इटारसी से जुझारपुर शिफ्ट होगा रेलवे का माल गोदाम, 60 करोड़ होंगे खर्च, रेलवे बोर्ड से मिली सहमति

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इटारसी से जुझारपुर शिफ्ट होगा रेलवे  का माल गोदाम, 60 करोड़ होंगे खर्च, रेलवे बोर्ड से मिली सहमति

राहुल शर्मा, BHOPAL .  इटारसी में रेलवे स्टेशन के आसपास रहने वाले 25 हजार से अधिक लोगों के लिए राहत भरी खबर है। 45 सालों से इटारसी की फिजाओं में जहर घोल रहे रेलवे के माल गोदाम को इटारसी शहर से बाहर करीब 7 किमी दूर जुझारपुर में शिफ्ट करने को हरी झंडी मिल गई है। इसके लिए रेलवे 60 करोड़ रुपए खर्च करेगा। मंडल रेल प्रबंधक यानी डीआरएम स्तर पर स्वीकृति मिलने के बाद अब रेलवे बोर्ड ने भी इस पर सहमति दे दी है। इटारसी रेलवे माल गोदाम की वजह से हो रहे प्रदूषण को लेकर द सूत्र लगातार अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए खबरें प्रकाशित कर रहा है। इसी मुहिम के असर से अब माल गोदाम की शिफ्टिंग का काम हो रहा है। शहर से माल गोदाम शिफ्ट होने के बाद यहां हो रहे प्रदूषण पर रोक लग सकेगी और लोग साफ हवा में सांस ले सकेंगे। 





सीपीसीबी की गाइडलाइन के अनुरूप होगा नया माल गोदाम





जुझारपुर में बनने वाला माल गोदाम सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की गाइडलाइन के अनुरूप बनेगा। यहां मर्चेंट और हम्मालों के लिए तमाम व्यवस्थाएं होंगी। अभी इटारसी के माल गोदाम में शौचालय तक की सुविधा नहीं है। जुझारपुर में 15 लाख से मर्चेंट रूम, 18 लाख से लेबर रूम, 70 लाख से ब्रिज का निर्माण प्रस्तावित है। गुड्स प्लेटफॉर्म बनाने के लिए 6.86 करोड़ और एप्रोच रोड बनाने के लिए करीब 1 करोड़ खर्च होंगे। रेलवे ट्रेक पर 5.43 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। नर्मदापुरम सांसद राव उदयप्रताप सिंह ने बताया कि इटारसी के माल गोदाम को शिफ्ट किया जाएगा। रेलवे बोर्ड भी इसे लेकर सहमत है। 





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अब माल गोदाम के पीछे की ओर से होने लगी सीमेंट की लोडिंग





रेलवे भले ही माल गोदाम की शिफ्टिंग करने की दिशा में काम करने लगा है, लेकिन इटारसी की फिजाओं में जहर घोलने के लिए जिम्मेदार रेलवे अब भी अपनी गलतियों से सीखने की जगह लापरवाह बना हुआ है। मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी में है। एनजीटी में मामला पहुंचने के बाद रेलवे ने माल गोदाम के आगे की ओर सीमेंट लोडिंग अनलोडिंग बंद कर अब पीछे की ओर करा रहा है। माल गोदाम में ऐंड प्वाइंट की ओर न तो कोई दीवार बनाई गई है और न ही डस्ट रोकने के लिए कोई अन्य उपाय किए जा रहे हैं। द सूत्र की टीम सच्चाई का पता लगाने दोबारा इटारसी पहुंची। यहां पहुंचने पर रेलवे द्वारा इटारसी में प्रदूषण को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों का सच सामने आया।





परेशानी... प्लेटफॉर्म पर 5 से 10 सेमी तक चढ़ी सीमेंट की मोटी परत





माल गोदाम में तीन पुलिया से एंड प्वाइंट तक करीब 100 से 120 मीटर तक सीमेंट की लोडिंग ट्रकों में हो रही है, लेकिन यहां प्रदूषण रोकने के कोई उपाय नहीं है। हालात यह है कि प्लेटफॉर्म पर 5 से 10 सेंटीमीटर की सीमेंट की मोटी परत चढ़ी हुई है। हवा चलने पर यहां से सीमेंट उड़कर नाला मोहल्ला रिहायसी इलाके में पहुंच रही है। इस इलाके में सीमेंट डस्ट कितनी ज्यादा मात्रा में उड़ रही है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां आसपास लगे पेड़ के पत्तों और घरों की छतों पर सीमेंट की परत जम गई है। 





