तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ की मांग, राज्य और केंद्र कर्मचारियों को मिले समान वाहन और मकान किराए का भत्ता, सौंपा ज्ञापन

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Neha Thakur
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तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ की मांग, राज्य और केंद्र कर्मचारियों को मिले समान वाहन और मकान किराए का भत्ता, सौंपा ज्ञापन

BHOPAL. मध्यप्रदेश तृतीय कर्मचारी संघ अब केंद्रीय कर्मचारियों की तरह राज्य कर्मचारियों को भी समान वाहन और मकान का किराया भत्ता समान देने की मांग की है। तृतीय कर्मचारियों का कहना है कि इतने कम भत्ते में उनका गुजारा नहीं हो पा रहा है। इसलिए उनको भी केंद्र सरकार कर्मचारियों की तरह भत्ता दिया जाए।



महीने भर वाहन चलाना मुश्किल

तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने कहा है कि मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को वाहन भत्ता और किराया भत्ता इतना कम मिल रहा है कि उससे महीने भर वाहन चलाना और ढंग का मकान किराए पर लेना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि केंद्र के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के मुताबिक भत्ते मिल रहे हैं जबकि राज्य के कर्मचारी अब भी नुकसान उठा रहे हैं। इसे लेकर संघ ने मुख्यमंत्री से केंद्र के समान भत्ता देने की मांग की है।

 



11 साल में 200 रु. बढ़ा वाहन भत्ता



संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों को इस भीषण महंगाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 11 साल से छठवें वेतनमान के बाद सितंबर 2012 से वाहन भत्ता बढ़कर 200 रूपए किया गया व मकान किराया भत्ता 10- 7-5-3% की दर से ही मिल रहा है। उन्होंने कहा कि 2016 से सातवां वेतनमान लागू हो गया है और इसके बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वाहन भत्ता 1800 रुपए मिल रहा है। वहीं  उस पर 42% महंगाई भत्ता मिलाकर 2,556 रुपए वाहन भत्ते के रूप में मिल रहे हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के चार महानगरों में कार्यरत कर्मचारी को सिर्फ 200 रूपए महीना वाहन भत्ते के रूप में मिलते हैं, जबकि पेट्रोल के दाम 108 रूपए लीटर से ज्यादा हैं।



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केंद्र व राज्य में भत्तों का काफी अंतर



उमाशंकर तिवारी ने कहा कि केंद्र के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के अनुसार मकान किराया भत्ता 18% मिल रहा है। वहीं राज्य के कर्मचारियों को छठवें वेतनमान के बाद 11 साल पहले लागू 10–7-5-3% प्रतिशत के हिसाब से ही मिल रहा है। एक ही राज्य में रहने वाले केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के भत्तों में इतना अंतर है, जबकि महंगाई सबके लिए समान है। प्रदेश के कर्मचारियों के लिए भत्ते के रूप में मिलने वाली इस राशि में महीने भर वाहन चलाना और एक अच्छा मकान किराए पर मिलना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है और तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने वाहन एवं मकान किराया भत्ता केंद्र के समान करने की मांग मुख्यमंत्री से की है।



7 साल में हुआ ये नुकसान



वेतनमान                        घाटा 



15500- 19100            234814



19500- 24000            295012



25300- 31200            383668



32800- 40300            498368



56100- 69000            856792



67300- 82700           1027324


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