कवि छोकर, SEHORE. मध्य प्रदेश का सीहोर बीते कुछ महीनों से चर्चा में है। पहले वजह रुद्राक्ष महोत्सव थी, अब यहां की होली है। सीहोर में सालों से नवाब की होली की परंपरा थी। अब यहां महादेव की होली खेली जाती है। यूं तो पूरे देश में धुरेड़ी के दिन रंग खेला जाता है, लेकिन सीहोर में होली के दूसरे दिन यानी भाई दूज के दिन लोग रंगों में सराबोर रहते हैं।
ऐसे होती है सीहोर की महादेव की होली
सीहोर में महादेव की होली चमत्कारेश्वर मंदिर में शिवलिंग पर चंदन जल के अर्पण के साथ शुरू होती है। यह पिछले साल यानी 2022 से ही शुरू हुई। इस होली का चल समारोह यानी जुलूस मुख्य मार्ग से होकर मनकामेश्वर मंदिर पर समाप्त होता है। इस मौके पर पं. प्रदीप मिश्रा ने शहर के 5 प्राचीन मंदिरों में अष्टगंध से जलाभिषेक किया। महादेव होली की खास बात है कि ये सिर्फ गुलाल और चंदन के पानी से खेली जाती है।
ऐसा होता है सीहोर का पांच दिन का होली उत्सव, कभी यहां नवाब आते थे
- पहले दिन : होलिका दहन के बाद धुरेड़ी पर रंग तो होता ही है, लेकिन दिन में परंपरागत रूप से गेर भी निकालते हैं और गमी वाले घरों में जाते हैं।
सीहोर विधायक ने जताया पंडित जी का आभार
सीहोर से बीजेपी के विधायक सुदेश राय ने कहा कि महादेव की होली के लिए मैं पं. प्रदीप मिश्रा को धन्यवाद-आभार जताता हूं। सीहोर में ये महादेव की होली का दूसरा साल है। इसको लेकर सीहोर के हर व्यक्ति में उत्साह है। पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि इस होली का नाम पहले नवाबों की होली था। अब इसका नाम महादेव की होली हो गया है। महादेव की होली 2 साल से हो रही है। आप सब भी मंदिर में जाकर भगवान शिव को चंदन का जल और वस्त्र चढ़ाएं।
देखिए, सीहोर की महादेव की होली