संजय गुप्ता, INDORE. माफ कीजिए आप कतार में हैं…इंतजार कीजिए। यह फोन पर सुनाई दी जाने वाली आवाज, आजकल मप्र के सभी आईएएस के कानों में बज रही है। वजह है मप्र में जिले तो 52 है लेकिन वर्तमान में कलेक्टरी के इंतजार में सौ से ज्यादा अधिकारी है। वर्तमान में कलेक्टरी वाले आईएएस अधिकारियों की बैच 2009 से 2014 तक को ही देखें तो कलेक्टरी के लिए पात्र अधिकारियों की कुल आईएएस संख्या 157 होती है। इसमें आरआर कैटेगरी (रेगुलर रिक्रूटमेंट यानी जो सीधे यूपीएससी से आते हैं) में 81 तो प्रमोटी (जो पीएससी में चयनित होने पर प्रमोशन के बाद आईएएस बनते हैं) में 76 अधिकारी हैं। वहीं जिलों की संख्या की बात करें तो 52 ही हैं।
डीपीसी के बाद 33 और नए अधिकारी जुड़ेंगे
विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) के बाद 33 पदों पर और नए प्रमोटी आईएएस मिलने जा रहे हैं, यानि यह कतार और लंबी होने जा रही है। इसमें इंदौर में पदस्थ सपना सोलंकी, आरपी अहिरवार जैसे अधिकारी भी प्रमोशन लिस्ट में शामिल है। अब हालत यह हो गई है कि डायरेक्ट आईएएस (आरआर) कैटेगरी वाले अधिकारियों को भी बमुश्किल कलेक्टरी मिल रही है और मिल भी रही है तो एक-दो जिले में लंबी कलेक्टरी कर लें यही बहुत है, जैसे रजनी सिंह को कलेक्टरी मिली और छह माह में हटा दिया गया। ऐसे कई नाम है, जो कलेक्टरी से हटकर वल्लभ भवन, संभागायुक्त कार्यालयॉ, नगर निगम, जिला पंचायत सीईओ या अन्य विभागों में बैठे हुए हैं। कई नाम है जिन्हें अभी तक कलेक्टरी मिली ही नहीं है, जबकि उन्हीं के बैच के अधिकारियों को आईएएस अवार्ड होने के बाद कलेक्टर पद मिल चुका है। इंदौर में ही डॉ. अभय बेडेकर, अजय देव शर्मा जैसे नाम शामिल है।
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इस तरह लंबी-लंबी बैच, कैसे लगेगा नंबर
वर्तमान में साल 2009 से लेकर 2014 तक की बैच के अधिकारियों के पास ही जिलों की कलेक्टरी है। फिलहाल साल 2013 के अधिकारी सबसे ज्यादा जिलों में तैनात है। वहीं अभी 2015 बैच का नंबर शुरू नहीं हुआ है, जो अगली फेरबदल में दिख जाएगा। अब बैच की बात करें तो पहले मुश्किल से आठ से दस अधिकारियों की बैच होती थी, लेकिन अब औसतन 20 से ज्यादा अधिकारियों की हो गई है, वहीं कई बैच तो 30 से ज्यादा अधिकारियों की है। साल 2007 तक आईएएस की बैच मुश्किल से दस अधिकारियों की होती थी।
- बैच 2009- इसमें आरआर कैटेगरी से 13 तो प्रमोटी आईएएस में 11 अधिकारी, कुल बैच 24 की।
अन्य राज्यों में छह साल में मिल रहा कलेक्टर पद
अन्य राज्यों की बात करें तो वहां वहां अब 2018-19 बैच के आईएएस को भी कलेक्टर पद मिलने लगा है. लेकिन साल 2023 में भी अभी आरआर कैटेगरी के 2015 बैच के अधिकारियों को ही कलेक्टर पद नहीं मिला है। यानी उन्हें नौकरी के बाद कलेक्टर बनने में आठ साल का समय लग रहा है। वहीं प्रमोटी आईएएस की बात करें तो यह बहुत लंबा समय है, प्रमोशन के लिए उन्हें औसतन 20 साल का समय लगता है और फिर इसके बाद कलेक्टरी का इंतजार। प्रमोटी आईएएस जो एक से ज्यादा जिलों की कलेक्टरी पाते हैं, वह उंगलियों पर गिनने वाले अधिकारी है। अब यदि अभी कलेक्टर नहीं बन पाए और प्रमोटी रिटायर हो गए तो फिर वह भगवान से यही मांग करते हुए रिटायर होंगे कि… प्रभु अगले जन्म मोहे कलेक्टर कीजे।