जबलपुर में रामायण कॉन्फ्रेंस में पहुंचे प्रो. फिलिप, संस्कृत सीखकर फ्रेंच में लिख चुके हैं वाल्मीक रामायण

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में रामायण कॉन्फ्रेंस में पहुंचे प्रो. फिलिप, संस्कृत सीखकर फ्रेंच में लिख चुके हैं वाल्मीक रामायण

Jabalpur. अखिल ब्रम्हांड के महानायक मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के भक्त भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हैं। फ्रांस में भी एक ऐसे रामभक्त हैं जो उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। इतना ही नहीं इन्होंने वाल्मीक रामायण का फ्रेंच में अनुवाद भी किया है। इस काम में उन्हें 14 साल का समय लगा था। इनका नाम है प्रोफेसर फिलिप बेनोइट। 



वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस में कर रहे शिरकत



जबलपुर के मानस भवन में चल रही तीसरी वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस में पहुंचे फिलिप ने बताया कि उन्होंने रामचरित मानस को नजदीक से जाना तो उन्हें कुछ अलग सा लगा। उनकी जिज्ञासा बढ़ी तो उन्होंने इसके सातों कांड को समझा और अध्ययन के लिए भारत भी आए। वाल्मीक रामायण का अनुवाद करने से पहले इन्होंने संस्कृत भाषा सीखी। काफी मेहनत के बाद वे इस काम में सफल रहे। 



रामायण सीरियल से भी मिली मदद




प्रो. फिलिप ने बताया कि रामायण के बारे में विस्तार से लिखने के लिए उन्होंने रामायण से संबंधित अनेक जानकारियां एकत्र कीं। इस बीच उन्होंने बीआर चोपड़ा का रामायण धारावाहिक भी देखा। यह उनके लिए काफी मददगार रहा। 




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  • 14 साल लगे अनुवाद में

    उन्होंने बताया कि इस कठिन कार्य में उन्हें पूरे 14 साल लग गए। यह इत्तेफाक की बात है कि श्रीराम को 14 साल तक वन में रहना पड़ा था और उनके जीवन चरित्र को फ्रेंच भाषा में अनुवादित करने में भी 14 साल का समय लगा। फिलिप ने बताया कि रामायण की चर्चा केवल भारत में ही नहीं फ्रांस में भी होती है। यही कारण है कि वहां के प्रकाशकों ने इसे फ्रेंच में प्रकाशित किया। उनका प्रथम संस्करण साल 1999 में आया जबकि फिलिप ने इस काम की शुरूआत साल 1985 से की थी। 


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