Katni. बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी कोई नई बात नहीं है, प्रदेश स्तर के बुजुर्ग नेता हों या फिर जिला स्तर के लगभग-लगभग सभी खुदको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। बीजेपी के पूर्व विधायक धु्रव प्रताप सिंह हों या फिर जबलपुर के पूर्व विधायक हरेंद्रजीत सिंह बब्बू, इनके उपेक्षा के आरोप लगाए जाने के बाद अब बीजेपी के पूर्व विधायकों में यह दर्द बयां करने का सिलसिला सा चल पड़ा है। कटनी में बड़वारा के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह ने कहा था कि बीजेपी ने उन्हें आउटडेटेड समझ लिया है। बता दें कि ध्रुव प्रताप सिंह का परिवार जनसंघ के जमाने से बीजेपी से जुड़ा हुआ है।
दरकिनार किए जाने से दुखी
पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह साल 2003 में विजयराघवगढ़ विधानसभा से विधायक चुने गए थे। उन्होंने तत्कालीन मंत्री सत्येंद्र पाठक को चुनाव हराया था। इसके बाद वे बीजेपी के जिलाध्यक्ष भी रहे और दो मर्तबा कटनी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे। लेकिन अब उन्हें नगरीय निकाय से लेकर किसी भी चुनाव में कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई। जिसका दर्द उन्होंने बयां किया है।
- यह भी पढ़ें
अलका जैन ने भी पीड़ा व्यक्त की
कटनी की मुड़वारा सीट से दो बार विधायक रहीं अलका जैन भी पार्टी की उपेक्षा से इनकार नहीं किया है। जैन ने कहा कि एक दशक बीत रहा है हमें सत्ता से दूर कर दिया गया, अब यदि संगठन से भी दूर कर दिया जाएगा तो पीड़ा तो सामने आएगी ही। अलका जैन ने कहा कि ध्रुव प्रताप सिंह ने कुछ गलत नहीं कहा है, उन्होंने वही कहा है जो वह महसूस कर रहे हैं और हम भी।
गिरिराज किशोर पोद्दार भी नाखुश
पूर्व विधायक गिरिराज किशोर पोद्दार भी असंतुष्टों की जमात में शामिल हैं, हालांकि उन्हें एक बार निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ने के चलते निष्कासित किया गया था। पोद्दार का कहना है कि कहीं न कहीं मन में असंतोष तो है। सम्मान में भी कहीं न कहीं कमी है। जिसकी वजह से सारा माहौल असंतुष्टता का बना रहा है। हम लोगों के संपर्क काफी व्यापक स्तर पर हैं बावजूद इसके पार्टी तवज्जो ही नहीं दे रही।
वीडी बोले- कोई नहीं छोड़ रहा पार्टी
बुजुर्ग नेताओं के असंतोष पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि इसका चुनाव पर विपरीत असर पड़ेगा। वीडी शर्मा का कहना है कि कोई पार्टी नहीं छोड़ रहा है। समय आने पर सभी वरिष्ठों से संपर्क साधा जाएगा, स्थानीय स्तर पर भी पार्टी पदाधिकारी वरिष्ठों से संपर्क में हैं। चुनाव के वक्त ऐसी अफवाहें जमकर फैलती हैं। रूठने-मनाने का भी सिलसिला चलता है।