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भोपाल मास्टर प्लान 2031 का संशोधित ड्राफ्ट जारी भोपाल मास्टर प्लान में आपत्तियों के बाद FAR चेंज करने का प्रस्ताव खारिज, IAS-IPS के लो डेनसिटी में बने करोड़ों के बंगले फिर अवैध
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6/2/23, 2:14 PM (अपडेटेड 6/2/23, 7:51 PM)

राहुल शर्मा, BHOPAL. भोपाल मास्टर प्लान-2031 का संशोधित ड्राफ्ट जारी कर दिया गया है। ड्राफ्ट में मुख्य रूप से पर्यावरण से संबंधित संशोधनों को शामिल किया गया है। इन संशोधनों में मुख्य बिंदु FAR यानी फ्लोर एरिया रेशो चेंज करने का प्रस्ताव खारिज करना रहा है, क्योंकि यदि यह एफएआर चेंज हो जाता तो नौकरशाहों के अवैध बंगले वैध हो जाते। लेकिन एफएआर चेंज के प्रस्ताव को खारिज करते हुए पूर्व की तरह ही रखे जाने के संशोधन के बाद अब दोबारा आईएएस-आईपीएस के लो डेनसिटी में बने करोड़ों के बंगले अवैध हो गए हैं।


पहले समझिए लो डेनसिटी एरिया होता क्या है


तालाब या डेम के जलभराव क्षेत्र से कुछ दूरी या जो खाली हिस्सा होता है उसे लो डेनसिटी एरिया कहते हैं। मास्टर प्लान में दिए गए एफएआर के अनुसार ही भवन निर्माण किया जा सकता है और लो डेनसिटी में इसे कम रखा जाता है। इसे इस तरह से समझिए के यदि तालाब या डेम के खाली क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक निर्माण हो गया तो बारिश के समय इन वॉटर बॉडी में पानी कहां से आएगा। वहीं तालाब या डेम के जलभराव क्षेत्र से कुछ दूरी तक जमीन दलदलीय हो जाती है। ऐसे में यहां बड़े निर्माण हुए तो दुर्घटना भी हो सकती है। यही कारण है कि लो डेनसिटी में शर्तों के साथ निर्माण की अनुमति दी जाती है।


नौकरशाहों के ये बंगले क्यों है अवैध


लो डेनसिटी में बने आईएएस-आईपीएस के बंगलों को द सूत्र इसलिए अवैध कह रहा है, ​क्योंकि वर्तमान मास्टर प्लान के अनुसार लो डेनसिटी एरिया में मात्र 0.06 एफएआर ही मान्य है, जबकि अफसरों ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए तय एफएआर से ज्यादा निर्माण करवा लिया है जोकि अवैध निर्माण की श्रेणी में आता है।


35 महीने तक जारी नहीं हो सका संशोधित ड्राफ्ट


अफसरों ने नए मास्टर प्लान में लो डेनसिटी एरिया का एफएआर 0.75 प्रस्तावित किया था। जिससे उनके निर्माण वैध हो जाएं। 10 जुलाई 2020 को एफएआर में संशोधन कर मास्टर प्लान के ड्राफ्ट को जारी किया गया। नौकरशाहों के इस कारनामे को लेकर पर्यावरणविदों ने आपत्तियां लगाई, लेकिन आपत्तियों के निराकरण के बाद जारी होने वाला संशोधित ड्राफ्ट 35 महीने तक धूल खाता रहा, क्योंकि एफएआर को लेकर नौकरशाहों के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी।


राजधानी के लो डेनसिटी एरिया में इन नौकरशाहों के बंगले या जमीन...


1. साक्षी ढाबे के सामने वाला एरिया में बसा दिया विस्परिंग पॉम्स


इस एरिए में नौकरशाहों ने पूरी एक वीआईपी कॉलोनी बसा रखी है, जिसका नाम है विस्परिंग पॉम्स। यहां ऐसे आलीशान बंगले हैं जिन्हें देखकर आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएगी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के मुताबिक 5 एकड़ एरिया में ये कॉलोनी बनी है। यहां राज्य निर्वाचन आयुक्त बंसत प्रताप सिंह, आईएएस अनुपम राजन, जीतेंद्र राजे, मलय श्रीवास्तव, विवेक अग्रवाल, रिटायर्ड आईएएस एसआर मोहंती समेत राधेश्याम जुलानिया का बंगला है या बंगले का निर्माण चल रहा है।


2. सूरज नगर और फायरिंग रेंज वाले एरिए में भी धड़ल्ले से निर्माण


पुलिस लाइन के पीछे फायरिंग रेंज वाला एरिया और लॉ एकेडमी के पीछे सूरजनगर वाला एरिया लो डेनसिटी में आता है। सूरजनगर वाले एरिए में आईएएस विनोद कुमार, राकेश अग्रवाल, बीआर नायडू, सभाजीत यादव समेत अन्य अधिकारियों के बंगले और जमीने हैं। वहीं पुलिस लाइन के पीछे फायरिंग रेंज वाला एरिया में रिटायर्ड डीजीपी नंदन दुबे और आईएएस केके सिंह समेत अन्य के बंगले या प्रॉपर्टी है।


एफएआर नहीं बदलने से अब क्या होगा


लो डेनसिटी एरिया में वर्तमान में यहां 0.06 एफएआर है यानि 10 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर मात्र 600 वर्गफीट का ही निर्माण किया जा सकता है। इसमें सर्वेंट क्वार्टर और कार गैरेज का अलग से निर्माण करने की अनुमति मिलती है। लेकिन प्रदेश के सीनियर आईएएएस-आईपीएस अफसरों ने लो डेनसिटी एरिया में 10 हजार वर्गमीट के प्लाट पर 5 हजार वर्गफीट से ज्यादा अवैध निर्माण करवा लिया है। ऐसे में उनके करोड़ों के बंगले अवैध की श्रेणी में आ गए हैं। नया प्लान में संशोधन कर पहले की तरह एफएआर नहीं रखा जाता तो इसमें प्रस्तावित एफएआर 0.75 मिल जाता। इससे वे 10 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर 7500 वर्गफीट का निर्माण करने कर लेते। ऐसे में इन अफसरों के सारे अवैध निर्माण वैध हो जाते, पर अब इनकी मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है।


अब फिर बुलाई जाएगी दावा आपत्ति


भोपाल मास्टर प्लान 2031 का संशोधित ड्राफ्ट को जारी किया गया है। नियमानुसार यदि कोई संशोधन को प्लान में शामिल किया जाता है तो फिर आपत्तियां बुलाई जाती है। इसलिए अब इस पर भी 1 महीने तक दावे आपत्ति बुलाई जाएगी। इन आपत्तियों के निराकरण के बाद ही भोपाल का मास्टर प्लान 2031 लागू हो सकेगा। ऐसे में इस बात की भी पूरी उम्मीद है कि संशोधन पर आपत्तियां लगाई जा सकती है और एक बार फिर मामला उसके निराकरण को लेकर थोड़ा लंबा खिच सकता है।

 


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