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मध्यप्रदेश का मुखिया बनने के बाद से शिवराज सिंह चौहान लगातार सियासत की सीढ़ियां चढ़ते रहे हैं. केंद्र से लेकर प्रदेश तक हर जगह उनके सितारे बुलंदी पर ही रहे. 2018 में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद जब बीजेपी ने सत्ता ने वापसी की तो माना गया कि अब सीएम का सेहरा शिवराज के सिर नहीं सजेगा. लेकिन हर अटकल को दरकिनार कर शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर कुर्सी तक पहुंच गए. ये पहला मौका है जब पार्टी नेतृत्व ने शिवराज सिंह चौहान का कद घटाया है. हालांकि अपने स्वभाव के अनुसार शिवराज सिंह चौहान पार्टी के इस फैसले पर भी खामोश हैं जो सरल, सजग नजर आने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. उनके हावभाव और बॉडी लेंग्वेज कुछ भी कहे. पार्टी के इस फैसले कई मायने हैं. प्रदेश के अंतिम कार्यकर्ता तक जो मैसेज बीजेपी पहुंचाना चाह रही थी. वो मैसेज संभवतः हर तरफ पहुंच गया है वो भी एकदम लाउड एंड क्लीयर.
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