लापरवाही... हम्मालों को अब भी मास्क और ग्लब्स नहीं





लोगों के हेल्थ और हाइजीन को लेकर रेलवे अब भी लगातार लापरवाही बरत  रहा है। सीमेंट और फर्टीलाइजर से हो रहे प्रदूषण का सबसे पहले सामना यहां काम करने में हम्माल करते हैं। लोडिंग—अनलोडिंग के समय सीमेंट डस्ट नाक और मुंह के जरिए शरीर में पहुंच जाती है, जिससे गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है। इससे बचने के लिए रेलवे द्वारा यहां काम करने में मजदूर और हम्मालों को अब भी मास्क और हैंड ग्लब्स नहीं दिए जा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेलवे लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है।





अनदेखी... इटारसी में लाखों की फिजूलखर्ची





रेलवे के माल गोदाम का इटारसी से जुझारपुर शिफ्ट किए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके बावजूद रेलवे इटारसी के माल गोदाम पर भी लाखों खर्च कर रहा है। वह भी तब जब वह इसे सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड यानी सीपीसीबी की गाइडलाइन के अनुरूप नहीं बना सकता। माल गोदाम की दीवार से जहां रैक लगती है उसकी लंबाई करीब 25 मीटर है। सीपीसीबी के अनुसार 15 मीटर ग्रीन बेल्ट होगा, यानी यहां पेड़ लगाए जाएंगे। इसका मतलब रैक तक आने—जाने के लिए ट्रकों के पास जो रास्ता होगा, वह सिर्फ 10 मीटर का होगा, जो काफी कम है। डस्ट सेप्रेशन के बाद जो पानी इकट्ठा होगा, उसे निपटारे के लिए भी जगह पर्याप्त नहीं है। बावजूद इसके रेलवे इटारसी माल गोदाम पर ही लाखों खर्च कर पैसों की बर्बादी करने पर तुला हुआ है।





हकीकत... दीवार, जीआई शीड, स्प्रिंकलर...ये सब काम अधूरे 





एनजीटी द्वारा गठित ज्वाइंट कमेटी ने अपनी इंस्पेक्शन रिपोर्ट में रेलवे द्वारा इटारसी गुड शेड को लेकर दिए गए एक्शन प्लॉन का हवाला भी दिया था। जिसके अनुसार 15 जनवरी 2023 तक 6 फीट हाइट दीवार निर्माण, 20 फीट हाइट के लिए जीआई शीड का इस्तेमाल और डस्ट सेप्रेशन के लिए 90 स्प्रिंकलर लगाने की बात थी। द सूत्र ने जब मौके पर जाकर निरीक्षण किया तो इनमें से कोई भी काम पूरा नहीं मिला। 







  • दीवार का निर्माण माल गोदाम के पास बने फुट ओवर ब्रिज से लेकर तीन पुलिया तक हुआ है। तीन पुलिया से माल गोदाम के ऐंड प्वाइंट तक जो कि करीब 100—120 मीटर है, यहां दीवार का कोई निर्माण ही नहीं हुआ है। 



  •  माल गोदाम के पास बने फुटओवर ब्रिज से ट्रकों के एंट्रेंस प्वाइंट तक करीब 300 मीटर पर जीआई शीड लगी है, जबकि 800 से 900 मीटर तक यह काम होना अभी शेष है। तीन पुलिया के आगे तो दीवार निर्माण तक नहीं हुआ, इसलिए यह कह पाना संभव नहीं कि वहां यह काम होगा भी या नहीं। 


  • डस्ट सेप्रेशन के अंतर्गत 90 स्प्रिंकलर लगाए जाने हैं। अभी सिर्फ नाली खोदकर माल गोदाम के 70 फीसदी हिस्से में पाइप लाइन बिछाई गई है। स्प्रिंकलर लगाकर यहां व्यवस्था शुरू होने में वक्त लगेगा। डस्ट सेप्रेशन के बाद जो पानी आएगा, उसकी निकासी या निपटारा कैसे होगा, इसकी कहीं कोई तैयारी दिखाई नहीं दी। इसके अलावा न ही ऐसी कोई जगह जहां से इसकी निकासी की कोई व्यवस्था हो।






  • नियमों का उल्लंघन...दिखावे के लिए बनाई दीवार





    पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष पांडे ने कहा कि इटारसी के नाला मोहल्ला जहां लोग रहे रहे हैं, वहां रेलवे ने कोई दीवार ही नहीं बनाई है, जबकि सबसे ज्यादा प्रभावित वहीं के लोग है। जहां डेंसिटी कम थी, वहां दिखावे की दीवार खड़ी कर दी। इससे प्रदूषण नहीं रुकेगा। यह नियमों का सीधा—सीधा उल्लंघन है, जिसमें रेलवे पर तगड़ी पेनाल्टी भी लग सकती है।



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