भोपाल में खत्म नहीं हो रही आकृति होमबायर्स की मुश्किलें! आकृति की प्रॉपर्टी मिली नहीं और निगम लगाता रहा टैक्स, कुर्की की नौबत आई

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Rahul Sharma
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भोपाल में खत्म नहीं हो रही आकृति होमबायर्स की मुश्किलें! आकृति की प्रॉपर्टी मिली नहीं और निगम लगाता रहा टैक्स, कुर्की की नौबत आई

BHOPAL. भोपाल में आकृति के साथ मिलकर अपने घर का सपना देखना मानो लोगों के लिए सबसे बड़ा गुनाह हो गया हो। आकृति में मकान बुक कराने वालों की समस्याएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। एक ओर लाखों रुपए देने के बाद भी लोगों को अब तक अपनी प्रॉपर्टी नहीं मिली है, वहीं दूसरी ओर भोपाल नगर निगम यानी बीएमसी ने सालों तक टैक्स नहीं चुकाने पर लोगों को कुर्की तक के नोटिस भेज दिए हैं। कुल मिलाकर आकृति में इन्वेस्ट करने वालों पर दोहरी मार पड़ गई। एक ओर अपने अधिकार के लिए वे आकृति बिल्डर के खिलाफ देश की सर्वोच्च अदालत में केस लड़ ही रहे हैं, दूसरी ओर तगड़ा टैक्स और पेनाल्टी लगने पर वे अब भोपाल नगर निगम के भी चक्कर लगा रहे हैं।



रेरा एक्ट के तहत जब तक पजेशन नहीं तब तक टैक्स नहीं



पूरे देश में रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम (RERA Act) 2016 लागू है। इस एक्ट की धारा-11 की उपधारा 4(g) कहती है कि जब तक बिल्डर ग्राहक को पजेशन नहीं दे देती, तब तक सभी तरह के टैक्स चाहे वो प्रॉपर्टी टैक्स हो या बिजली-पानी का शुल्क, इसे देने की जिम्मेदारी संबंधित बिल्डर को है, लेकिन आकृति के मामले में नगर निगम ने बिल्डर को बचाते हुए उन प्रॉपर्टी पर ही भारी भरकम टैक्स थोप दिया है, जो ग्राहकों को आज तक मिली ही नहीं।



रजिस्ट्री होते ही बीएमसी ने शुरू कर दिया टैक्स लगाना



आकृति के अलग-अलग प्रोजेक्ट में हजारों लोगों के करोड़ों रुपए फंसे हुए हैं। कई प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू नहीं हुआ तो कई का निर्माण अधर में लटका है। लोगों ने जब एक निर्धारित राशि आकृति बिल्डर को दी तो उसके बाद सेल डीड या यूं कहे कि सिर्फ कंडीशनल रजिस्ट्री हुई। कुल मिलाकर लोगों को पजेशन नहीं मिला, जिसकी वे लंबे समय से लड़ाई लड़ भी रहे हैं। इधर भोपाल नगर निगम ने रजिस्ट्री होते ही प्रॉपर्टी ओनर पर टैक्स लगाना शुरू कर दिया। जब लंबे समय तक ये टैक्स नगर निगम तक नहीं पहुंचा तो लोगों को कुर्की तक के नोटिस पहुंचा दिए। भोपाल नगर निगम के कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी का कहना है कि नगर निगम को अधिकार है कि वह प्रॉपर्टी टैक्स वसूले। चाहे ग्राहक को पजेशन मिला हो या नहीं।



कंडीशनल हुई है रजिस्ट्री



आकृति में जिनकी प्रॉपर्टी फंसी है उनमें से अधिकतर के पास सेल डीड के रूप में कंडीशनल रजिस्ट्री है। ऐसे ही एक होमबायर की रजिस्ट्री द सूत्र के पास भी है। इस रजिस्ट्री के 10वें पॉइंट पर स्पष्ट लिखा है कि पजेशन मिलने तक होमबायर्स का इस प्रॉपर्टी पर कोई भी अधिकार नहीं रहेगा। भानु यादव कहते हैं कि जब सेल डीड में ही लिखा है कि पजेशन मिलने तक प्रॉपर्टी पर हमारा कोई अधिकार नहीं है तो फिर टैक्स की जिम्मेदारी हमारी कैसे हो सकती है।



क्या रेरा एक्ट के ऊपर बीएमसी चला सकती है अपना कोई रूल



रेरा एक्ट में तो स्पष्ट नियम दिया गया है तो यहां सवाल यह खड़ा होता है कि क्या रेरा एक्ट के उपर बीएमसी अपना कोई रूल लागू कर सकती है तो जवाब है बिल्कुल नहीं। आकृति के एक होमबायर भानु यादव से जब द सूत्र ने इस मामले में बात कि तो भानु यादव ने कहा कि रेरा एक्ट पूरे देश में लागू है जो एक तरह से सेंट्रल का एक्ट है। कोई भी बीएमसी इसके उपर अपना रूल लागू नहीं कर सकती, इसलिए भोपाल नगर निगम जो टैक्स के नोटिस भेज रही है वे पूरी तरह से अवैध हैं।



