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पवन सिलावट, RAISEN. रायसेन जिले की बाड़ी तहसील में बाघ ने दस्तक दी है। हिंगलाज मंदिर के रास्ते में बाघ देखा गया है। जिसे रहवासियों ने पटाखे फोड़कर भगाया। सिंघोरी अभ्यारण क्षेत्र होने की वजह से रिहायशी इलाकों की ओर से जंगली जानवर आ रहे हैं। इससे क्षेत्रवासी परेशान हैं। वहीं अचानक बाघ के आने से लोगों में दहशत फैल गई है।
राहगीरों ने देखा बाघ
बस्ती में आ रहे जंगली जानवर बाघ को राहगीर ने देखा। इसके बाद उन्होंने शोर मचाया जिससे भीड़ इकट्ठा हो गई। कड़ाके की ठंड में लोग घरों से बाहर निकलकर बाघ को भगाते रहे। इसके बाद लोगों ने पटाखे फोड़कर उसे भगाया। वहीं दूसरी ओर लोगों में बाघ को लेकर खौफ बन गया है। रात भर लोग सो नहीं पा रहे हैं। अपनी जान बचाने के लिए एकजुट बैठे रहे।
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जानकारी के बाद भी नहीं पहुंची वन विभाग की टीम
वहीं रहवासियों ने वन विभाग को बाघ के आने की जानकारी दी। लेकिन जानकारी के बाद भी विभाग की टीम नहीं पहुंची। इससे लोग कड़ाके की ठंड में रात भर जागते रहे। लोगों में बाघ को लेकर दहशत बनी हुई है।
4 महीने पहले तेंदुआ ने डाला था डेरा
4 महीने पहले भी तेंदुआ ने आदिवासी आश्रम के पास डेरा डालाम था और बस्तियों में रात के समय गायों का शिकार किया। इसके बाद से रहवासी रातभर जागकर अपनी और अपने पशुओं की रखवाली करते रहते थे। लेकिन वन विभाग वन विभाग चैन की नींद सोता रह। वहीं अब बाघ के आने के बाद भी वन विभाग ने उसके रेस्क्यू के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई है।
विंध्याचल पर्वत की तलहटी में बसा है रायसेन
रायसेन की बाड़ीकलां तहसील विंध्याचल पर्वत की तलहटी में बसा हैं और सरकार के कागजों में ये सिंघोरी अभ्यारण्य है। इसमें कई तरह के हिंसक जीवों के साथ ही दुर्लभ पशु-पक्षियों का बसेरा हैं। लेकिन 2 दशकों में वन विभाग की उदासीनता के चलते बियाबान जंगल आज रेगिस्तान की शक्ल में नजर आ रहे हैं ।
बारना जलाशय जानवरों के लिए बना मौत का जलाशय
जंगली जानवरों के लिए बारना जलाशय मौत का जलाशय बन चुका क्योंकि इस जलाशय का चालीस फीसदी हिस्सा वन विभाग के क्षेत्र में आता हैं और मछली शिकारी इस प्रतिबंधित क्षेत्र पर कब्जा जमा चुके हैं। जिससे जंगली जानवर अब बस्तियों की तरफ रुख अपनाते हैं।