ज्ञानेंद्र पटेल, INDORE. इंदौर में पूर्व पार्षद अनवर दस्तक के दखल वाली रघुवीर गृह निर्माण सोसायटी की अब पूरी जांच होगी। इसकी स्थापना से लेकर अभी तक देखा जाएगा कि किसे प्लॉट दिए गए, किन्हें सदस्य बनाया गया और किस तरह से संस्था ने अभी तक काम किया है।
द सूत्र ने प्रमुखता से उठाया था 800 करोड़ के घोटाले का मुद्दा
द सूत्र ने सालों पुरानी इस संस्था के 800 करोड़ के घोटाले का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। एक-एक कर हमने 3 किश्तों में बताया था कि किस तरह से संस्था के जिम्मेदारों ने जिसमें मुख्य रूप से दस्तक परिवार है, उसने इस संस्था को घर की संस्था बनाकर रखा, ग्रीन पार्क कॉलोनी चंदननगर में विकसित की और इसमें अपनी मनमर्जी से लोगों को प्लॉट बांटे। गरीबों के प्लॉट अमीरों को बांट दिए गए, तो घर-घर के ही कई सदस्य बनाकर प्लॉट हड़प लिए गए।
आदेश में क्या लिखा है?
सहकारिता उपायुक्त एमएल गजभिए द्वारा जारी आदेश में लिखा है कि रघुवीर संस्था के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच कराई गई जिसमें जांच अधिकारी ने संस्था की मप्र सहकारी सोसायटी एक्ट 1960 की धारा 59 के तहत जांच प्रस्तावित की है। शिकायतों में संस्था द्वारा सीलिंग की भूमि में सदस्यों, कमजोर वर्गों को भूखंड आवंटन में दुरुपयोग की बात है। इसलिए मैं जांच के लिए वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक आरएस गरेठिया को अधिकृत करता हूं। जांच काम में सहकारिता निरीक्षक संजय कुचनकर सहयोग करेंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी और जानकार
सहकारिता उपायुक्त एमएल गजभिए का कहना है कि रघुवीर गृह निर्माण के संबंध में शिकायत आई थी इसकी प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इसकी विस्तृत जांच जरूरी है। इसके लिए हमने जांच अधिकारी की नियुक्ति कर दी है। जल्द जांच के लिए कहा है, नियम के अनुसार 4 माह का अधिकतम समय होता है। जांच रिपोर्ट के बाद कानूनी कार्रवाई होगी।
सहकारिता विशेषज्ञ और अधिवक्ता का कहना है
विशेषज्ञ और अधिवक्ता का कहना है कि धारा-59 के तहत जांच का प्रावधान है, इसमें कलेक्टर या रजिस्ट्रार सोसायटी स्वप्रेरणा से या शिकायत पर जांच करा सकते हैं। इसमें किसी अधिकारी को अधिकार देकर जांच कराई जाती है। इसमें गलत सदस्य बनाए गए हों, सदस्यता क्रम से प्लॉट नहीं दिए हो, गलत व्यक्ति को प्लॉट दिए गए हो, इन सभी की जांच हो सकती है। इसमें संस्था से भी सामने आई गलतियों पर जवाब मांगा जाता है। ये विस्तृत जांच होती है।
इस तरह से किया है दस्तक परिवार ने घोटाला
अनवर दस्तक के पिता युनूस मोहम्मद शेख रघुवीर गृह निर्माण संस्था में 14 मार्च 1996 से 2006 तक अध्यक्ष पद पर काबिज रहे। इसके पहले वे संस्था में संचालक मंडल में शामिल रहे। संस्था में एक परिवार से एक ही सदस्य होता है, लेकिन यूनुस ने रघुवीर को घर की संस्था बनाते हुए एक-एक अपने सभी परिजन को इसका सदस्य बना दिया। अनवर दस्तक को 21 नवंबर 1990 में संस्था का सदस्य बनाया गया, वहीं पैन कार्ड के हिसाब से उसका जन्मदिन है 26 जुलाई 1978, यानी जब वो संस्था में सदस्य बना तब उसकी उम्र 12 साल और करीब 4 माह रही होगी, यानी पांचवी-छठी क्लास का बच्चा। पिता ने ही अनवर के नाम पर 17 नवंबर 2005 को प्लॉट की रजिस्ट्री करा दी। वो भी एक नहीं, 2-2 प्लॉट, प्लॉट नंबर 5 और 6।
