UJJAIN. बीते दिनों उज्जैन केंद्रीय जेल के कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों से तकरीबन 15 करोड़ रुपयों के घोटाले का मामला सुर्खियों में आया था। जांच के बाद घोटाले में मुख्य आरोपी अकाउंटेंट रिपुदमन सिंह और तत्कालीन जेल अधीक्षक उषा राज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। अब घोटाले की आरोपी निलंबित जेल अधीक्षक उषाराज का राजदार सामने आने को तैयार हुआ है। उसने एक वीडियो वायरल किया है। उसने दावा किया है कि उसे पता है कि घोटाले का पैसा कहां…कहां है। उसने सीएम-गृहमंत्री से सुरक्षा का आश्वासन मिलने पर तमाम राज खोलने का वादा किया है।
वीडियो में क्या कहा?
निलंबित जेल अधीक्षक उषाराज का कथित राजदार जगदीश परमार का एक वीडियो मिले है। वीडियो में जगदीश खुद को उषाराज और जीपीएफ घोटाले की राशि को ठिकाने लगाने वाले अन्य फरार लोगों का राजदार बता रहा है। वीडियों में उसने अपनी जान को बताया है। उसने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से सुरक्षा का आश्वासन मिले तो मैं तमाम राज खोलने की बात कही है।
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44 लाख गाड़ी बुक करने मेरे बस में नहीं
जगदीश का कहना है कि मेरे नाम नाम से उषाराज ने इंदौर में एक गाड़ी बुक की थी। 44 लाख रुपए गाड़ी जब फायनेंस नहीं हुआ तो उन्होंने प्रहरी के माध्यम से रुपए वापस मंगा लिए थे। वह गाड़ी मैंने कभी बुक नहीं की थी, क्योंकि मेरी इतनी महंगी गाड़ी खरीदने की हैसियत नहीं है।
घोटालेबाजों ने मुझे धोखे में रखा
जगदीश परमार का दावा है कि जीपीएफ घोटाले की राशि कहां और किसके पास है, यह मुझे पता है। मुझे पता नहीं था कि जो राशि मेरे पास है, वह घोटाले की है। मुझे बताया गया था कि जमीन बिकने से ये पैसा आया है। जीपीएफ घोटाले का पैसा उज्जैन के सात-आठ लोगों के पास ही है। किसी ने परसेंटेज पर रुपया लिया है तो किसी ने कमीशन पर राशि ली है।
मैं फरार नहीं हूं, उज्जैन में ही हूं, बन सकता हूं सरकारी गवाह
जगदीश का कहना है कि पुलिस पर उसे भरोसा नहीं है और वह उसे फरार बता रही है जबकि वह उज्जैन में ही है। उषाराज का राजदार बता रहा जगदीश सरकारी गवाह बनकर घोटाले के राजों का खुलासा करने को तैयार है।
GPF ट्रांजेक्शन में ये मिलीं थी गड़बड़ियां
इस मामले में जिला कलेक्टर द्वारा 11 मार्च को जिला कोषालय उज्जैन के प्रारंभिक जांच में केंद्रीय जेल के फर्जी दस्तावेज के आधार पर जीपीएफ ट्रांजेक्शन में गड़बड़ियां मिली थी। जिसमें से राशि एक ही खाते में ट्रांसफर कर अनियमित फर्जी भुगतान IFMIS सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से किए जाने की जानकारी दी थी। 13 करोड़ 50 लाख 46,325 रुपए की राशि का अनियमित भुगतान हुआ था। इस मामले के सामने आते ही जेल मुख्यालय द्वारा जेल उप महानिरीक्षक (कल्याण) की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित की गई, जिसकी जांच में लगभग 15 करोड़ का अनियमित भुगतान और गबन किया जाना पाया गया था।