शिव-विष्णु के रिश्तों में जमी बर्फ, महिला आईएसस ने की मंत्री की बोलती बंद, क्या बुलंद रहेगा इकबाल

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Shivasheesh Tiwari
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शिव-विष्णु के रिश्तों में जमी बर्फ, महिला आईएसस ने की मंत्री की बोलती बंद, क्या बुलंद रहेगा इकबाल

हरीश दिवेकर। हवाओं का रुख बदलने से मध्यप्रदेश में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। घरों में रजाई और कंबल निकलना शुरू हो गए हैं। अपनी बेबाक बयानों से चर्चा में रहने वाली बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत अब हिमाचल से राजनीति के मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर 1 लाख का जुर्माना लगाकर दिन में तारे दिखा दिए हैं। कैंसर पीड़ित की जमानत रद्द करने की याचिका पर ये जुर्माना लगाया गया है। हमारे पास आपके लिए खबरें तो और भी हैं, मौसम की ठंडक में अंदर की खबरों की गरमाहट पाने के लिए अब आप सीधे अंदर घुस जाएं। पढ़िए मंत्रालय और राजनीतिक गलियारों के ​कुछ रोचक किस्से....तो शुरू करते हैं- बोल हरि बोल।





शिव-विष्णु के रिश्तों में क्या जम रही बर्फ





सियासतदान जब ऊंची कुर्सी पर बैठे हों तो उनके हर कदम और अंदाज के मायने ​निकाले जाते हैं। ऐसा ही कुछ शिव-विष्णु की जोड़ी के साथ देखा जा रहा है। फॉलोअर्स को अब इनके रिश्तों में गर्माहट नहीं हिमालय-सी ठंडक महसूस होने लगी है। धनतेरस की पूजा में न तो शिव पहुंचे, और न ही उनका कोई गण। अंदरखाने बताते हैं कि विष्णु ने भी न तो शिव का इंतजार किया और न ही संदेशा भिजवाया, मुहूर्त शुरू होते ही पूजा कर दी। दो दिन बाद ही विष्णु का अवतरण दिवस था लेकिन इस दिन भी शिव गले मिलकर बधाई देने नहीं गए। हालांकि दो दिन बाद शिव ने विष्णु को बधाई दी। लेकिन तब तक फॉलोअर्स में संदेश जा चुका था। अब सब एक दूसरे से पूछने लगे हैं कि क्या शिव-विष्णु के रिश्तों में बर्फ जमने लगी है। 





बुलंद रहेगा इकबाल या दूसरे को मिलेका मौका





मंत्रालय में हर कोई जानना चाहता है कि बड़े साहब की कुर्सी पर कौन आएगा। हर कोई अपने हिसाब से गणित-ज्ञान लगाने में जुटा हुआ है। दरअसल बड़े साहब का रिटायर्डमेंट नवंबर में है। लेकिन साहब वाकई रिटायर्ड होंगे या फिर एक्सटेंशन पर जमे रहेंगे, इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। हॉट सीट पर बैठने वाले दावेदारों की ​पिक्चर साफ है, दिल्ली वाले साहब ने अब तक ये माहौल बना रख है कि वो एमपी नहीं आना चाहते, ऐसे में अब लोगों की निगाहें एमपी वाले दावेदारों पर आकर टिक गई हैं। बड़े साहब को लेकर प्रशासनिक गलियारों में भले ही गुणा-भाग लग रहे हों, लेकिन मामा अपना मूड बना चुके हैं। हालांकि उन्होंने अभी अपने पत्ते ओपन नहीं किए। ऐसे में तो सवाल उठेगा ही ना कि बुलंद रहेगा इकबाल या फिर मिलेगा दूसरे को मौका।





महिला आईएएस ने की मंत्री की बोलती बंद





ब्यूरोक्रेसी को गरियाकर सुर्खियां बटोरने वाले मंत्री की एक महिला आईएएस ने बोलती बंद कर दी है। मंत्रीजी ने कुछ दिन पहले प्रशासनिक मुखिया को कटघरे में खड़ा करके पूरे प्रशासनिक अमले को घेरकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। तब से मंत्री का ही नहीं उनके स्टॉफ का कॉन्फिडेंस हाई हो गया था कि अब तो ब्यूरोक्रेसी उनके इशारों पर नाचेगी। इसी वहम के चलते मंत्री के ओएसडी ने विभाग की महिला आईएएस पर आड़े तिरछे कामों के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया। महिला आईएएस ने न केवल ओएसडी बल्कि मंत्री को दो टूक में समझा दिया जो नियम में होगा, हो जाएगा। उल्टे-सीधे कामों की उनसे उम्मीद न रखी जाए। मंत्री ने उधर से कुछ बोला तो महिला आईएएस ने जवाब दिया कि तबादले का डर न बताएं। 





