तीन बार जला, टूटा और फिर उससे ज्यादा वैभव के साथ हर बार सीना तानकर खड़ा हुआ; हर इंदौरी की आन, बान, शान राजवाड़ा

author-image
Pratibha Rana
एडिट
New Update
तीन बार जला, टूटा और फिर उससे ज्यादा वैभव के साथ हर बार सीना तानकर खड़ा हुआ; हर इंदौरी की आन, बान, शान राजवाड़ा

योगेश राठौर, INDORE.  राजवाड़ा… हर इंदौरी का गर्व, 200 सालों से गर्व के साथ सीना ताने खड़े हुए इंदौर में कोई भी खुशी का पल हो, यहां का हर बाशिंदा वहीं जमा होता है। इतिहास में तीन बार ये जला, चार साल पहले बारिश में एक हिस्सा ढह गया, लेकिन हर बार उससे अधिक वैभव के साथ यह सीना तानकर खड़ा होकर हर इंदौरी की हिम्मत बंधाता है। 2018 की बारिश में एक बड़ा हिस्सा ढहने के बाद चार सालों से चल रहा जीर्णोद्दार काम पूरा हो गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार ( 13 फरवरी) शाम चार बजे इसको लॉन्च कर रहे हैं। इसके बाद यह आम लोगों के लिए खुल जाएगा। हर व्यक्ति की टिकट दर 20 रुपए रहेगी और विदेशी लोगों के लिए 400 रुपए टिकट दर होगी।



23 करोड़ से हुआ जीर्णोद्धार



2018 की बारिश के दौरान राजवाड़ा का एक बड़ा हिस्सा धराशाई हो गया। इसके बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 23 करोड़ की राशि से पूरे राजवाड़ा का नए सिरे से जीर्णोदधार किया गया। काम के दौरान इसकी नींव को मजबूत किया गया। इसके साथ ही ऊपर की चार मंजिलों में जो पूरी तरह से लकड़ी का बना हुआ, इसका सुधार भी किया गया। नींव को मजबूत करने के लिए उड़द की दाल, शहद, चूना, जूट, इमली का पानी जैसी सामग्री का इस्तेमाल किया गया, जिससे कि चूहे बिल नहीं बना पाएं। ऊपर की चार मंजिलों की लकड़ियां सड़ चुकी थी, जिन्हें बदल कर नई सामग्री लगाई गई है। दीवारों की नटबोल्ट से कसा गया है। इससे इनमें मजबूती बनी रहेगी। वहीं पुराने वैभव के लिए इसमें वहीं पुराना यलो और डार्क ब्राउन कलर के कॉम्बिनेशन से पुताई की गई है। अब वैभव देखते ही बनता है, खासकर रात के समय जब इसकी दीवारों पर लाइट पड़ती है तो इसकी आन-बान, शान देखते ही बनती है। 



ये खबर भी पढ़िए...






राजवाड़ा का इतिहास



यह एक राजशाही महल है। 1747 में मल्हारराव प्रथम ने राजबाड़ा के निर्माण की शुरुआत की। 6174 वर्गमीटर जमीन पर राजबाड़ा संगमरमर, लकड़ी, ईट और मिट्टी का फ्रेंच, मुगल और मराठा आर्किटेक्ट से बनी भव्य और खूबसूरत ईमारत है। 1761 में मल्हारराव प्रथम के समय राजबाड़ा का निर्माण कार्य रुका रहा। 1765 के बाद राजबाड़ा बनकर तैयार हुआ था। इस दौरान मां अहिल्याबाई ने कामकाज संभाला था। राजवाड़ा सात मंजिला महल है। नीचे की तीन मंजिले मार्बल की बनी है और ऊपरी चार मंजिलों को सागौन की लकड़ी से बनवाया गया था। राजबाड़ा का प्रवेश द्वार 6.70 मीटर ऊंचा है। यह द्वार हिंदू शैली के महलों की तर्ज पर बना है। होलकरों का दरबार हॉल जिसे गणेश हॉल कहा जाता है, वह फ्रेंच शैली का अप्रतिम नमूना है। राजबाड़ा के ठीक सामने एक सुंदर सा बगीचा है, जिसके मध्य में महारानी देवी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा स्थापित है। 



कब-कब जला राजवाड़ा



1801 में सिंधिया के सेनापति सरजेराव घाटगे ने इंदौर पर आक्रमण किया और राजबाड़ा के एक बड़े हिस्से को जला दिया। 1834 में फिर एक बार राजबाड़ा में अचानक आग लगने से ऊपरी मंजिल पूरी तरह जल गई। 1984 में इंदिरा गांधी हत्याकांड के समय भी राजबाड़ा में आग लगा दी गई थी। 2006 में इंदौर की तत्कालीन महारानी उषादेवी होलकर ने इसका पुर्ननिर्माण करवाया और  2007 में यह काम पूर्ण हुआ। 2018 में बारिश के दौरान इसका एक हिस्सा धराशाई हो गया था।



वीडियो देखें- 




Chief Minister Shivraj Singh Chouhan MP News 23 करोड़ से हुआ राजवाड़ा का जीर्णोद्धार राजवाड़ा में जीर्णोद्दार काम पूरा शिवराज आज इंदौर आएंगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंग चौहान Rajwada renovated with 23 crores एमपी न्यूज renovation work completed in Rajwada Shivraj will come to Indore today