New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग को पीएससी विशेष परीक्षा 2019 के मामले में आगामी सुनवाई तक हर हाल में जवाब पेश करने की ताकीद दी है। मामले में अगली सुनवाई 14 जुलाई को नियत की गई है। जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस संजय कुमार की युगलपीठ ने पीएससी को इस बात के लिए भी चेताया है कि यदि याचिका के अंतिम निर्णय से पूर्व आयोग भर्ती संबंधी कोई भी कार्रवाई करता है तो इसके परिणाम के लिए वह स्वयं जिम्मेदार होगा।
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असल में सुप्रीम कोर्ट ने एमपीपीएससी 2019 के तहत भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अंतिम निर्णय की अधीन रखा है, बावजूद इसके आयोग द्वारा भर्ती की कार्रवाई जारी है। इस मामले में पूर्व में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एससी, एसटी और ओबीसी के लगभग 2700 अभ्यर्थियों की विशेष परीक्षा कराने के आदेश दिए थे। इस आदेश को ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। मामले पर 10 अप्रैल को सुनवाई के बाद शीर्ष कोर्ट ने शासन और आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। हाल में हुई सुनवाई में आयोग की ओर से नोटिस का कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, रामेश्वर सिंह ठाकुर और समृद्धि जैन ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि यह जानते हुए कि संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन है, आयोग प्रक्रिया को निरंतर जारी रखे है। इसका परिणाम भविष्य में अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ेगा।
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के इस रवैए पर दो टूक कहा है यदि याचिका स्वीकृत होती है और तीसरे पक्ष का हित उत्पन्न होता है तो इसके लिए आयोग जिम्मेदार होगा।