जबलपुर में निजी स्कूलों ने नहीं किया नियमों का पालन, पोर्टल में अपलोड नहीं किए वचनपत्र, लोक शिक्षण संचालनालय में भेजी शिकायत

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में निजी स्कूलों ने नहीं किया नियमों का पालन, पोर्टल में अपलोड नहीं किए वचनपत्र, लोक शिक्षण संचालनालय में भेजी शिकायत

Jabalpur. जबलपुर में निजी स्कूलों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। राज्य सरकार ने निजी स्कूलों के लिए नियम तो कई बनाए लेकिन नियमों का पालन हो रहा है कि या नहीं, यह देखने की जहमत कोई नहीं उठा रहा। बता दें कि 2 दिसंबर 2020 को सरकार ने यह नियम जारी किए थे, जिनके तहत निजी स्कूलों को पोर्ट पर फीस संरचना, 3 साल का लेखा, पुस्तकें, यूनिफार्म, स्कूल बस आदि की जानकारियां अपलोड करना अनिवार्य किया गया था। लेकिन निजी स्कूल अभिभावकों को अंधेरे में रखकर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। 





लोक शिक्षण संचालनालय का भी पोर्टल बंद





इस मामले में सरकार की ओर से भी लापरवाही बरती जा रही है। लोक शिक्षण संचालनालय का स्वयं का पोर्टल ही महीनों से बंद पड़ा है, लेकिन महकमे ने इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया। इस गफलत को लेकर मध्यप्रदेश नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने संचालनालय को चिट्ठी लिखी है और 7 दिन के अंदर आवश्यक कार्रवाई करने का निवेदन किया है। मंच ने इस पूरे मामले में सांठगांठ के भी आरोप लगाए हैं। मंच ने बताया है कि यदि 7 दिन के भीतर आवश्यक कार्रवाई नहीं होती तो वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। 







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  • ये हैं नियम







    राज्य सरकार द्वारा जारी नियमों की फेहरिस्त में नियम 3 कहता है कि निजी स्कूलों को 90 दिनों के भीतर सभी प्रारंभिक और संपरीक्षित लेखों की जानकारी देना होगी। प्रस्तावित फीस संरचना में वृद्धि 10 प्रतिशत या उससे कम है- इसकी जानकारी सत्र शुरू होने से पूर्व में देना होगी। नियम 6 के तहत पुस्तकें, यूनिफार्म, स्कूल बस आदि संबंधी प्रावधानों का पालन किया जाएगा, ऐसा वचन पत्र पोर्टल पर अपलोड करना होगा। लेकिन अब जब संचालनालय का पोर्टल ही बंद है, तो उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मामले में सांठगांठ की आशंका जाहिर की है। 





    संचालनालय को भेजी चिट्ठी का मजमून





    नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने लोक शिक्षण संचालनालय को लिखी चिट्ठी में कहा है कि 2020 में जारी नियमों का पालन कराने में संचालनालय की ओर से जबरदस्त लापरवाही बरती है, क्योंकि उसका स्वयं का पोर्टल महीनों से बंद पड़ा है। समूचे मामले में सांठगांठ है या लापरवाही क्योंकि नियमों का उल्लंघन जानबूझकर कराए जाने की आशंका है। 



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