BHOPAL. मध्यप्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने 13 दिन पहले हैदराबाद से एक हिज्ब उत तहरीर के कट्टरपंथी सलीम को गिरफ्तार किया था। इसके बाद कोर्ट ने उसे पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया था। इस दौरान सलीम ने कई चौकाने वाले खुलासे किए हैं। जैन परिवार में जन्म लेने वाला सौरभ राजवैध कैसे सलीम बना और कैसे वह अपने अन्य हिंदू दोस्तों को मुस्लिम धर्म कबूल करवाता था, का खुलासा किया है।
मैं जन्नत के लूंगा मजे
सलीम ने पूछताछ में बताया कि वह अपने दोस्तों को इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव बनाता था। दोस्तों से कहता था कि मरने के बाद मैं जन्नत में मजे करूंगा। मेरा दोस्त दोजख (जहन्नुम या नरक) में तड़पेगा, तो ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा। वो हिन्दू दोस्तों से कहता था कि वो भी इस्लाम कबूल कर लें।
घर पर ही पढ़ने लगा था नमाज
पूछताछ में सलीम ने बताया कि उसने 2008 के बाद ही पढ़ाई के दौरान दाढ़ी बढ़ानी शुरू कर दी थी। घर में ही नमाज भी पढ़ने लगा था। सौरभ उर्फ सलीम की 2006 में बी फॉर्मेसी की पढ़ाई खत्म हो रही थी। इसके बाद वह पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिले की तैयारी कर रहा था। इस्लाम कबूलने से पहले सभी दोस्त सामान्य तरीके से रहते, पार्टी करते और घूमने जाते थे। जब वह पोस्ट ग्रेजुएशन करके लौटा, तो बदल चुका था।
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सौरभ से सलीम होने की कहानी दोस्त की जुबानी
सौरभ के दोस्त तपेश ने बताते हैं कि सौरभ हमसे कहता था कि मैं नहीं चाहता यार तन्नु, तू दोजख की आग में जले। जब अल्लाह ताला हम सबको उठाएंगे, तो वहां सबका हिसाब किताब होगा। मैं नहीं चाहता कि उस दौरान तू दोजख की लाइन में खड़ा हो और मैं जन्नत की। मुझे इससे बड़ी तकलीफ होगी। वहां मैं शहद की नदियां देखूंगा, दूध की नदियां देखूंगा और शराब की नदियां देखूंगा और तुझे दोजख की आग में जलाया जाएगा, तो मुझे बड़ा दुख होगा। वो कहता था कि ईश्वर मतलब अल्लाह ही होता है। अल्लाह ही सब कुछ है। कहता था कि जो मूर्ति इंसान ने बनाई हैं, उसे पूजोगे तो क्या मतलब है? जो प्रसाद तुम चढ़ाते हो, तुम्हारे भगवान की मूर्ति पर यदि कोई मक्खी बैठ गई है। तुम्हारी मूर्ति वो मक्खी भी नहीं हटा पा रही है, तो वो भगवान कैसे हो सकता है।
कुरान का ऑडिया दिया था
सौरभ को पता था कि मैं ज्यादा पढ़ता नहीं हूं। उसने मुझे मेमोरी कार्ड में कुरआन का ऑडियो दिया था। कहता था कि जब भी फ्री हो, तो इसको सुनते रहना। मैंने सुना भी, लेकिन पूरा नहीं सुन पाया। मैंने डर के चलते बीच में ही कुरआन सुनना छोड़ दिया था। सौरभ ने मुझे हदीस दी, तो मेरा भी मन परिवर्तित होने लगा था। मुझे भी लगने लगा था कि इस्लाम ही सही धर्म है। हदीस देते हुए उसने कहा था कि हिन्दू धर्म पुराणों में जो बातें लिखी है, वही हदीस में है।
पिता ने बुला लिया घर
तपेश ने बताया कि वह ब्राह्मण परिवार से हूं। वो हदीस मैंने अपने पुजारी पिताजी को बताई। हदीस लेकर मैं अपने पिताजी को समझाने चला गया। मैंने पिता से कहा कि पापा हम गलत कर रहे हैं। मूर्तियों की पूजा आप गलत करते हैं। ईश्वर को हमें नहीं मानना है। कलियुग में ऐसा अवतार होगा, जो मोहम्मद साहब हैं। पापा ने कहा कि या तो तू सौरभ के साथ रह ले या फिर घर आ जा। एक बार मुझे सौरभ नबी बाग मस्जिद में ले गया। कहने लगा, चलो नमाज पढ़कर आते हैं। मैंने कहा कि मुझे तो नमाज पढ़नी आती नहीं है। कहने लगा कि इसमें कोई दिक्कत नहीं, जैसे हम करेंगे, वैसे आप करना। मैंने दोस्त की बात मानते हुए एक बार नमाज भी पढ़ी। फिर कहने लगा कि तुम इस्लाम में आ जाओ। इस्लाम की तारीफ करने लगा। इसके बाद फिर अगली बार ले गया।
