Indore. इंदौर के शासकीय नवीन लॉ कॉलेज में विवादित किताब के मामले में प्रोफेसर डॉ मिर्जा मोजिज बेग को सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है। वहीं अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले में जवाब पेश करने कहा है। बेग पर आरोप था कि उन्होंने किताब के जरिए धार्मिक कट्टरता फैलाने का काम किया है। बेग ने अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
यह दलील दी गई
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की डबल बेंच में डॉ बेग के वकील एडवोकेट अल्जो के जोसेफ ने दलील दी कि किताब खुद पुलिस ने अपने कब्जे में ले ली है। हैरत की बात यह है कि यह एलएलएम पाठ्यक्रम में है, जिसे अकादमिक परिषद और चांसलर विश्वविद्यालय की ओर से अनुमोदित किया गया है। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले में जवाब तलब किया है। वहीं कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार को नोटिस जारी किया जाए। इस बीच याचिकाकर्ता को अंतरिम संरक्षण होगा, हालांकि वह जांच में पूर्णतः सहयोग करेगा।
भंवरकुआं पुलिस ने दर्ज किया था मामला
बता दें कि विवादित किताब के मामले में भंवरकुआं थाने में मामला दर्ज हुआ था, जिसमें 4 आरोपी बनाए गए थे, जिसमें डॉ बेग को भी आरोपी बनाया गया था। डॉ बेग ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। इसके बाद बेग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। वे अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का खंडन कर चुके हैं। उनका कहना था कि किताब को साल 2014 में कॉलेज में खरीदा गया था।
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बेग की ओर से यह दलील दी गई कि यह किताब पिछले 18 साल से मास्टर सिलेबस का हिस्सा रही है और मध्यप्रदेश राज्य में आपराधिक कानून में विशेषज्ञता रखने वाले सभी स्नातकोत्तर छात्रों को इससे पढ़ाया जाता है। तर्क दिया गया कि अकादमिक स्वतंत्रता और 2014 में किसी के द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक प्राथमिकी का आधार नहीं हो सकती है।
प्राचार्य को पहले ही मिल चुकी जमानत
इससे पहले इंदौर लॉ कालेज के प्राचार्य डॉ इनामुर्रहमान को भी सुप्रीम कोर्ट से ही अग्रिम जमानत मिल चुकी है। जब सीजेआई ने वकील से यह भी कहा था कि राज्य को कुछ और गंभीर चीजें करनी चाहिए। आप एक कॉलेज प्रिंसिपल को गिरफ्तार क्यों कर रहे हैं? लाइब्रेरी में एक किताब मिली है, ऐसे में प्राचार्य को आरोपी कैसे बनाया जा सकता है।