MPPSC राज्य सेवा परीक्षा-2019 के 1918 अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से राहत, नहीं देनी होगी फिर से लिखित परीक्षा

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Sunil Shukla
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MPPSC राज्य सेवा परीक्षा-2019 के 1918 अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से राहत, नहीं देनी होगी फिर से लिखित परीक्षा

BHOPAL. भोपाल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा मुख्य परीक्षा 2019 दोबारा कराने का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने मंगलवार, 13 दिसंबर को इस मामले में रिव्यू आर्डर जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि 2019 की लिखित परीक्षा में सफल हो चुके अभ्यर्थियों की दोबारा परीक्षा कराने की जरूरत नहीं है। सिर्फ उन्हीं अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा ली जाए जिन्हें बाद में आरक्षण के नए फार्मूले से जारी किए गए रिजल्ट में पात्र माना गया है। कोर्ट ने एमपीपीएससी को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू की प्रोसेस 06 महीने में पूरी करने के निर्देश दिए हैं।  बता दें कि राज्य सेवा परीक्षा- 2019 मेंस की लिखित परीक्षा मार्च 2021 में हुई थी इसका रिजल्ट दिसंबर 2021 में जारी हुआ।



ऑनलाइन एप्लीकेशन पर रोक



इसमें सफल उम्मीदवारों के इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू होनी थी। लेकिन अप्रैल 2022 में आरक्षण के रोस्टर नियम को लेकर हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया और नियमों को खारिज कर दिया।  हाईकोर्ट के आदेश के आने के बाद 14 दिसंबर से मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग लिखित परीक्षा के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन बुला रहा था उससे अभी रोक लगा दी है इसकी सूचना आयोग ने जारी कर दी है



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ओबीसी आरक्षण को लेकर फंसा पेंच



इसके बाद रोस्टर नियम और ओबीसी आरक्षण को लेकर  पेंच के चलते मध्य प्रदेश लोक आयोग अक्टूबर 2022 में नए सिरे से रिजल्ट जारी किया। इसमें करीब 4 हजार और अभ्यर्थियों को पात्र घोषित किया गया।  आयोग ने पुरानी लिखित परीक्षा का रिजल्ट जीरो घोषित कर दिया और दोबारा लिखित परीक्षा कराने के आदेश जारी किए। इसे लेकर पूर्व में इंटरव्यू के लिए क्वालिफाई हो चुके 1918 अभ्यर्थियों में से140 अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट जबलपुर में याचिका लगाई। याचिका में कहा गया कि हमारी दोबारा परीक्षा नहीं कराई जाए, हम पहले ही मेंस में सफल हो चुके हैं । हाई कोर्ट में अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और उनके सहयोगी अधिवक्ता आकाश लालवानी ने पैरवी की।



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अभ्यर्थियों ने लगाई थी याचिका



इस परीक्षा में पूर्व में सफल हो चुके 1 हजार 918 अभ्यर्थियों की ओर से 140 अभ्यर्थियों ने ये याचिका लगाकर मांग की गई थी कि पीएससी द्वारा पूरे रिजल्ट को जीरो कर दोबारा सभी की इसकी लिखित परीक्षा कराने का आदेश जारी किया गया है, जो गलत है, यदि परीक्षा लेना भी है तो नए रिजल्ट में पास हुए अतिरिक्त अभ्यर्थियों की केवल विशेष परीक्षा ली जाए और जो सफल हो चुके उनकी दोबारा परीक्षा लेने की जरूरत नहीं है, उनके इंटरव्यू प्रक्रिया को ही आगे बढ़ाया जाए।




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हाईकोर्ट ने कभी पूरी प्रक्रिया निरस्त करने के लिए नहीं कहा था



अभ्यर्थियों की ओर से इसमें तर्क रखे गए कि पूरी प्रोसेस को निरस्त नहीं किया जा सकता है। पीएससी द्वारा बात रखी गई कि अप्रैल 2022 में रोस्टर नियमों को लेकर हाईकोर्ट के दिए गए निर्देश के अनुसार ही दोबारा परीक्षा की जा रही है।



हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला



इस पर अभ्यर्थियों के अधिवक्ता की ओर से तर्क रखे गए कि हाईकोर्ट ने केवल रोस्टर नियमों को खारिज किया था, ऐसा कहीं निर्देश नहीं थे कि पूरी भर्ती प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया जाए। ऐसे में पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दोबारा लिखित परीक्षा लेने का कोई मतलब ही नहीं बनता है। इसमें सफल अभ्यर्थियों की कोई गलती नहीं है। ये भी कहा गया कि पहले भी पीएससी स्पेशल लिखित परीक्षा ले चुका है तो फिर इस बार क्या दिक्कत है, वो इस बार भी कर सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता नागरथ के साथ सहयोगी तौर पर अधिवक्ता आकाश ललवानी भी साथ थे। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया था।


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