Jabalpur. जबलपुर की ग्रे आयरन फाउंड्री में शारंग तोप का उत्पादन और तेज हो गया है। तोप के उत्पादन से जुड़ी कुछ तकनीकी समस्याएं दूर कर दी गई हैं। एमुनेशन की बॉडी की ढलाई के साथ तोप युद्ध स्तर पर तैयार की जा रही है। बता दें कि जीआईएफ अब तक सेना को 20 शारंग तोपें तैयार कर दे चुका है।
ग्रे आयरन फाउंड्री में भी व्हीकल फैक्ट्री और जीसीएफ की तरह 130 एमएम तोप को अपग्रेड किया गया है। यह तोप अब 155 एमएम 45 कैलीबर की शारंग तोप में कन्वर्ट हो चुकी है। इसकी मारक क्षमता से लेकर तमाम तरह के अपग्रेडेशन किए गए हैं। बड़ी बात यह है कि जीआईएफ में यह तोप तैयार की गई है। यहां का मूल काम एमुनेशन की बॉडी की ढलाई का है।
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जीआईएफ के पास 50 से ज्यादा तोपों का ऑर्डर है। इस साल काफी संख्या में तोपें तैयार की गई हैं। अब यह प्रयास किया जा रहा है कि बाकी का लक्ष्य अगले साल तक पूरा हो जाए। लगातार वर्कलोड मिलने के कारण यहां पर गन मशीन शॉप नाम के नए सेक्शन का निर्माण किया गया है। यहीं पर पुरानी तोप को खोलकर उसे अपग्रेड करने का काम किया जाता है। इसमें कुछ विशेषज्ञ कर्मचारियों की तैनाती की गई है।
जीआईएफ के जनसंपर्क अधिकारी कुमार मनीष ने बताया है कि शारंग तोप का उत्पादन तेज गति से किया जा रहा है। अभी तक 20 तोपें तैयार की जा चुकी हैं। प्रयास किया जा रहा है कि अगले वित्तीय वर्ष में लक्ष्य पूरा कर लिया जाए।
यह ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें दूसरी आयुध निर्माणियां भी सम्मिलित हैं। इस तोप का बैरल आयुध निर्माणी कानपुर से आता है। कुछ कलपुर्जे दूसरी निर्माणियां उपलब्ध कराती हैं। लेकिन अब प्रक्रिया में अंतर आ गया है। पहले सभी निर्माणियां आयुध निर्माणी बोर्ड के अंतर्गत थीं। इसलिए सारा नियंत्रण बोर्ड के पास रहता था लेनिक अब निगमीकरण कर दिया गया है। ऐसे में सभी आयुध निर्माणियां अलग-अलग निगमों के अंतर्गत आ गई हैं। इसलिए प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव हुआ है।