दस्तावेज बनाने पहुंचे, तो बोले- पहले खतना करना पड़ेगा
साल 2010 में मैंने इस्लाम कबूल किया। 2009 में मेरी शादी हुई थी। इससे पहले मैं एक आम जाहिल जिंदगी गुजार रहा था। इस्लाम कबूल करने के बाद 2012 में मेरी पत्नी ने भी इस्लाम कबूल कर लिया। इस दौरान ये मसले भी सामने आए कि कौन हमारी गवाही देगा? कोई सामने आने को तैयार नहीं था। मैं महाराष्ट्र की एक जगह पर गया, जहां दस्तावेज बनते हैं। तो उनकी एक शर्त थी कि आपको खतना कराना पड़ेगा, तभी दस्तावेज बनेंगे। 3 साल तक मैं परेशान होता रहा, लेकिन दस्तावेज नहीं बने। इसके चलते लोग मुझे बहुत परेशान भी करते थे।
मेरे परिवार वाले भी मुझे खूब ताने देते थे
जब मैं शाम को ऑफिस से घर लौटता था, तो मेरी वाइफ दिन भर तानों से भरी मिलती थी। उसका ब्रेन वॉश करने में वक्त लगता था। इतना परेशान होने के बाद भी मुझे कुरआन ने समझाया कि घबराना नहीं। फिर जैसा शरियत में बताया गया कि ऐसे करना है, मैं करता गया। सुन्नत फॉलो की। झूठ, चुगली से दूर होता गया। मेरे पिता से आकर लोग कहते थे कि इसे समझाओ। मेरे वालिद कहते थे कि मेरा बेटा अब 24 कैरेट का गोल्ड हो गया है, मगर बेवकूफ है। पिता ने मुझे 2014 तक झेला। फिर कहा कि तेरे इस्लाम की गंदगी लेकर तू निकल जा। मैं पत्नी-बच्चों को लेकर निकल गया। वालिद ने कलेक्टर, आईजी को फोन करके कहा कि मेरे बेटे ने इस्लाम कबूल कर लिया है। किसी ने इसका ब्रेन वॉश कर दिया है। ये देश के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
इस्लाम कबूलने के बाद हुई काफी परेशानी
मेरे ऑफिस में मुझे फोन आया। मैं बयान देने पहुंचा। वाइफ के भी बयान हुआ। वो डर गई थी। मैंने उससे कहा कि यदि कोई मसला होता है, तो तुम तुरंत भागकर सड़क पर आ जाना। सड़क पर पिटेंगे तो शहादत होगी। लोग पूछेंगे कि क्यों पिट रहे हैं, तो हमारा काम हो जाएगा। वहीं, एक पुलिसवाले ने हमें बताया कि जो तुमने बयान दिए हैं, आरटीआई से आवेदन लेकर इसकी कॉपी ले लो। ये तुम्हें तुम्हारे दस्तावेज बनाने में काम आएंगे। 2015 में मेरी जॉब चली गई। वो कहते थे, हमारा डायमंड चला गया, लेकिन हमारे ऊपर प्रेशर है। विश्व हिन्दू परिषद के फोन आते थे, क्योंकि मैं दिगंबर जैन परिवार से बिलांग करता हूं। मेरी अम्मी बार-बार मुझे जैन मुनियों के पास लेकर जाती थी। मेरी जॉब गई, तो किसी मुस्लिम भाई ने मुझे जॉब दी। एक महीने बाद वो जॉब चली गई। उन्होंने कहा कि ये नया मुसलमान है, इससे खतरा है।
जिन रीति रिवाजों को मुसलमान फॉलो कर रहे ये इस्लाम नहीं है
एक मुसलमान के घर हम रहने को गए। एक साल उन्होंने रखा फिर कहा कि तुम्हारे हमारे मिजाज नहीं मिल रहे हैं, तुम मकान खाली कर दो। मैं यही कहता हूं कि किसी को भी ज्यादा इमोशनली मोहब्बत मत कीजिए, चाहे वो शौहर हो, बीवी हो या मां-बाप हो। सबसे पहले अल्लाह। शैतान हमारे जेहन में बार-बार ये बताता है कि मुसलमानों और हमारे बीच में गैप पैदा कर देता है। जिन रीति रिवाजों को मुसलमान फॉलो कर रहे हैं, ये इस्लाम नहीं है।