BHOPAL. जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव का अंतिम संस्कार आज यानी 14 जनवरी को मध्य प्रदेश के उनके पैतृक गांव आंखमऊ में हुआ। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से चार्टर्ड फ्लाइट में भोपाल लाया गया था। यहां से सड़क मार्ग से उनके पैतृक गांव के लिए रवाना हुई थी। पार्थिव देह दोपहर में नर्मदापुरम के आंखमऊ गांव पहुंची। यहीं शरद यादव 12 एकड़ का खेत है। यहीं उनका बचपन बीता है, शरद यादव की अंतिम यात्रा में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी शामिल हुए।
शरद की कमाल की याददाश्त थी
शरद यादव की कर्मभूमि और राजनीति की जमीन भले ही बिहार रही हो, लेकिन राजनीति की शुरुआत मध्य प्रदेश से हुई थी। नर्मदापुरम के माखननगर ब्लॉक के गांव आंखमऊ में जन्मे शरद यादव बचपन से ही निडर थे। 12 साल की उम्र में उन्होंने गांव के कुएं में कूदकर महिला की जान बचाई थी। उनकी याददाश्त के इतनी पक्की थी कि बचपन के मित्रों को कभी नहीं भूले। शरद यादव के बचपन के मित्र सराफा व्यापारी रमेशचंद सोनी (निवासी माखननगर) ने बताया कि उनकी मेमोरी गजब की थी। वे कभी किसी को भूलते नहीं थे। 20 साल पहले शरद बिहार से गांव आए थे। मैं और वो माखननगर में एक दुकान पर बैठे थे। मोहनलाल हलवाई हमारे सामने खड़े थे। मैंने शरद से पूछा कि इसे जानते हो तो शरद ने कहा कि मैं तो जानता हूं, ये मोहनलाल है, लेकिन यह मुझे नहीं पहचानता। फिर हमने मोहनलाल से पूछा कि इन्हें जानते हो। मोहनलाल ने उन्हें पहचान नहीं पाए थे।
आखिरी बार बड़े भाई से एक जनवरी को बात हुई थी, नए साल की शुभकामनाएं दी थीं
शरद के बड़े भाई एसपीएस यादव रिटायर्ड जिला शिक्षा अधिकारी हैं। एसपीएस यादव ने बताया कि शरद से आखिरी बार 1 जनवरी 2023 को बात हुई थी। शरद ने ही कॉल किया था और कहा कि नया साल मुबारक हो भैया। 4 महीने पहले बीमार हो गए। दिल्ली में डायलिसिस होता था। इसलिए वे गांव नहीं आ पाएं। जब भी समय मिलता था, एक-दो साल में वे जरूर गांव आते थे। पिछले साल 2022 में गांव आए थे।