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Bhopal. मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले की एक किताब पर बवाल मच गया है। ‘कांग्रेस और राष्ट्रनिर्माण‘ नामक इस किताब में पाकिस्तान के संस्थापक और मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना की विनायक दामोदर सावरकर से तुलना की गई है। इस तुलना से बीजेपी बेतहाशा भड़क गई है। किताब में लिखा गया है कि जिस तरह जिन्ना मुसलमानों के लिए पाकिस्तान चाहते थे उसी तरह सावरकर भी हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग राष्ट्र की वकालत करते थे। किताब में यह भी लिखा है कि आजादी की लड़ाई में आरएसएस ने कोई योगदान नहीं दिया था।
शहजाद पूनावाला ने उठाया सवाल
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट कर लिखा है कि एक बार फिर कांग्रेस ने किया वीर सावरकर का अपमान, एक किताब में उनकी तुलना जिन्ना से की है! क्या उद्धव ठाकरे जी इस अपमान से सहमत हैं? क्या इंदिरा गांधी, शरद पवार, नरसिम्हा राव सावरकर जी पर गलत हैं और राहुल, कमलनाथ सही हैं?? कांग्रेस परिवार के बाहर के सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करती है।
इस हिस्से से भड़की बीजेपी
किताब के 47वें पेज पर ‘ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की नकारात्मक शक्तियां/संगठन‘ नाम के शीर्षक से लिखा है कि दक्षिणपंथ के दूसरे प्रमुख नेता विनायक दामोदर सावरकर हैं। शुरूआती जीवन में वे देशभक्त थे। अंग्रेजों से लड़ रहे थे, लेकिन कालापानी की सजा होने के बाद उन्होंने रिहाई के लिए अंग्रेजों से बार-बार माफी मांगी। उसके बाद उन्हें कालापानी से निकालकर भारत में नजरबंद रखा गया। इसी बीच, उन्हें ‘हिंदुत्व‘ नाम की किताब लिखने की छूट दी गई।
1923 में छपी इस किताब में उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता का विरोध किया। जिन्ना की ही तरह सावरकर भी हिंदू और मुसलमानों को अलग राष्ट्र मानते थे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में जब कांग्रेस के बड़े नेता जेल भेज दिए गए, तो जिन्ना ने पाकिस्तान और सावरकर ने हिंदू राष्ट्र की मांग को बढ़ावा दिया। इसके चलते हिंदू मुसलमानों में दूरियां बढ़ीं। हिंदू दक्षिणपंथ के तीसरे बड़े नेता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी हैं। वे हिंदू महासभा के सदस्य होने के अलावा जनसंघ के संस्थापक भी हैं। इसी जनसंघ से बाद में भाजपा का जन्म हुआ।
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ये परंपरा नेहरू के समय से चल रही- विश्वास सारंग
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा है कि गलत इतिहास पढ़ाना और नेहरू परिवार का महिमामंडन करना कांग्रेस की आदत रही है। कांग्रेस ने हमेशा इसी तरह इतिहास को तोड़मरोड़कर पेश किया है।
लेखक ने कहा पूनावाला को आपत्ति जताने की बीमारी
इधर किताब के लेखक पीयूष बबेले ने कहा है कि शहजाद पूनावाला को आपत्ति जताने की बीमारी है, इसके लिए वे क्या कर सकते हैं। किसी डॉक्टर से इलाज करा लें। मैनें वही लिखा है, जो संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपनी किताब पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन में जिन्ना के बारे में लिखा है।