संजय गुप्ता, INDORE. मप्र क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) में पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट और कैलाश विजयवर्गीय गुट एक साथ होंगे। इस पैनल ने कई बार आपस में चुनाव लड़े हैं। अक्टूबर 2019 के चुनाव में भी यह पैनल उतरी थी, लेकिन मार्च 2020 में सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद विजयवर्गीय के साथ उनकी पारिवारिक दोस्ती परवान चढ़ गई है। इसका सीधा लाभ एमपीसीए में इस बार अमिताभ विजयवर्गीय को मिलते दिख रहा है। वह वर्तमान में एमपीसीए की सीनियर टीम सिलेक्शन कमेटी के चेयरमैन है। बीता चुनाव वह संजीव राव से मात्र 17 वोट से हार गए थे क्योंकि सिंधिया की दखल वाली संस्थाओं के वोट सीधे राव के खाते में गए थे। इस बार उम्मीद तो यही की जा रही है कि दस दिसंबर को होने वाली चुनावी एजीएम में चुनाव की नौबत ही नहीं आएगी और सिंधिया सीधे अमिताभ के नाम को हरी झंडी देंगे। हालांकि कितने दावेदार मैदान में आने वाले हैं, इसका खुलासा 6 और 7 दिसंबर को होगा, जब चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किए जाएंगे। आठ दिसंबर को औपचारिक प्रत्याशी घोषित होकर दस दिसंबर को जरूरत होने पर चुनाव होंगे।
खांडेकर फिर प्रेसीडेंट के लिए दावेदार
वर्तमान प्रेसीडेंट अभिलाष खांडेकर एक बार फिर एमपीसीए में प्रेसीडेंट पद के दावेदार हैं। बीते टी-20 मैच में हुए विवाद के दौरान सीधे ब्यूरोक्रेसी पर हमला बोलकर उन्होंने यह संदेश दिया है कि वह एमपीसीए के लिए हर तरह की लड़ाई कर सकते हैं। हालांकि इस पद के लिए पूर्व कार्यकारी प्रेसीडेंट निशिथ पटेल भी सामने आ सकते हैं। वहीं सचिव पद के लिए संजीव राव और अमिताभ विजयवर्गीय के साथ पूर्व इंटरनेशनल अपांयर सुधीर असनानी भी दावेदार हो सकते हैं। हालांकि सब कुछ इस बात पर निर्भर है कि सिंधिया और संजय जगदाले मिलकर इनके नाम फाइनल करते हैं।
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विजयवर्गीय लंबे समय से दावेदार
अमिताभ विजयवर्गीय एमपीसीए में सचिव पद के लिए करीब 12 साल से दावेदार हैं। लेकिन मनमुटाव के चलते वह कैलाश विजयवर्गीय के साथ चले गए थे। इसके बाद दो बार कैलाश ने प्रेसीडेंट पद के लिए सिंधिया के सामने चुनाव लडा और अमिताभ विजयवर्गीय ने सचिव पद के लिए चुनाव लडा और दोनों ही बार उनकी हार हुई। आखिर में तीसरे चुनाव के समय विजयवर्गीय ने खुद को पीछे कर लिया और क्रिकेट की राजनीति से तौबा कर ली। लेकिन अमिताभ लगातार संघर्ष करते रहे। विजयवर्गीय गुट के चुनाव से पीछे हटने के बाद सिंधिया गुट ने फिर अमिताभ को तवज्जो देना शुरू किया और बाद में कमेटी में लिया। हालांकि सचिव पद का चुनाव अक्टूबर 2019 में वह फिर काफी कम अंतर से हार गए। क्योंकि तब सिंधिया कांग्रेस में थे और प्रदेश में भी कांग्रेस सरकार थी। इसके चलते व्यक्गित वोट में तो वह राव पर भारी पड़े लेकिन संस्थाओं के अधिकांश वोट राव के खाते में गए थे। इसके चलते वह हार गए। इस बार उन्हें उम्मीद है कि चुनाव की नौबत नहीं आएगी और यदि आई तो भी अब बदले समीकरण में उनका पलड़ा भारी होगा।
अक्टूबर 2019 के चुनाव में यह हुआ था
एमपीसीए चुनाव में 19 में से 14 पदों पर सिंगल दावेदार होने से निर्विरोध निर्वाचन हुआ। शेष 5 पदों के लिए 9 दावेदार मैदान में थे। सचिव पद पर राव और विजयवर्गीय के अलावा कोषाध्यक्ष पद के लिए सिंधिया गुट के पवन जैन के सामने प्रेम पटेल मैदान में थे। जबकि क्रिकेट समिति के तीन पदों के लिए मैदान में पांच प्रत्याशी थे। इसमें प्रशांत द्विवेदी, मुर्तजा अली और योगेश गोलवलकर निर्वाचित हुए हैं। इनके अलावा देवाशीष निलोसे और सुनील लाहोरे भी मैदान में थे, लेकिन उन्हें कम वोट मिले। सचिव पद पर राव को 117 वोट मिले और अमिताभ को 100 वोट, इस तरह 17 वोट से राव जीते तो कोषाध्यक्ष के लिए पवन जैन ने जीत हासिल की, उन्हें 145 वोट मिले तो पटेल को केवल 67 वोट मिले। क्रिकेट समिति के लिए निर्वाचित प्रशांत द्विवेदी को 171, मुर्तुजा अली को 137 और योगेश गोलवलकर को 148 वोट मिले।
उपाध्यक्ष पद पर रमणीक सलूजा, सह सचिव पद पर सिद्धियानी पाटनी अकेले उम्मीदवार होने से निर्विरोध चुने गए। संस्थागत सदस्य के लिए इंदौर के सीसीआई से सिद्धार्थ कपूर और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से नमन कुमार सारस्वत चुने गए। कार्यकारिणी के 4 सदस्यों के लिए अक्षय धाकड़, धीरज श्रीवास्तव, रघुराजसिंह चौरड़िया और संग्राम कदम निर्विरोध निर्वाचित हुए।