/sootr/media/post_banners/60d414ca543b1baf85fd9395cc6e5f17f1101fa8fbc494025a2cf958a8a77d50.jpeg)
दिलीप मिश्रा, DEWAS. देवास की तीन नगर परिषदों (सतवास, लोहारदा, कांटाफोड़) में प्रधानमंत्री आवास योजना की करीब 6 करोड़ रुपए की राशि हितग्राहियों को न देकर फर्जी बिलों से बंदरबांट किए जाने का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस मामले में लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना की उज्जैन इकाई ने संबंधित नगर परिषदों में 2017 से 2022 तक पदस्थ रहे अध्यक्षों, प्रशासक, सीएमओ, प्रभारी सीएमओ और शाखा प्रभारियों सहित 45 आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। बता दें कि बीजेपी के पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने इस मामले में जिला प्रशासन को कई शिकायतें कीं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर नए साल में जनता के साथ सड़क पर उतरने की चेतावनी दी थी। हाल ही में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को भी चिट्ठी लिखकर इस मामले की शिकायत की है।
आखिर क्या है मामला
नगर परिषद सतवास, लोहारदा और कांटाफोड़ में 2017 से 2022 की अवधि में पदस्थ अध्यक्ष, प्रशासक, सीएमओ, प्रभारी सीएमओ और शाखा प्रभारियों ने मिलीभगत से प्रधानमंत्री आवास योजना की धनराशि को अन्य मदों में अवैध रूप से स्थानांतरित किया। इन सभी ने मिलकर विभिन्न निजी संस्थाओं को अवैध तरीके से फर्जी बिल प्राप्त कर गैरजरूरी चीजों की खरीद के लिए भुगतान भी किया गया। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों का हक मारकर करीब 6 करोड़ रुपए की राशि की बंदरबांट की गई है। शिकायतों की प्राथमिक जांच के आधार पर विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन के विशेष पुलिस अधीक्षक अनिल विश्वकर्मा ने जांच कर आरोपों से जुड़े तथ्य प्रमाणित पाए। इस आधार पर लोकायुक्त के भोपाल मुख्यालय से मंजूरी मिलने के बाद बुधवार, 28 दिसंबर को मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया।
कैसे किया घोटाला
बता दें कि जब 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू हुई थी, तो शुरुआती दौर में राशि हितग्राहियों के खाते में न डालकर पहले निकायों को दी जाती थी। इसके बाद निकाय के अधिकारी कर्मचारी अपने हिसाब से आवास आवंटित कर राशि का भुगतान करते थे। यह व्यवस्था करीब 2 साल तक चलती रही। उसके बाद सारे अधिकार विभाग ने अपने हाथों में ले लिए और तब से वन क्लिक पर सीधा भुगतान हितग्राही को होने लगा। सूत्र बताते हैं कि वन क्लिक भुगतान व्यवस्था के शुरुआती दौर में पहले जब राशि सीधी नगर परिषद में पहुंची तो वह राशि काफी समय तक नगर परिषद के पास पड़ी रही। इसी दौरान देवास जिले की तीन नगर परिषदों में करीब 6 करोड़ रुपए की राशि का बंदरबांट हुआ। उसे अन्य मदों में खर्च कर दिया गया। इसमें कुछ निजी फर्मों के पुराने बिलों का भुगतान हुआ, तो कुछ नई खरीदी का। कुछ को एडवांस पेमेंट हुआ तो कुछ पेमेंट वेतन बांटने के काम में उपयोग कर लिया गया। इतना ही नहीं कोरोना काल के खर्च में भी इस राशि का उपयोग किए जाने की बात सामने आई है।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ अमानत में खयानत का मामला
