राहुल शर्मा, भोपाल। सेज ग्रुप ने मैदानी अधिकारियों से साठ-गांठ कर भोपाल के तत्कालीन कलेक्टर निशांत बरवड़े से सागर प्रीमियम टॉवर फेस-1 के फ्लैट छुड़वा लिए। बिल्डर की धाक इसी से समझी जा सकती है कि उसने नगर निगम (Nagar Nigam), राजस्व (Revenue) और पीएचई (PHE) विभाग के अफसरों से शत-प्रतिशत विकास कार्य की फर्जी रिपोर्ट कलेक्टर को भिजवाकर 14 मार्च 2014 को अपने बंधक प्लॉट छुड़वा लिए। इसका खुलासा 5 साल बाद 9 अक्टूबर 2019 को सूचना के अधिकार (RTI) में मिले दस्तावेजों से हुआ। इसमें नगर निगम भोपाल ने साफ किया कि सागर प्रीमियम फेस-1 को किसी भी तरह का कोई पूर्णता प्रमाण पत्र (Certificate) जारी नहीं किया गया। ना ही इसका कोई रिकॉर्ड निगम के पास कोई मौजूद है।
लोगों पर गिरी गाज
बिल्डर और अफसरों की मिलीभगत का खामियाजा उन लोगों ने भुगता, जिन्हें समय पर फ्लैट नहीं मिले। सागर प्रीमियम के 8 फ्लैट जिनका नंबर 509 से 516 था, इन्हें बंधक मुक्त किया गया। हालांकि, बाद में बिल्डर ने इनका निर्माण (Construction) पूरा (Complete) करवा दिया। अब सवाल उठता है कलियासोत नदी (Kaliasot River) के ग्रीन बेल्ट पर बनाई गई मल्टी स्टोरी का। बिल्डर ने यहां भी मैदानी अफसरों से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से अनुमति लेकर मल्टी तानकर फ्लैट बेचे। अब जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इन्हें अवैध (Illegal) घोषित किया तो फ्लैट खरीदने वाले अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। दरअसल, सेज ग्रुप तो फ्लैट बेचकर अलग हो गया, अब फ्लैट खरीदने वालों की आफत है। यदि ये फ्लैट तोड़े जाते हैं तो इनकी जमा पूंजी पानी में चली जाएगी।
बैंक से भी साठगांठ
सेज ग्रुप ने ना केवल प्रशासनिक अमले (Administration) को सेट किया, बल्कि बैंकों के अधिकारियों से भी साठगांठ की। यही वजह है कि नदी के ग्रीन बेल्ट (Green Belt) पर निर्माण होने पर भी बैंकों ने प्रोजेक्ट फाइनेंस (Finance) कर दिया। हालांकि, कागजी खानापूर्ति के लिए वे सारी अनुमतियां दिखाई गईं, जो प्रशासनिक अमले से सेटिंग करके ली गई थीं। इस पूरे खेल को साबित करने के लिए द सूत्र के पास कुछ दस्तावेज भी मौजूद हैं।
कम्प्लीशन सर्टिफिकेट पर कोई कार्रवाई नहीं
नगर निगम के अपर आयुक्त ने 25 फरवरी 2016 को मेसर्स अग्रवाल कंस्ट्रक्शन यानी सेज ग्रुप (SAGE Group) को सागर प्रीमियम प्लाजा को लेकर NGT में चल रहे मामले को लेकर चिट्ठी लिखी। इसमें अग्रवाल कंस्ट्रक्शन के उस दावे का जिक्र भी किया, जिसमें कम्प्लीशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate) होने की बात कही गई थी। वहीं, हरिमोहन गुप्ता की याचिका की सुनवाई (Petition) के दौरान नगर निगम भोपाल में ही 9 अक्टूबर 2019 को राज्य सूचना आयोग (SIC) को यह जानकारी दी कि अभी कम्प्लीशन सर्टिफिकेट देने संबंधी कोई कार्रवाई ही नहीं की गई।
अधिकारियों और बिल्डर को कोसते लोग
पूरा खेल अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत से हुआ। खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यहां रह रहे लोग बिल्डर और अधिकारियों को कोसते हुए थकते नहीं है। पूरी जमा पूंजी इस तरह से खत्म होते देख महिलाएं बद्दुआएं दे रही हैं। यहां के लोग अधिकारियों और बिल्डर पर इतने गुस्से में हैं कि उनके द्वारा बोले जाने वाले शब्दों को द सूत्र खबर में दिखा भी नहीं सकता।