INDORE. राऊ विधानसभा सीट इंदौर की सबसे नई सीट है। 2008 में परिसीमन के बाद ये नई सीट अस्तित्व में आई थी। राऊ विधानसभा सीट ग्रामीण और शहरी इलाके में बंटी हुई है और इस नगर निगम चुनाव में इसके शहरी इलाके में और विस्तार किया गया है। राऊ से इस समय जीतू पटवारी दूसरी बार चुनाव जीते हैं।
राऊ विधानसभा सीट का सियासी मिजाज
राऊ का सियासी मिजाज ऐसा है कि यहां मतदाता ने अब तक जीतू को ही चुनाव जिताया है। 2008 में इस सीट से बीजेपी के जीतू जिराती और कांग्रेस से जीतू पटवारी चुनाव लड़े थे दोनों एक ही समाज से ताल्लुक रखते है और दोनों का गांव भी बिजलपुर है। मतदाताओं ने पहला मौका बीजेपी के जीतू को दिया लेकिन अगले चुनाव यानी 2013 में कांग्रेस के जीतू को जिता दिया। 2018 में बीजेपी ने जीतू जिराती को टिकट नहीं दिया बल्कि मधु वर्मा को मैदान में उतारा लेकिन मधु वर्मा भी जीतू पटवारी के आगे चुनाव जीत नहीं सके।
राऊ विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण
राऊ में चाहे वो जीतू पटवारी हो या जीतू जिराती हो दोनों की जीत के पीछे खाती समाज है। दरअसल ये सीट खाती समाज बाहुल्य सीट है और यहां इस समाज के वोटरों की संख्या है करीब 22 हजार। इसके बाद नंबर आता है एससी-एसटी वर्ग का जिसके मतदाताओं की संख्या है करीब 35 हजार। मुस्लिम वोटर्स की संख्या है करीब 28 हजार, मराठी वोटर्स की संख्या है करीब 20 हजार, सिक्ख समाज के वोटर्स की संख्या है करीब 14 हजार, पाटीदार समाज और सिंधी समाज के वोटर्स की संख्या है करीब 12-12 हजार।
राऊ विधानसभा सीट के सियासी समीकरण
अब राऊ विधानसभा सीट के सियासी समीकरण को देखें तो कांग्रेस की तरफ से जीतू पटवारी ही चेहरा हैं। हालांकि सूत्र बताते हैं कि पीसीसी चीफ कमलनाथ के अंदरूनी सर्वे में जीतू पटवारी की स्थिति ठीक नहीं बताई जा रही इसलिए जीतू पटवारी ने मीडिया प्रभारी के पद से इस्तीफा देकर अब पूरा समय विधानसभा क्षेत्र को दिया है। नगर निगम चुनाव में भी राऊ के शहरी इलाके से बीजेपी को बढ़त मिली जो जीतू पटवारी के लिए चिंता का सबब है। इसलिए पटवारी लगातार जनता के बीच जाकर सक्रियता बढ़ा रहे हैं। दूसरी तरफ बीजेपी 10 साल बाहर रहने के बाद अब एक बार फिर सीट हासिल करने के लिए बेताब है। जीतू जिराती फिर सक्रिय हुए हैं। जिराती भी खाती समाज से आते हैं मगर जानकार बताते हैं कि समाज जीतू पटवारी को नेता मानता है जिराती को नहीं इसलिए पिछली बार जिराती को टिकट नहीं दिया गया। अब टिकट की दौड़ में इंदौर नगर के अध्यक्ष गौरव रणदिवे भी बताए जाते हैं क्योंकि मराठी वोटर्स की संख्या अच्छी खासी है।
राऊ विधानसभा के मुद्दे
राऊ में अगला विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर ही लड़ा जाएगा, ये तो तय है। विकास यहां सबसे बड़ा मुद्दा है। नगर निगम चुनाव के पहले हुए परिसीमन में राऊ में नए वार्ड जोड़े गए। यहां की कई कॉलोनियों में नर्मदा का पानी नहीं पहुंचा है। हालांकि ये सब पार्षदों के हिस्से के काम है। दूसरी तरफ देखें तो शहरी और ग्रामीण इलाके में पेयजल, शिक्षा, खेल और किसानों की समस्या बड़े मुद्दे हैं। ट्रैफिक की परेशानी भी एक बड़ी समस्या है। देवगुराड़िया से सटे ट्रैंचिंग ग्राउंड की सूरत तो बदल गई है इसलिए अब ये मुद्दा नहीं रहा है। वहीं राऊ में सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं और चिकित्सा सुविधा में कमी भी बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा राऊ में कई शैक्षणिक संस्थाएं होने की वजह से यहां बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है। इस पर बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की अपनी-अपनी दलीलें हैं।
अब इन तमाम मुद्दों के साथ द सूत्र ने हारे हुए प्रत्याशियों, नागरिक और इलाके के पत्रकारों से भी जाना था कि विधायक के कामकाज को लेकर उनके क्या सवाल हैं, जो सवाल निकलकर आए वो इस तरह हैं..
- 2018 में जीतू पटवारी ने अपने इलाके में हर वार्ड में जिम खोलने का वादा किया था, कितने जिम खोले ?
राऊ के विधायक जीतू पटवारी ने सवालों का जवाब दिया..
राऊ विधायक जीतू पटवारी ने दावा किया कि जो वादे उन्होंने किए थे वो पूरे किए हैं। जनता के साथ मेरा जीवंत संवाद है। बीजेपी सरकार कांग्रेस विधायकों के साथ भेदभाव करती है। जीतू पटवारी ने कहा कि मैं राऊ की जनता को अपना परिवार मानता हूं।
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