Jabalpur. जबलपुर में नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद सीबीआई चल ही रही है। इस जांच के चलते गड़बड़ियां सामने आने के बाद संबद्धता से जुड़े प्रकरणों में मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी फूंक-फूंककर कदम रख रही है। दरअसल हाल ही में ईसी बैठक में जहां 14 नर्सिंग कॉलेजों की सत्र 2020-21 की संबद्धता समाप्त कर दी गई, वहीं संबद्धता के प्रकरणों में भी केवल उन कॉलेजों को प्राथमिकता देने का फैसला लिया गया है, जिन्हें नर्सिंग काउंसिल और पैरामेडिकल काउंसिल ने सत्र 2022-23 के लिए मान्यता दी है।
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हाल ही में कार्यपरिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि जिन कॉलेजों को एमपीएनआरसी और एमपी पैरामेडिकल काउंसिल से सत्र 2021-22 और 2022-23 की मान्यता प्राप्त है, केवल उन्हीं कॉलेजों को सत्र 2021-22 की संबद्धता प्रदान करने की कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में रजिस्ट्रार डॉ पुष्पराज बघेल का कहना है कि पूरे घटनाक्रम के बाद हाईलेवल पैरामीटर पर निरीक्षण में खरे उतरने वाले कॉलेजों को ही नर्सिंग काउंसिल द्वारा नए सत्र की मान्यता दी गई है, जिसे ध्यान में रखते हुए ही विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता देने का फैसला लिया है। दरअसल विश्वविद्यालय द्वारा किया जाने वाले निरीक्षण 3 साल के मान्य होता है, इसलिए विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे कॉलेजों को भी संबद्धता दी जाएगी, जिन्हें लगातार दो सत्रों से संबद्धता मिली हुई है।
जांच कर रही हाईलेवल कमेटी
मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी से संबद्ध नर्सिंग कॉलेजों में फैकल्टी डुप्लीकेसी की जांच एक उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा की जा रही है। अब तक कॉलेजों में सत्र 2020-21 को लेकर जांच चल रही थी, लेकिन हाल में हुई ईसी बैठक में जांच का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। दरअसल विश्वविद्यालय द्वारा की गई पड़ताल में करीब 150 नर्सिंग कॉलेजों में फैकल्टी डुप्लीकेसी मिली थी। बड़ी गड़बड़ी उजागर होने के बाद वेटरनरी यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनाई गई है, जिसमें 8 सदस्य हैं।