किसके इशारे पर कसी जा रही मंत्री पर लगाम





शिव कैबिनेट के कददावर मंत्री अपने अफसरों से खासे परेशान हैं। कल तक वे अपने कमिश्नर से परेशान थे, वो उनकी बातें सुनता ही नहीं था। कमिश्नर का तबादला हुआ तो अखबारनवीसों ने छापा कि मंत्री की नाराजगी का शिकार हुए कमिश्नर। मंत्री ही नहीं उनके स्टॉफ ने भी राहत की सांस ली, कि चलो अब चुनावी मौसम वाले साल में तो अपने हिसाब से विभाग चला पाएंगे। अफसोस खुशी चंद दिनों की रही। कमिश्नर का मामला तो सुलझा तो अब प्रमुख सचिव फैल गए हैं। मंत्री की हर फाइल अब विभाग में जबरन लटकाई जा रही है। ऐसे में अब मंत्री स्टॉफ भी पता लगाने में जुट गया है कि आखिर किसके इशारे पर लगाम कसने का प्रयास हो रहा है। 





डांट पड़ते ही बदले सुर





कल तक जो जमीन सरकारी है, वो जमीन हमारी है, का नारा बुलंद करने वाली इमरती आज मियामियाती नजर आ रही हैं। विवादों में घिरने के बाद मीडिया ने सवाल किए तो उनके बोल नहीं निकले, मीडिया ने जोर दिया तो इमरती बोल पड़ी तुम कछु पुछत रहो, हम बताएंगे नहीं। अंदरखाने के लोग बता रहे हैं कि महाराज से मुलाकात के बाद ही इमरती के तेवर ठंडे हुए हैं। उपचुनाव में हारने के बाद से इमरती ने अपने तेवर तीखें कर रखे हैं, अपना वर्चस्व साबित करने के लिए नगर पालिका चुनाव में गृहमंत्री को उनके घर में ही मात देते हुए अपने समर्थकों की परिषद बनवा दी। तब से इमरती के तेवर बदले हुए थे, लेकिन एक मामले ने उन्हें फिर से जमीन पर ला दिया।  





मकवाना ने उड़ाई भ्रष्टों की नींद





लोकायुक्त डीजी कैलाश मकवाना ने इन दिनों भ्रष्ट अफसरों की नींद उड़ा रखी है। उन्होंने पद संभालते ही जिस तरह से ताबड़तोड़ एक्शन लेना शुरु किया वो काबिले तारीफ है। अब तक चार आईएएस और एक आईएफएस लोकायुक्त की जद में आ गए हैं। ये बात अलग है कि क्या मकवाना इनके खिलाफ जांच करने की अनुमति सरकार से ले पाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं। मकवाना ने पद संभालते ही सातों जोन के एसपी को पत्र लिखकर अपने इरादे साफ कर दिए थे कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करना है तो खुद का ईमानदार होना जरूरी है। हालांकि उस समय उनकी ये बातें किताबी लग रही थीं, लेकिन अब कहा जा सकता है कि एक्शन होगा। आपको बता दें कि मकवाना ने लोकायुक्त एसपी रहते हुए आईएएस रमेश थेटे को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। लोकायुक्त के ट्रेप में फंसने वाले थेटे पहले आईएएस थे।





जाते-जाते साहब लोगों को बिन मांगे सलाह-





दिया तेल भी नहीं मंगवा सकते





राजधानी में कुछ आला पदों पर बैठे अफसरों के पेंट में जेब ही नहीं है। साहब लोगों को वेतन खाते में सिर्फ जमा होता है लेकिन निकलता नहीं है। कारण कि छोटे-छोटे खर्चे भी ऊपरी कमाई से जो पूरे हो रहे हैं। साहब तो ठीक हैं मेमसाहब लोग इनसे भी दो कदम आगे हैं। इन्होंने तो दीवाली की पूजा के दिए-वाती और तेल लाने के लिए भी अधीनस्थ अधिकारियों की डयूटी लगा दी। बेचारे अफसर अपने घर की दिवाली छोड़कर साहब के बंगलों के लिए दिए-तेल की व्यवस्था करने में लगे रहे। साहब लोगों को शायद ये अंदाजा नहीं है कि उनकी मेमसाहब की छोटी-छोटी डिमांड उनके कैरियर पर बड़े बड़े दाग लगा रही है। दिया तेल लाने वाले अधिकारी-कर्मचारी साहब लोगों की छोटी सोच का ढिंढोरा पीटकर उनका बाजा बजाए दे रहे हैं। अपुन की सलाह है मेमसाहब लोगों को समझाओ छोटी-छोटी चीजों में बदनामी क्यों लेने का...करना ही है तो बड़ा करने का।



 



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