देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर के सिंधिया राज घराने की अकूत संपत्ति के बंटवारे को लेकर परिवार के बीच चल रहा विवाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया तीन बेटियों उषा राजे, राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और और मध्यप्रदेश की खेल एवं युवक कल्याण मंत्री यशोधरा राजे द्वारा सिंधिया परिवार की पैतृक संपत्ति में से अपने हिस्से की मांग को लेकर एक दीवानी वाद ग्वालियर में एडीजे कोर्ट में दायर किया गया था, जो बीते 13 वर्षों से कोर्ट में लंबित है। लेकिन अब इस मामले को मध्यस्तता के जरिए आपसी सहमति से सुलझाने की कोशिश शुरू हुई है। यह जानकारी मिलने के बाद कोर्ट ने सुनवाई की 13 जून तक के लिए टाल दी है।
कौन-कौन है सिंधिया परिवार की संपत्ति का वारिस
सन् 2000 तक राजमाता विजयाराजे और उनके बेटे के बीच संपत्ति बंटवारे को लेकर अनेक केस पेंडिंग थे। तब जयविलास पैलेस के एक हिस्से में राजमाता तो दूसरे हिस्से में माधवराव रहते थे। अंतिम क्षणों तक दोनों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे। 2000 में राजमाता के निधन के बाद पूरे महल पर माधवराव और उनका परिवार काबिज हो गया। वर्तमान में उनके बेटे और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सपरिवार महल में निवास करते है। हालांकि शुरू से ही परंपरा है कि उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे भी जब ग्वालियर आतीं है तो जयविलास पैलेस में ही रुकतीं है।
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ग्वालियर रियासत के अंतिम महाराज थे जीवाजी राव
ग्वालियर रियासत के अंतिम महाराज जीवाजी राव सिंधिया और महारानी विजयाराजे सिंधिया की चार संतानें थी । सबसे बड़ी उषा राजे विवाह के बाद से नेपाल में रह रही हैं। दूसरी बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया का विवाह राजस्थान में हुआ और वे वहां मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं।संतानों में दूसरे नंबर पर माधवराव सिंधिया थे, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री भी रहे सन् 2001 में उनका असामयिक निधन हो गया। परिवार में सबसे छोटी यशोधरा राजे हैं, जो अभी प्रदेश में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री हैं ।
2010 में कोर्ट में पेश हुआ बंटवारे का वाद
माधवराव के निधन के नौ साल बाद उनकी बहनों उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे ने वर्ष 2010 में ग्वालियर के न्यायालय में एक वाद पेश किया गया। इसमें तीनों ने अपने अभिभाषक के जरिए अपना पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि पिता की संपत्ति में बेटियों का हक बराबर का है, इसलिए उन्हें भी महाराजा जीवाजी राव सिंधिया की पैतृक संपत्ति में हिस्सा दिया जाए। इसके अलावा ज्योतिरादित्य ने अपनी तीनों बुआओं के विरुद्ध भी एक अन्य वाद भी न्यायालय में विचाराधीन है।
कोर्ट में बोला - हम आपसी समझौते के प्रयास में
बीते दिनों इस मामले पर सुनवाई के समय दोनो पक्षों ने इस बात पर सहमति दी कि मध्यस्तता के माध्यम से विवाद को खत्म किया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने इस केस को विशेष केस के रूप में चिन्हित कर लिया।न्यायालय बुआओं के दावे पर जल्द सुनवाई कर प्रकरण खत्म करने की प्रक्रिया में था। इससे पहले एक आवेदन देकर कहा गया था कि परिवार के पास देश विदेश में अनेक संपत्तियां है। इस वजह से निराकरण में वक्त लग रहा है, इसलिए वाद की सुनवाई रोकी जाए, लेकिन न्यायालय ने 3 जनवरी 2023 को यह आवेदन खारिज कर दिया था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका
इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने अपील की कि मध्यस्थता खत्म होने तक वाद पर सुनवाई पर रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया और वाद की सुनवाई पर रोक लगा दी। इसके बाद हाईकोर्ट के इसी फैसले के आधार पर दोनो पक्षों ने एडीजे कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारे बीच दिल्ली में मिडिएशन चल रहा है। इसके बाद एडीजे कोर्ट ने सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी । अब इसमें अगली सुनवाई 13 जून 2023 को होगी।