BHOPAL. स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार के बंगले पर शुक्रवार को अचानक दर्जनों पेरेंट्स पहुंच गए। पालक महासंघ के बेनर तले यहां पहुंचे पेरेंट्स प्राइवेट स्कूल द्वारा की जा रही मनमानी सहित बस फीस के नाम पर मची खुली लूट का विरोध करने आए थे। बंगले पर मंत्री नहीं होने पर पेरेंट्स ने अपना ज्ञापन वहां मौजूद स्टॉफ को दे दिया, साथ ही यह भी कहा कि यदि शासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो वह आंदोलन करने को मजबूर होंगे, साथ ही न्यायालय की ओर रूख भी करेंगे। द सूत्र ने पेरेंट्स द्वारा लगाए गए आरोपों की पड़ताल की तो जो सच्चाई सामने आई, उसे जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे। राजधानी के प्राइवेट स्कूल समान दूरी के लिए अलग-अलग फीस चार्ज कर रहे हैं और स्कूल बसों का यह किराया सुपर एसी लग्जरी बसों से भी अधिक है।
पहले बात नियम-कानून और कायदे की
राजधानी भोपाल में 6000 से ज्यादा बस और वैन बच्चों को स्कूल लाने ले जाने का काम कर रही है। इन बसों के लिए निजी स्कूल पेरेंट्स से मनमाफिक किराया वसूल रहे हैं। 3 किमी तक के लिए ट्रांसपोर्टेशन फी 900 से लेकर 2150 रुपए तक है। निजी स्कूल फीस के नाम पर पेरेंट्स का न लूट सके इसलिए काफी मशक्कत के बाद मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) नियम यानी फीस एक्ट का मसौदा तैयार हुआ और उसे लागू किया गया। फीस एक्ट की धारा-6 के बिंदु-छ में स्पष्ट उल्लेख है कि निजी स्कूल प्रबंधन परिवहन सुविधाओं के संबंध में परिवहन विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशों का पालन करेगा। वहीं धारा-9 के बिंदु-2 में भी उल्लेख है कि कमेटी मामला सामने आने पर स्वयं संज्ञान लेते हुए जांच कर सकती है। उसके बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी यानी डीईओ और आरटीओ पेरेंट्स को निजी स्कूलों के हाथों लूटने के लिए खुला छोड़ देते हैं। पालक महासंघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने कहा कि समान दूरी के लिए समान किराया होना चाहिए, ट्रांसपोर्ट फीस के नाम पर स्कूलों ने जो खुली लूट मचा रखी है वह बंद हो।
सुपर लग्जरी कोच से भी महंगा है स्कूल बस का किराया
मध्यप्रदेश परिवहन विभाग ने 20 अप्रैल 2021 यात्री किराया संबंधित एक अधिसूचना जारी की। जिसमें यात्रा की सबसे वीआईपी केटेगिरी यानी सुपर लग्जरी कोच (एसी) का यात्रा किराया प्रति किमी सामान्य वाहन किराया से 75 प्रतिशत अधिक रखा गया। सामान्य वाहन का किराया प्रति पैसेंजर प्रति किमी 1.25 रुपए है मतलब सुपर लग्जरी कोच (एसी) में एक पैसेंजर का प्रति किमी किराया हुआ 2.18 रुपए। निजी स्कूल 3 किमी तक का किराया 900 से 2150 रुपए लेते हैं। हालांकि, इस किराए में आना और जाना दोनों शामिल है, मतलब 6 किमी रोज। यदि स्कूल 1 महीने में 25 दिन लगे तो बस चली 150 किमी और इस हिसाब से प्रति किमी किराया पड़ा 6 रुपए से लेकर 14.3 रुपए तक। वहीं यदि प्रदेश में कोई पैसेंजर यही 150 किमी का सफर सुपर लग्जरी कोच (एसी) में करता है तो उसे महज 327 रूपए देने होंगे। कुल मिलाकर स्कूल बसों का किराया सबसे वीआईपी केटेगिरी यानी सुपर लग्जरी कोच (एसी) से भी महंगा है। जबकि कई बसों में सीसीटीवी कैमरे, पैनिक बटन जैसी फैसलिटी तक नहीं है। एआरटीओ अनपा खान से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है, वह नियम की जानकारी लेकर ही बता पाएंगे।
डीजल में 25 प्रतिशत का इजाफा तो किराए में 700 फीसदी की वृद्धि क्यों?
