अनादि कल्पेश्वर पहुंची साध्वी प्राची, बोलीं- बेटियों को बचाने कट्टर संस्कार देने पड़ेंगे, बेटियों को पर्स में चाकू रखना चाहिए

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The Sootr
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अनादि कल्पेश्वर पहुंची साध्वी प्राची, बोलीं- बेटियों को बचाने  कट्टर संस्कार देने पड़ेंगे, बेटियों को पर्स में चाकू रखना चाहिए

आमीन हुसैन, RATLAM. संत साध्वी प्राची 15 फरवरी, बुधवार को आलोट पहुंची। यहां उन्होंने धरोला स्थित अनादि कल्पेश्वर के दर्शन कर भगवान का जलाभिषेक किया। मंदिर समिति के सदस्यों ने साध्वी को मंदिर के इतिहास से भी रूबरू करवाया। दर्शन कर साध्वी प्राची बगलामुखी माता के दर्शन के लिए निकली। बता दें कि साध्वी प्राची मूलत: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की रहने वाली है।



मदनी के बयान पर साध्वी का पलटवार



मीडिया से चर्चा करते हुए साध्वी प्राची ने मदनी के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मदनी को हिंदू धर्म की ABCD भी नहीं पता है। उनके जैसे लोगों ने सन् 1947 में देश का बंटवारा करवाया था और कहा था कि हम हिंदुओं के साथ नहीं रहेंगे। प्राची ने कहा कि हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र था और हिंदू राष्ट्र ही रहेगा। 



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लिपस्टिक नहीं बेटियों को पर्स में चाकू रखना चाहिए: साध्वी



साध्वी प्राची ने कहां कि अपनी बेटियों को बचाने के लिए कट्टर संस्कार देने पड़ेंगे मैं तो कहूंगी कि बेटियां पर्स में लिपस्टिक की जगह चाकू रखें। कोई जेहादी गर्दन उतारने पर उतारू हो तो उससे पहले उसकी गर्दन उतार दो।



कौन है साध्वी प्राची?



साध्वी प्राची मूल रूप से यूपी के बागपत जिले की निवासी हैं। गांव सिरसली में एक दलित परिवार में साध्वी प्राची का जन्म हुआ था। इनका पूरा परिवार आर्य समाजी है। परिवार में माता-पिता के अलावा तीन भाई और एक बहन है। ये अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। पिता हरबीर सिंह आर्य सरकारी इंटर कॉलेज में शिक्षक थे। साध्वी प्राची ने योग और वेद विषयों में डबल एमए किया है। साध्वी ऋतम्भरा की गुरु बहन प्राची ने वेदों पर शोध किया। डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल की। उनकी सारी शिक्षा-दीक्षा गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार और मुजफ्फरनगर में हुई। वो हरियाणा के करनाल में महिला गुरुकुल कॉलेज की प्रिंसिपल भी रहीं। बचपन से संघ से जुड़ी रहीं। 1995 में प्राची ने भगवा वस्त्र पहने और साध्वी बन गई। बरनावा (अब छपरौली) से भाजपा विधायक रहे त्रिपाल सिंह धामा को उनका राजनीतिक गुरु कहा जाता है। 2011 में बडौत में बूचड़खानों के विरोध में जैनमुनि मैत्रीपरभ सागर के साथ साध्वी ने आंदोलन किया था। 2012 में बीजेपी ने उन्हें पुरकाजी से टिकट दिया, लेकिन वो चुनाव हार गईं। लोकसभा चुनाव 2014 में साध्वी डॉ. प्राची को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा भी खूब रही थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया था।




 

 


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