नगर निगम की वजह से इस तरह लोग हो रहे परेशान



आकृति बिल्डर की धोखाधड़ी के शिकार हजारों लोग हुए। प्रॉपर्टी तो आज तक नहीं मिली, लेकिन उसका टैक्स जमा नहीं करने के कारण नीलामी तक की नौबत आ गई। दैनिक भास्कर में 11 जनवरी 2023 में नगर निगम भोपाल ने ऐसे बकायादारों की सूची प्रकाशित करवाई, जिन्होंने सालों से टैक्स नहीं भरा और उनकी प्रॉपर्टी को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसमें आकृति एक्वासिटी की भी प्रॉपटी थी, जो आज तक होमबायर्स को मिली ही नहीं है। इसी सूची के 64वें नंबर पर सुभाष कुमार का नाम है। ये भोपाल के चूनाभट्टी इलाके कृष्णा सोसाइटी में रहते हैं। सुभाष कुमार एसबीआई बैंक से रिटायर हैं और भरे मन से कहते हैं कि आकृति के चक्कर में नगर निगम ने हमारी जो बेइज्जती की वो कभी नहीं हुई और इसे मामले को कोर्ट ले जाएंगे। सुभाष कुमार ने बताया कि उन्होंने आकृति की एक्वासिटी में नवंबर 2011 में बंगला बुक किया था, जिसकी रजिस्ट्री 2012 में हुई। इस दौरान उन्होंने प्रॉपर्टी वैल्यू का 70 प्रतिशत यानी 32 लाख अमाउंट दे दिया था। बंगले की कीमत 47 लाख रुपए थी। 2015 तक काम चलता रहा तो करीब 10 लाख रुपए और दे दिए। मतलब 47 लाख की प्रॉपर्टी का 42 लाख पेमेंट 2015 में ही कर दिया था, लेकिन उसके बाद काम रुक गया। पजेशन कभी मिला ही नहीं और खंडहर हो चुके स्ट्रक्चर का नगर निगम ने 47 हजार का टैक्स निकाल दिया, साथ ही कुर्की का नोटिस भेज दिया। इसके बाद उन्होंने नगर निगम कमिश्नर के 4 से 5 चक्कर लगाए। रेरा एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया, पर अधिकारी नहीं माने।



बीएमसी के खिलाफ दायर हो सकती है सुप्रीम कोर्ट की अवमानना याचिका



एक्वासिटी वेलफेयर सोसाइटी ने आकृति बिल्डर हेमंत सोनी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई थी। जिसमें 17 अक्टूबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने आकृति बिल्डर को होमबायर्स को पूरा पैसा लौटाने का आदेश दिया था। ब्याज सहित पूरा पैसा लौटाने का सामान्य शब्दों में अर्थ ये होता है कि होमबायर्स अब प्रॉपर्टी नहीं लेना चाहते और इनका अब कोई लीगल राइट उस प्रॉपर्टी पर नहीं होगा। देश में न्यायिक व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा कुछ नहीं, मतलब सभी विभागों को इसके आदेश का पालन करना था। भोपाल नगर निगम ने इसके उलट 11 जनवरी 2023 को अखबारों में आकृति एक्वासिटी के कुछ होमबायर्स की प्रॉपर्टी के कुर्की के नोटिस प्रकाशित करवा दिए। भानु यादव कहते हैं कि ये सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। बीएमसी को किसी तरह का टैक्स लेने का अधिकार नहीं है। हमने इस संबंध में बीएमसी के अधिकारियों को मेल किए लेकिन जवाब नहीं आया। यदि हम पर कोई टैक्स थोपा जाता है तो हम सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगाएंगे।



वीडियो देखने के लिए क्लिक करें.. आकृति ग्रुप के साथ नगर निगम भी दे रहा लोगों को धोखा, पीड़ितों ने लगाए गंभीर आरोप



GST कैंसल फिर भी मेंटेनेंस के नाम पर 2 साल से वसूल रहे टैक्स



आकृति बिल्डर ने आकृति की सोसाइटी में मेंटेनेंस करने के लिए एक फर्म बनाई जिसको आर्मस (ARMS) यानी आकृति रियलस्टेट मेटेनेंस सर्विस नाम दिया गया। आर्मस ही आकृति की सभी सोसाइटी में मेंटेनेंस का काम देखती है। इसके लिए 1 जुलाई 2017 को जीएसटी रजिस्ट्रेशन 23ABAFA1155F1Z6 लिया गया, लेकिन स्वत: संज्ञान लेकर जीएसटी डिपार्टमेंट ने 31 दिसंबर 2020 को आर्मस के जीएसटी रजिस्ट्रेशन 23ABAFA1155F1Z6 को कैंसल कर दिया गया। बावजूद इसके आर्मस हर महीने मेंटेनेंस का नाम पर जीएसटी चार्ज वसूल रही है जो कि गैरकानूनी है। लोगों से SGST (9 प्रतिशत) और CGST (9 प्रतिशत) वसूला जा रहा है जो 196 रुपए से लेकर 230 रुपए तक है। खास बात ये है कि बिल में बकायदा जीएसटी रजिस्ट्रेशन 23ABAFA1155F1Z6 लिखा हुआ है, जबकि ये कैंसल हो चुका है। सूत्रों ने बताया कि आर्मस अब भी आकृति बिल्डर हेमंत सोनी की ही देखरेख में काम करती है और इसका पैसा उन्हीं के पास जाता है।


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