बढ़ते किराए को लेकर अक्सर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का सहारा लिया जाता है तो चलिए अब हम आपको इसका गणित भी समझा दें। चूंकि निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा चलाई जाने में करीब-करीब सभी वाहन डीजल ही होते हैं, इसलिए हम यहां आंकलन पूरा डीजल से ही कर लेते हैं। जनवरी 2020 में मध्यप्रदेश में डीजल की कीमत 75.17 रुपए प्रति लीटर थी जो आज 24.82 प्रतिशत बढ़कर 93.83 रुपए प्रति लीटर हो गया है। 2020 में स्कूल बस-वैन का किराया 3 किमी तक 300 रूपए था जो अब बढ़कर 900 से 2150 तक हो गया है। मतलब किराए में 200 प्रतिशत से लेकर 716 फीसदी तक का इजाफा कर दिया गया। यह स्थिति तब जब इनमें से कई वाहनों में बच्चों की सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं है। अधिकांश वैन का इंश्योरेंस, फिटनेस से लेकर माॅनिटरिंग तक नहीं है।जब भोपाल जिला शिक्षा अधिकारी अंजनी त्रिपाठी से इस संबंध में बात की तो पहले तो वह कहने लगे कि यदि शिकायत उनके पास आएगी तो वे जांच करेंगे, लेकिन जब द सूत्र ने उन्हें फीस एक्ट में दिए गए अधिकारों को याद दिलाया तो उन्होंने कहा कि वे वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत कर जल्द ही इस पर कार्रवाई करेंगे।
अब जानिए किस स्कूल की है कितनी बस फीस
- 0.1 से 5 किमी तक : महर्षि विद्या मंदिर में 1200 रुपए, द आईवीवाय ग्लोबल स्कूल 1280 रुपए, सेज इंटरनेशल स्कूल में 1400 रुपए, सागर पब्लिक स्कूल में 2150 रुपए तक ट्रांसपोर्टेशन फीस है।
फीस को वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं करना भी एक्ट का उल्लंघन
जिन निजी स्कूलों की फीस की हमने तुलना की यह तो वह स्कूल है जिनकी ट्रांसपोर्ट फीस किमी के हिसाब से वेबसाइट पर दिख रही है। कई स्कूल इनसे भी दो कदम आगे हैं। भास्कर समूह के संस्कार वैली स्कूल की वेबसाइट पर ट्रांसपोर्ट फीस प्रदर्शित तो है, लेकिन वह एक ही दिख रही है। यानी 1 किमी से लेकर 20 किमी तक एक जैसी ही है, जो संभव नहीं है। जागरण ग्रुप के दिल्ली पब्लिक स्कूल समेत बिलाबोंग हाई, आर्चिड ज्ञानगंगा स्कूल, इंटनरेशनल पब्लिक स्कूल जैसे नामचीन संस्थानों ने अपनी आफीशियल वेबसाइट पर इसे प्रदर्शित ही नहीं किया है। जबकि निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) नियम यानी फीस एक्ट की धारा-6 के बिंदु-क में स्पष्ट कहा गया है कि स्कूल अपनी वेबसाइट पर सभी फीस प्रदर्शित करेंगे, जिनमें ट्रांसपोर्ट फी भी शामिल है।
2 से 6 लाख तक का है जुर्माने का प्रावधान
फीस एक्ट में स्पष्ट लिखा है कि नियमों का पालन नहीं करने पर जिला कमेटी संबंधित निजी स्कूल की मान्यता रद्द करने की अनुशंसा कर सकती है। बढ़ी हुई फीस स्टूडेंट को लौटाए जाने का आदेश दे सकती है और फीस एक्ट के प्रावधानों को नहीं मानने पर पहले नोटिस में 2 लाख, दूसरी बार 4 लाख और तीसरी बार 6 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकती है, उसके बाद भी कहीं कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। पालक महासंघ के सचिव प्रबांध पांडे ने कहा कि एक्ट में आरटीओ और डीईओ को सम्मलित रूप से यह अधिकार दिया गया है कि वह फीस निर्धारित करें, वह नहीं कर रहे हैं, इसलिए निर्धारित दूरी के लिए निजी स्कूल अलग-अलग फीस वसूल कर रहे हैं।