नगर परिषद सतवास में तत्कालीन जिन अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें पूर्व अध्यक्ष नगर परिषद छोटी बी वहीद खान, विकास डावर तत्कालीन सीएमओ, कैलाश चंद्र वर्मा लेखापाल, अनवर गौरी तत्कालीन सीएमओ, जगदीश शर्मा तत्कालीन सीएमओ, आधार सिंह सीएमओ नगर परिषद सतवास, शुभम राठौर तत्कालीन दैनिक वेतन भोगी, विवेक मिश्रा सहायक ग्रेड 3, पदम सिंह यादव लेखापाल सहायक, राजेश वाधवा नी परम जेडी इलेक्ट्रिकल्स इंदौर, मोहित वाधवानी जैन इलेक्ट्रिकल्स एवं मोहित सेल्स इंदौर, बंटी वर्मा, सतीश चौहान शिव शक्ति इंटरप्राइजेज इंदौर, पवन सिसोदिया शिव शक्ति इंटरप्राइजेज इंदौर और प्रकाश वाधवानी मोहित सेल्स इंदौर सहित अन्य के विरुद्ध अपराध क्रमांक 277/2022 धारा 7/13a, 13-2 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधन 2018 और 409, 420, 201, 120b भारतीय दंड विधान के अंतर्गत 27 दिसंबर 2022 को सुनील कुमार तालाब उप पुलिस अधीक्षक विशेष पुलिस स्थापना द्वारा मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।
ठंडे बस्ते में पड़े मामले में अचानक कैसे हुई कार्रवाई
लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ा ये मामला उस समय गरमा गया, जब सतवास नगर परिषद में प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों की जिओ टैगिंग करने वाले कर्मचारी पंकज राजपूत की जूतों से पिटाई कर दी गई। उसके कुछ दिन बाद जब 17 दिसंबर 2022 को वीडियो वायरल हुआ तो देवास जिले की राजनीति में भूचाल आ गया। पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक दीपक जोशी ने भी 17 दिसंबर की रात को एक वीडियो जारी कर भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों पर कार्रवाई की मांग की। दीपक जोशी ने वीडियो में यहां तक कहा कि जरूरत पड़ी तो वे जनता के साथ सड़क पर उतरेंगे और कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे।
दीपक जोशी ने 27 दिसंबर को पीएम को लिखी चिट्ठी
वीडियो जारी करने के करीब एक हफ्ते बाद भी जब इस मामले में कोई ठोस कदम उठता दिखाई नहीं दिया तो दीपक जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा। प्रधानमंत्री के नाम दीपक जोशी का पत्र वायरल होते ही 28 दिसंबर 2022 को लोकायुक्त पुलिस के उज्जैन कार्यालय ने इस मामले में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर लीं। इन तीनों मामलों में नगर परिषदों के सीएमओ सहित 45 से अधिक अधिकारी कर्मचारी और बाहर के आरोपी बनाया गया है। इन पर धोखाधड़ी सहित आपराधिक षड्यंत्र और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
कई नेताओं की मिलीभगत की चर्चा
बताया जा रहा है कि इस मामले में कई बड़े नेताओं की भी संदिग्ध भूमिका है। हालांकि प्रकरण दर्ज होने में इनके नाम शामिल नहीं किए गए हैं। जिन पर केस दर्ज हुआ हैं, उनमें तत्कालीन अध्यक्ष, सीएमओ, प्रशासक सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी, निजी फर्मों के कर्मचारी शामिल हैं।
ये खबर भी पढ़िए..
इन अधिकारियों के खिलाफ केस
लोकायुक्त उज्जैन से मिली जानकारी के अनुसार कांटाफोड़ नगर परिषद के मामले में तत्कालीन अध्यक्ष भूरीबाई विजयसिंह काकड़वाल, प्रशासन अविनाश सोनानिया, सीएमओ महेश शर्मा, कैलाशचंद्र वर्मा, गोविंद पोरवाल और सतीश घावरी सहित लेखापाल, शाखा प्रभारी, प्रकाश माधवानी मोहित सेल्स कार्पोरेशन इंदौर, मोहित वाधवानी, बलराज तिवारी निर्मल इंटरप्राइजेस देवास और सतीश चौहान शिव ग्राफिक्स इंदौर पर केस दर्ज किया गया है। लोहारदा नगर परिषद के मामले में तत्कालीन अध्यक्ष लाड़कीबाई लक्ष्मण इवने, प्रशासक सुभाष सोनेर, सीएमओ केएनसएस चौहान, अनिल जोशी, हरिओम कचोले, नंदकिशोर पारसनिया, सतीश घावरी, अनवर गौरी, कैलाश वर्मा, जगदीश शर्मा, सैयद मकसूद अली, आधार सिंह आदि आरोपी हैं। वहीं, सतवास नगर परिषद के मामले में तत्कालीन अध्यक्ष छोटी बी वहीद खान, सीएमओ विकास डावर, सीएमओ कैलाशचंद्र वर्मा, अनवर गौरी, जगदीश शर्मा, आधार सिंह सहित कुल 15 आरोपी हैं। सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि की बंदरबांट से महंगे चार पहिया वाहन भी खरीदे गए, जिन्हें कथित नेताओं को गिफ्तार किया गया है।