भोपाल में लाड़ली बहना योजना में अब तक डेढ़ लाख महिलाओं के रजिस्ट्रेशन,  ई-केवायसी सेंटर्स पर भीड़, कलेक्टर- MLA गौर ने लिया जायजा

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BP Shrivastava
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भोपाल में लाड़ली बहना योजना में अब तक डेढ़ लाख महिलाओं के रजिस्ट्रेशन,  ई-केवायसी सेंटर्स पर भीड़, कलेक्टर- MLA गौर ने लिया जायजा

BHOPAL.  मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव हैं और शिवराज सरकार ने महिलाओं के हित की योजना बनाकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। सीएम शिवराज ने पांच मार्च को लाड़ली बहना योजना लॉन्च की है।  इसके लिए 25 मार्च से आवेदन भरने की प्रक्रिया शुरू की गई है। अब तक इस योजना में डेढ़ लाख से ज्यादा आवेदन भरे जा चुके हैं। शनिवार, 8 मार्च को कलेक्टर आाशीष सिंह, विधायक कृष्णा गौर के साथ सेंटर्स पर पहुंचे और व्यवस्थाओं का जायजा लिया।



रजिस्ट्रेशन कराने सेंटर्स पर महिलाओं की भीड़



कलेक्टर सिंह सबसे पहले विधायक कृष्णा गौर के साथ बाग सेवनिया के ई-केवायसी सेंटर पर पहुंचे। यहां अपडेशन के काम को देखा। इस दौरान निगम कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी, अपर आयुक्त संदीप केरकट्‌टा भी मौजूद थे। इसके बाद कलेक्टर गौतम नगर क्षेत्र के सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे। यहां पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए महिलाओं की खासी भीड़ देखने को मिली। कलेक्टर ने सभी महिलाओं का रजिस्ट्रेशन करने और कोई परेशानी ना होने की बात कही।



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शहर में 94 हजार से ज्यादा रजिस्ट्रेशन



भोपाल शहरी क्षेत्र में अब तक 94 हजार से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, जबकि बैरसिया नगर पालिका क्षेत्र में 3100 रजिस्ट्रेशन हुए। जनपद पंचायत बैरसिया में करीब 28 हजार और फंदा जनपद में 25 हजार महिलाओं के रजिस्ट्रेशन हुए हैं।



योजना के बारे में जाने




  • 25 मार्च से आवेदन लेने शुरू हुए।


  • 30 अप्रैल तक आवेदन लिए जाएंगे।

  • अंतिम सूची 1 मई को जारी होगी। 15 मई तक आपत्तियां ली जाएंगी।

  • 30 मई तक आपत्तियों का निराकरण होगा।

  • अंतिम सूची 31 मई को जारी होगी।

  • 10 जून को बैंक अकाउंट में रुपए ट्रांसफर किए जाएंगे।

  • हर महीने की 10 तारीख को ही राशि ट्रांसफर की जाएगी।



  • इसलिए पड़ी योजना की जरूरत



    नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के अनुसार मध्यप्रदेश की 23 प्रतिशत महिलाएं बॉडी मास इंडेक्स में पीछे हैं। सर्वे में 15 से 49 साल उम्र की 54.7 प्रतिशत महिलाओं के एनीमिया की शिकार होने का पता चला। जबकि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा साल 2020-21 में जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में श्रम बल सहभागिता दर में ग्रामीण क्षेत्र में 57.7 प्रतिशत पुरुषों की हिस्सेदारी है, वहीं महिलाओं की भागीदारी महज 23.3 प्रतिशत है। शहरों में 55.9 प्रतिशत पुरुष श्रम बल के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी मात्र 13.6 प्रतिशत है। सर्वे से पता चलता है कि काम के नजरिए से पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी कम है। इस कारण से महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर होने के बजाए पुरुषों पर आश्रित हैं।

     


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