New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। मामला जिला अदालतों में 1255 पदों पर भर्ती को चुनौती दिए जाने का है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की डबल बेंच ने अंतरिम आदेश के जरिए आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस आवेदकों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही हाईकोर्ट प्रशासन को 3 सप्ताह में शपथ-पत्र पर जवाब पेश करने का निर्देश भी दिया गया है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से याचिका निरस्त होने के बाद उस आदेश को चुनौती देते हुए पुष्पेंद्र कुमार पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से सुको में वरिष्ठ अधिवक्ता निखिल नैय्यर, रामेश्वर ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह समेत समृद्धि जैन ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि मप्र हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका निरस्त कर दी थी कि ओबीसी के मेरिट का अनारक्षित वर्ग में माइग्रेशन प्राथमिक नहीं, वरन अंतिम चयन के समय होगा।
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विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया गया कि इससे पहले हाईकोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि परीक्षा के प्रत्येक चरण में अनारक्षित सीटों को सिर्फ प्रतिभावान छात्रों से ही भरा जाएगा, चाहे वे किसी भी वर्ग के हों। इस आधार पर तर्क दिया गया कि ओबीसी वर्ग के 81 अंक हासिल करने वाले उम्मीदवार का चयन नहीं किया गया, जबकि अनारक्षित वर्ग के 77 फीसद अंक पाने वाले आवेदक का चयन कर लिया गया।
दलील दी गई कि दो अलग-अलग खंडपीठों ने एक ही मामले में विरोधाभासी आदेश जारी किए हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है।