एक प्रतिशत स्कूल भी जानकारी अपलोड नहीं कर सके हैं। इसके अलावा जानकारी अपलोड करने में इंदौर 2.22, जबलपुर 6.18, ग्वालियर (Gwalior) 1.21 और भोपाल 3.69 फीसदी ही जानकारी अपलोड कर सका है। 

देरी को लेकर दोषी कौन...

पालक महासंघ के महासचिव प्रबोध पांडे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी सरकार की है। वैसे भी फीस को लेकर जो कानून बना है उसमें तीन साल की फीस अपलोड होनी है। यह एक सतत प्रक्रिया है। पर सरकार इसे लेकर कभी गंभीर रही ही नहीं।  

'स्कूलों के पास ऑडिट रिपोर्ट नहीं'

एसोसिएशन फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स के संस्थापक दीपक सिंह राजपूत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल मदवार जानकारी अपलोड करने को कहा था, पर शिक्षा विभाग (Education Department) ने ऑडिट रिपोर्ट तक मांग ली। कोविड (corona) के कारण अधिकतर स्कूलों के पास ऑडिट रिपोर्ट नहीं थी, इसलिए देरी हो रही है। हर साल पोर्टल पर वैसे भी विभाग को फीस की मदवार जानकारी दी ही जाती है, यह चाहते तो खुद भी अपलोड कर सकते थे, पर शासन ने सुप्रीम कोर्ट के सामने यह पक्ष रखा ही नहीं।

तकनीकी दिक्कत के कारण देरी- DEO

जिला शिक्षा अधिकारी भोपाल (Bhopal DEO) नितिन सक्सेना ने कहा कि तकनीकी दिक्कतों के कारण फीस की जानकारी अपलोड करने में देरी हो रही है। कुछ ने ऑफलाइन जानकारी भेज दी है। जल्द से जल्द जानकारी अपलोड हो जाएगी।

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