Mandla,Asgar Quraishi. मंडला में खाद्यान्न में प्लास्टिक का चावल मिलने का भ्रम ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार फैलता जा रहा है। वहीं खाद्य विभाग का कहना है कि यह प्लास्टिक का चावल नहीं है बल्कि एनीमिया जैसी बीमारी से बचाव के लिए फोर्टीफाइड चावल बनाया गया है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में फैली अफवाह को रोकने के लिए अभी तक विभाग ने अपने स्तर पर कोई प्रयास नहीं किया है। इससे पहले जबलपुर में भी पूर्व वित्तमंत्री तरुण भनोत भी प्लास्टिक वाला चावल बांटे जाने का आरोप प्रशासन पर लगा चुके हैं।
फैल रही है अफवाह
ग्रामीणा क्षेत्रों में यह अफवाह फैलाई जा रही है कि जिले के तमाम ग्रामीण क्षेत्रों की राशन दुकानों से प्लास्टिक का चावल दिया जा रहा है। यह जानकारी पूरे ग्रामीण इलाकों में एक अफवाह की तरह फैल गई है। ग्रामीणों का मानना है कि खाद्यान्न के तहत राशन दुकान से मिला चावल प्लास्टिक का है, जिसे खाकर लोग बीमार पड़ रहे हैं। सोसायटी द्वारा प्लास्टिक का चावल बांटा जा रहा है। कुछ बस्ती के लोगों का भी कहना है कि उन्हें दिया जा रहा चावल काफी देर तक भी नहीं पकता है। हमें लगता है प्लास्टिक का चावल या दवाई मिला है, हमें नहीं मालूम पर चावल धोने में पानी के ऊपर आ जाता है। सरकार ने गेहूं बंद कर दिया कम से कम चावल ढंग से दे।
तबीयत भी बिगड़ गई
उत्तम बताते हैं की जो चावल हम सोसाइटी से लाते हैं, वह दवाई मिला है या नहीं हमें नहीं मालूम, पर उसको खाने पर वह हमको हजम नहीं होता तथा उल्टियां आती हैं। अफसरी बाई बताती हैं हमें जो चावल मिल रहा है, बेकार मिल रहा है, दवाई वाला है , पकाने में गीला बनता है तथा स्वाद भी नहीं आता।
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फोर्टीफाडड चावल है विटामिन की कोटिंग कराकर हुआ तैयार
यह चावल खाने और चबाने पर रबड़ या प्लास्टिक की तरह लगता है। प्लास्टिक का है, जिसे खाकर लोग बीमार हुए हैं। इस भ्रम और अफवाह को दूर करने के लिए खाद्यान् विभाग ने अपने तरीके से लोगों को समझाइश देने की कोई कोशिश अभी तक नहीं की है।
खाद्य विभाग के खाद्य अधिकारी सी आर कौशल का कहना है कि यह चावल प्लास्टिक का नहीं है बल्कि एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी को दूर करने के लिए यह फोर्टीफाइड चावल बनाया गया है। इस कोटिफाइड चावल से एनीमिया बीमारी से ग्रसित लोगों को राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि इस चावल में विटामिन बी12, आयरन और अन्य कई मल्टीविटामिन मिलाकर एक पाउडर बनाया जाता है, जिसे चावल में मिलाकर कोडिफाइड किया जाता है। वहीं जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वही पब्लिक में भ्रम पैदा हो रहा है। कुछ भ्रांतियां हैं लेकिन हम लोग पब्लिक को बताने का प्रयास कर रहे हैं कि इस चावल में पौष्टिक तत्व हैं और चावल से कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा है।
चावल और प्लास्टिक के दाम में जमीन आसमान का अंतर
दरअसल बाजार में प्लास्टिक के दाम सैंकड़ों रुपए किलो हैं और अच्छे से अच्छा पुलाव वाला चावल भी 80 से 100 रुपए किलो बिकता है। ऐसे में लोग इतना भी अंदाजा नहीं लगा रहे कि सस्ती चीज में महंगे प्लास्टिक की मिलावट आखिर कोई क्यों करेगा। बीजेपी इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है। उसके नेताओं का कहना है कि कांग्रेस चुनावी साल में भोलीभाली जनता को बरगलाने के लिए ऐसी अफवाह फैला रही है।