पूरा दस्तक परिवार ही बन गया सदस्य
अनवर दस्तक के अलावा यूनुस ने अपने दूसरे बेटे सलीम दस्तक, शेख इमरान उर्फ अबरार और अन्य परिजन को भी सदस्य बना दिया और प्लॉट आवंटित करा दिए। सभी का संस्था में पता एक ही था 49 बड़वाली चौकी। सदस्यता क्रमांक 785 से 790 तक सभी इन्हीं के परिजन ही हैं।
साइकिल की दुकान से निगम ठेकेदार और पार्षद और भूमाफिया तक का सफर
अनवर दस्तक के दादा शेख जमील की साइकिल की दुकान थी। बेटा युनूस दस्तक ने निगम के ठेकेदारी का काम शुरू किया और फिर जमीनों के खेल में आ गए। अवैध खनन के धंधे में भी लग गए। ग्रीन पार्क की कॉलोनी से हुई कमाई के बाद रियल सेक्टर में आ गए और फिर अपने बेटों के नाम पर आसपास कई कॉलोनियां सलीम एस्टेट, असलम एस्टेट आदि नाम से भी कॉलोनियां काट दी। बाद में अनवर दस्तक राजनीति में आ गए। दस्तक परिवार के कई सदस्यों पर कई केस हैं और पुलिस एक बार इनाम भी घोषित कर चुकी है। भाई लोकायुक्त में रिश्वत लेते पकड़ाया जा चुका है।
अनवर दस्तक ने आगे बढ़ाया खेल
पिता यूनुस मोहम्मद शेख जब संस्था के अध्यक्ष पद से हटे तब 30 जून 2006 से 12 मई 2022 तक अध्यक्ष पद पर अनवर दस्तक काबिज हो गया। अनवर की जेब में रखी हुई संस्था को उसने अपने हिसाब से चलाया। सबसे बड़ा खेल किया गरीबों के लिए रखे गए प्लॉट का जिन्हें मप्र शासन ने धारा-20 के तहत छूट दी थी और ये 500 वर्ग फीट एरिया वाले प्लॉट गरीबों को मात्र 240 रुपए यानी 2 रुपए प्रति वर्ग फीट के हिसाब से देना था। ये प्लॉट अपने वालों को जो गरीबों की कैटेगरी में नहीं थे, बल्कि संस्था में अमानतदार और निवेशक थे उन्हें भी बांट दिए गए। करीब 150 ऐसे प्लॉट का खेल किया गया, जिनकी दस्तक द्वारा रजिस्ट्री करवाई गई। इसके साथ ही सदस्यों को प्लॉट बिक्री के लिए एनओसी देने के बदले में राशि लेने, अवैध कब्जे कराना, प्लॉट के साइज में बदलाव करके अपने वालों को बड़ा प्लॉट आवंटित करना, मैरिज गार्डन से लेकर अन्य निर्माण करवाना, ये सभी काम दस्तक के राज में चलते रहे। संस्था के प्लॉट की जमीन पर मल्टी तनवा दी गई, जिससे करोड़ों रुपए बनाए गए। एनओसी देने के नाम पर लंबा खेल हुआ और हर प्लॉटधारक से 1 लाख रुपए तक केवल एक एनओसी देने के बदले मांगे गए। ऑडिट रिपोर्ट तक में आया है कि संस्था के पास नकदी बहुत रहती है, जो राशि खाते में होना चाहिए वो संस्था में नकद में दिखती है।
12 साल से चल रहा भूमाफिया अभियान, एक में भी दस्तक नहीं
शासन-प्रशासन द्वारा साल 2010 से ही इंदौर में भूमाफिया अभियान चलाया जा रहा है और ये सोसायटी की जमीन के खेल से ही जुड़ा रहा है। इस अभियान में चंपू, चिराग, बॉबी, मद्दा संघवी से लेकर कई दर्जनभर लोग फंसे, केस दर्ज हुए, गिरफ्तार हुए, लेकिन मजाल है कि एक भी अभियान में किसी अधिकारी ने दस्तक का नाम लिया हो। जबकि संस्था की कई बार शिकायत हो चुकी है।