MP News : मप्र के इंदौर में करीब 36 हजार महिलाएं लखपति और करोड़पति बन गई हैं। यह हुआ है मप्र शासन की एक स्कीम के कारण। इन महिलाओं के नाम पर इंदौर में 6300 करोड़ की संपत्तियां दर्ज हो गई हैं।
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ऐसे बनीं लखपति और करोड़पति
मप्र सरकार ने महिलाओं के नाम पर होने वाली रजिस्ट्री में दो प्रतिशत की छूट दे रखी है, जिसका परिणाम यह है कि इंदौर में वित्तीय साल 2024-25 के दौरान हुई 85 हजार रजिस्ट्रियों में से 35998 रजिस्ट्रियां (42 फीसदी) महिलाओं के नाम हुई हैं। यानी यह अचल संपत्तियों की मालकिन बनी हैं। इन अचल संपत्तियों की कीमत किसी जगह लाखों में तो कहीं पर करोड़ों में हैं।
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इनकी कीमत 6300 करोड़ रुपए
महिलाओं के नाम दर्ज हुई 35998 संपत्तियों की गाइडलाइन के हिसाब से 6300 करोड़ रुपए तो बाजार मूल्य से आंका जाए तो दस हजार करोड़ से अधिक की संपत्तियों की मालकिन महिलाएं हो गई हैं। इसके चलते मप्र शासन को भी राजस्व मिला है। इससे मप्र सरकार को करीब 438 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है।
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इंदौर जिले के आंकड़ों पर एक नजर
कुल दस्तावेज - 1,85.001
कुल रजिस्टी - 85 हजार
कुल आय - 2540 करोड़
महिलाओं के पक्ष में रजिस्ट्री - 35998
महिलाओं से कुल आय - 438.86 करोड़
महिलाओं के पक्ष में संपत्ति - 6300 करोड़
दो फीसदी छूट का लाभ - 126 करोड
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महिलाओं को होने वाली रजिस्ट्री के फायदे
सामान्य तौर पर शहरी क्षेत्र में 12.5 और ग्रामीण में 9.5 रुपए की गाइडलाइन से ड्यूटी लगती है। रजिस्ट्री में दो प्रतिशत का आंकड़ा बड़ा होता है। एक करोड़ की संपत्ति है तो सीधे दो लाख रुपए की बचत हो जाती है।
बीते साल 38 फीसदी थी हिस्सेदारी
इंदौर ने संपत्ति की खरीदी में एक बार फिर अपना वर्चस्व कायम रखा। 1.85 लाख दस्तावेज तैयार हुए, जिससे सरकार को करीब 2540 करोड़ रुपए की आय हुई। इसमें से 85 हजार से अधिक रजिस्ट्रियां हुई है, जिसमें महिलाओं के नाम पर 35,998 रजिस्ट्री की गई। देखा जाए तो कुल रजिस्ट्री का ये 42 फीसदी हिस्सा है, हालांकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 38 प्रतिशत था।
इंदौर-उज्जैन से इतना मिला राजस्व
इंदौर-उज्जैन संभाग में गत वर्ष से 298.11 करोड़ से अधिक का राजस्य बढ़ा है। पिछले वर्ष 4311.46 करोड़ रुपए सरकार के खाते में जमा हुए थे तो इस वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा 4609.57 करोड़ का हो गया है। इसमें इंदौर की आय 2540 करोड़ शामिल है। देखा जाए तो सबसे ज्यादा राजस्व जमा करने वाला इंदौर जिला है, जिसका हिस्सा 55 फीसदी है। दूसरे नंबर पर उज्जैन है, जहां से सरकार को 479 करोड़ तो तीसरे नंबर पर वेवास है जहां से 280 करोड़ रुपए का राजस्व सरकार को मिला।