इंदौर के बाद भोपाल में भी सिंधी समाज ने अरदास कर लौटाया श्री गुरूग्रंथ साहिब..., बोले निहंगों ने किया दरबार में मूर्तियों का अपमान

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The Sootr
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इंदौर के बाद भोपाल में भी सिंधी समाज ने अरदास कर लौटाया श्री गुरूग्रंथ साहिब..., बोले निहंगों ने किया दरबार में मूर्तियों का अपमान

संजय गुप्ता, BHOPAL. सिंधी समाज और सिख समाज के बीच गुरू ग्रंथ साहिब को लेकर इंदौर से शुरू हुए राष्ट्रव्यापी विवाद का असर अब भोपाल में भी दिख रहा है। 8 फरवरी, बुधवार को संत नगर भोपाल में संत वासुराम सेवा समिति ने संत वासुराम दरबार में विराजित श्री गुरु ग्रंथ साहिब को विधिवत पूजा पाठ कर ससम्मान विदा किया। पावन स्वरूप लेने आए ग्रंथी व उनके साथ आई सिख संगत को पखर पहना कर प्रसाद दिया गया एवं सनातनी अरदास की गई। 



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समिति ने किया पत्र जारी 



समिति ने एक पत्र भी जारी किया। इसमें लिखा गया है कि निहंगों द्वारा हमारे दरबार में आकर दखलंदाजी की जाती है और अमर्यादित शब्दों का प्रयोग कर हमारे भगवान व गुरू परंपरा की मूर्तियों का अपमान किया जाता हैं। हाल ही में इंदौर में भी इन्हें मर्यादापूर्वक लौटाया गया था। हम सिंधी सनातनी है न कि सिख। यह पत्र समिति क पुरषोत्तम वासवानी ने लिखा है।



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इंदौर से शुरू हुआ था विवाद



यह विवाद इंदौर से शुरू हुआ था। जनवरी माह में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें निहंगों द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब को सिंधी दरबार से उठाने की बात कही गई थी। निहंग के व्यवहार से नाराज दरबारों ने इन्हें लौटाने के लिए गुरू सिंघ सभा इंदौर को पत्र लिखा था। इसके बाद संत सांई महाराज द्वारा इस व्यवहार को लेकर पूरे देश में पत्र लिखकर इन्हें लौटाने के लिए कहा गया था। 



अखिल भारतीय सिंधु संत समाज ट्रस्ट की बैठक में लिया था निर्णय



सांई महाराज ने बताया कि इंदौर में हुए घटनाक्रम को लेकर अखिल भारतीय सिंधु संत समाज ट्रस्ट की बैठक में दुनिया भर के समस्त सिंधी दरबारों, मंदिरों, टिकणों, घरों आदि से श्री गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुद्वारे में ससम्मान वापस लौटाने का सख्त निर्णय लिया गया। सिंधी समाज हमेशा से सनातनी रहा है एवं सनातन धर्म पद्धति से सभी ग्रंथों, वेद पुराणों, अपने गुरूओं, अपने इष्ट वरुण अवतार एवं अन्य देवी देवताओं को पूजता आ रहा है।   



अ.भा.सिन्धु संत समाज ट्रस्ट की उज्जैन में हुई बैठक



उज्जैन में श्री अलख मेहर धाम सनातन मंदिर में आयोजित अखिल भारतीय सिन्धु संत समाज ट्रस्ट की बैठक में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम ने कहा कि सिंधी समाज शुद्ध सनातनी समाज है, हम कोई भी समझौता नहीं कर सकते। अनुरोध किया जा रहा है कि जिन सिंधी टिकाणों (सनातन मंदिरों), पंचायती स्थानों और निज निवासों पर श्री गुरु ग्रन्थ साहिब अभी विराजमान है, वो कृपया जल्द से जल्द निकट के पंजाबी गुरुद्वारों को सौंपकर प्राप्ति-पत्रक प्राप्त करें। बैठक में स्वामी युधिष्ठिर लालजी के आह्वान पर मार्च माह में अमरावती (महा.) में विशाल संत सम्मेलन और सनातन धर्म सभा आयोजित करने का सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत खिम्यादासजी ने कहा कि सभी संत महापुरुष स्वयं भी सनातन धर्म की मुख्य धारा में आए और पूरे सिंधी सनातनी समाज को भी अपनी मूल संस्कृति के लिए जागरूक करे। बैठक में मुख्य रूप से महंत आत्मदासजी (उज्जैन), महंत स्वरूपदासजी (अजमेर), महंत हनुमानरामजी (पुष्कर), महंत श्यामदासजी (किशनगढ़), स्वामी हंसदासजी (रीवा) और इंदौर से स्वामी माधवदासजी के अलावा स्वामी कमलपुरीजी, अनिल सांई और संत चंदनदास मुख्य रूप से उपस्थित हुए।


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