संजय वारुड़े, BURHANPUR. सभी परम श्राद्धेय संतों के श्री चरणों में मेरा विनम्र नमस्कार। आपके सामने मैं क्या बोलूं, आप तो धर्म स्थापना के नर हो, रामदास स्वामी के शब्दों में ईश्वर के अवतार हो। बहुत से राष्ट्र दुनिया में आए, भारत देश तब भी था, आज भी है और अंत तक रहेगा। सनातन संस्कृति के प्रवाह में जो विकृति आ गई है, उनको दूर करके धर्म की जड़ों में पक्का करना है। यह बात बुरहानपुर के गुर्जर भवन में धर्म संस्कृति सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख सर संघचालक मोहन राव भागवत ने 16 अप्रैल, रविवार को कही।
योगी अरविंदजी ने कहा था सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है
संघ प्रमुख ने कहा योगी अरविंदजी ने कहा था सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है। हमको किसी दूर देश में जाकर, दूसरे मतों के लोगों को अपने यहां नहीं लाना है। हमारा सनातन धर्म इसमें विश्वास नहीं करता है। हमको सनातन संस्कृति के प्रवाह में जो विकृति आ गई है, उनको दूर करके धर्म की जड़ों में पक्का करना है। धर्म में जागृत करना ईश्वरीय कार्य है। इसके लिए हम सब मिलकर प्रयास करेंगे, तो ठीक हो जाएगा।
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कर्म में धर्म नहीं तो इसका लाभ आक्रामक प्रवृत्ति के लोग उठाते हैं
धर्म देने वाला समाज स्वयं धर्म निष्ठ है। अपने समाज को अपने धर्म का वास्तविक ज्ञान नहीं है। परंपरा से कर्मकांड तो करता है, लेकिन उसके पीछे जो ज्ञान है। सुबोध शब्दों में इसको बताने वाला कोई नहीं है। इससे धीरे-धीरे आस्था समाप्त होती है। कर्मकांड क्षीण होने लगता है। हम धर्म के कर्मशील होते हैं, फिर कर्म में धर्म नहीं रह जाता। इसका लाभ दुनिया के आक्रामक प्रवृति के लोग लेते हैं।
एक घंटे जो शाखा सिखाती है, उसे 23 घंटे अपनाना है
मोहन भागवत ने अपने विचार रखते हुए कहा कि बुरहानपुर में की प्रजा की छाती को रौंदकर बादशाहियां और सलतनते चल रही थी, जिसे शिवाजी महाराज ने ठीक किया। उन्होंने कहा कि यह जात पात पंथ संप्रदाय पूजा के भेज छोड़ दो विश्व ही मेरा घर है। यह मान कर चलो सब का ख्याल रखकर अपना ख्याल रखना है। सभी के मुख से मंगल विचार मंगलमणि निकालना चाहिए। सभी के प्रति सद्भावना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक घंटे जो शाखा सिखाती है, उसे 23 घंटे अपनाना है। दुनिया का ध्यान भारत की तरफ है। भारत को गुरु बनाना है चाहती है दुनिया, लेकिन भारत को इसके लिए तैयार होना पड़ेगा।