ओल्ड पेंशन की मांग को लेकर भोपाल में जुटे हजारों कर्मचारी, कहा— बुढ़ापे में 500 से 1200 रूपए की पेंशन में जीवनयापन संभव नहीं

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Rahul Sharma
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ओल्ड पेंशन की मांग को लेकर भोपाल में जुटे हजारों कर्मचारी, कहा— बुढ़ापे में 500 से 1200 रूपए की पेंशन में जीवनयापन संभव नहीं

Bhopal. ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली की मांग को लेकर कर्मचारी मैदान में उतर गए हैं। रविवार, 5 फरवरी को भोपाल के भेल दशहरा मैदान में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर प्रदेशभर से हजारों कर्मचारी जुटे। इस महासम्मेलन में आजाद अध्यापक संघ, मंत्रालयीन कर्मचारी संघ समेत 40 संगठनों ने समर्थन दिया। संगठनों के पदाधिकारियों ने मंच से नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता देते हुए पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की। कर्मचारियों ने कहा कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह चरणबद्ध और संवैधानिक तरीके से अपना आंदोलन जारी रखेंगे। इस दौरान कर्मचारियों से पुरानी पेंशन के संकल्प पत्र भी भरवाए गए।







4 प्रदेशों में लागू है ओल्ड पेंशन स्कीम





इस साल के शुरूआती महीने में हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने वाला चौथा राज्य बन गया। इससे पहले छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब ने भी ओल्ड पेंशन स्कीम शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश में चुनावी वर्ष शुरू हो गया है, यही कारण है कि प्रदेश में भी ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली की मांग तेजी से उठने लगी है। कर्मचारी इसे लेकर अब लामबंद होने लगे हैं। प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव में भी यह बड़ा चुनावी मुद्दा रहेगा।



 





इसलिए हो रही ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली की मांग







  • पुरानी पेंशन योजना (OPS) में कर्मचारी की सैलरी से किसी तरह की कटौती नहीं होती थी। वहीं नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है। साथ ही 14 फीसदी हिस्सा सरकार मिलाती है।



  • पुरानी पेंशन योजना में रिटायर्ड कर्मचारियों को सरकारी कोष से पेंशन का भुगतान किया जाता था। वहीं नई पेंशन योजना शेयर मार्केट बेस्ड है। इसका भुगतान बाजार पर निर्भर करता है। पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारियों को भी हर 6 महीने में मिलने वाला महंगाई भत्ता भी मिलता था। लेकिन नई स्कीम में इसकी व्यवस्था नहीं है।


  • पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी। लेकिन नई पेंशन स्कीम में यह सुविधा नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी रकम पेंशन के रूप में मिलती थी। जबकि नई पेंशन स्कीम में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।


  • पुरानी स्कीम में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय जीपीएफ में कोई निवेश नहीं करना होता था। वहीं नई स्कीम में 60 फीसदी फंड रिटायरमेंट के समय कर्मचारी को मिल जाता है। लेकिन 40 फीसदी सरकार निवेश करती है और उसके आधार पर हर महीने की पेंशन मिलती है।








  • पुरानी पेंशन योजना पर RBI ने की चिंता जाहिर





    रिजर्व बैंक आफ इंडिया यानी आरबीआई ने स्टेट फाइनेंस पर अपनी ताजा रिपोर्ट में पुरानी पेंशन योजना के बारे में कहा है कि ‘राजकोषीय संसाधनों में वार्षिक बचत जो इस कदम पर जोर देती है, वह अल्पकालिक है। वर्तमान के खर्चों को भविष्य के लिए स्थगित करके राज्य आने वाले वर्षों में अनफंडेड पेंशन देनदारियों का जोखिम उठा रहे हैं।’ सामान्य भाषा में कहे तो आरबीआई ने सब-नेशनल फिस्कल होराइजन के लिए इसे बड़ा खतरा बताया है। रिपोर्ट में आरबीआई ने सुझाव दिया है कि राज्यों को उच्च पूंजीगत व्यय पर ध्यान देना चाहिए।







    पुरानी पेंशन स्कीम बुढ़ापे का सहारा





    पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन के प्रांताध्यक्ष परमानंद डेहरिया ने कहा कि प्रथम नियुक्ति दिनांक से सेवा की गणना करते हुए तत्काल पुरानी पेंशन बहाल की जाना चाहिए। राज्य अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सालिकराम चौधरी ने कहा कि चार राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम शुरू हो गई है, लेकिन मध्यप्रदेश में अब तक इसे लेकर कुछ नहीं किया जा सका है, जिसके कारण वे प्रदर्शन कर रहे हैं। बड़वानी से आई रेखा पांचाल ने कहा कि नई पेंशन स्कीम में किसी को 700 रूपए किसी को 1200 रूपए की पेंशन मिल रही है तो बहुत कम है। जिससे जीवन यापन संभव नहीं। बड़नगर से आए विक्रम सिंह सोलंकी ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम में जो लास्ट वेतन होता है उसका 50 प्रतिशत पेंशन मिलती है, जिससे घर चलाने में आसानी होती है। इसलिए हमें पुरानी पेंशन चाहिए।



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